गांधी मैदान सब समझता है
पीएम की ताजपोशी के कुछ महीनों के बाद ही बिहार में विधानसभा चुनाव का आगाज हो गया। एक बार फिर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हुआ। नई शŽदावली के प्रयोग के साथ। गांधी मैदान को पता था उसके प्रांगण में फिर रणभेरी बजेगी और हुआ भी वही। 30 अगस्त 2015 को नीतीश-लालू और सोनिया गांधी ने 'स्वाभिमान रैलीÓ कर अपनी मंशा जाहिर कर दी थी। बताने की कोशिश थी युद्ध का आगाज हो चुका है और अंजाम का इंतजार रहेगा। लड़ाई लंबी चली। गांधी मैदान सब देखता, सुनता और समझता रहा। अंतत परिणाम आए तो गांधी मैदान को भी पता चल गया जय किसकी हुई और पराजय कौन हुआ. 
यादों की खुशबू
जय-पराजय का खेल खत्म हुए कुछ दिन हो गए तो गांधी मैदान इतिहास के लिए कुछ पन्ने सहजने को एक बार फिर तैयार हो गया है। शुक्रवार को यहां देश के कई बड़े राजनेता, विशेष आमंत्रित अतिथि, गणमान्य लोग पहुंचेंगे और नीतीश सरकार की नई कैबिनेट को पद और गोपनीयता की शपथ के गवाह बनेंगे। इन सबों में गांधी मैदान भी होगा। अपनी तमाम सजावट और यादों की खुशबू के साथ. 
९ मुख्यमंत्री करेंगे शिरकत 

जीत बड़ी है तो शपथ समारोह के सियासी मायने भी अहम होंगे। पटना का गांधी मैदान फिर सियासी  जमावड़े का गवाह बनेगा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश सिंह यादव, दिल्ली के अरविंद केजरीवाल और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री म मता बनर्जी समेत नौ राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने समारोह में शिरकत करने की सहमति दे दी है। अन्य मुख्यमंत्रियों में तरुण गोगोई (असोम), पीक   चामलिंग (सिक्किम), आइबोबी सिंह (मणिपुर), वीरभद्र सिंह (हिमाचल प्रदेश), नबम तुक्की (अरुणाचल प्रदेश) और सिद्धारमैया (कणर्् ााटक) शामिल हैं.

ये सियासी हस्तियां भी होंगी शामिल

कांग्र्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा, गुलाम नबी आजाद, शरद पवार, शरद यादव, चौधरी  अजीत सिंह, सीताराम येचुरी, मल्लिकार्जुन खडग़े, फारुख अŽदुल्ला, उमर अŽदुल्ला, शीला दीक्षित, भूपिंदर सिंह हुड्डा, शंकर सिंह बघेला, हेमंत  सोरेन, बाबूलाल मरांडी, अजीत जोगी, प्रफुल्ल पटेल, डॉ। प्रकाश अंबेडकर, अभय चौटाला, राम जेठमलानी.
शिवसेना के मंत्री भी करेंगे शिरकत 

महाराष्ट्र में भाजपा की सहयोगी शिवसेना के दो मंत्री भी समारोह में शिरकत करेंगे। रामदास कदम और  सुभाष देसाई ने आने की सहमति दे दी है। उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र में दोनों दलों में सब कुछ अच्छा नहीं चल रहा है और कई मुद्दों तनातनी  हो चुकी है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बिहार चुनाव के नतीजे के बाद नीतीश कुमार की तारीफ भी की थी.
और फिर एक हो गए लालू नीतीश
क्क्रञ्जहृ्र(१९ हृश1): इतिहास का पहिया घूमा और लालू-नीतीश फिर से एक हो गए। बीच में ऐसी दुश्मनी हुई कि लालू चारा घोटाले में फंसे और जेल गए। जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट से जल्दी सुनवाई करने का आग्रह किया उस ललन सिंह को लोकसभा का चुनाव हारने के बाद नीतीश कुमार ने राज्यपाल कोटे से विधान परिषद् भिजवाया (सीएम जीतन राम मांझी ने भेजा था प्रस्ताव) और फिर मंत्री भी बनवाया। लालू समर्थकों ने तब आरोप लगाया था कि नीतीश कुमार ने ही जेल भिजवाया।  एनडीए गठबंधन से लडऩे की बारी आई तो बीजपी, लोजपा, रालोसपा, हम ने गठबंधन बनाया और उधर जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस ने। सपा और एनसीपी ऐन समय पर टिकट बंटवारे से नाराज होकर महागठबंधन से अलग हो गई। असल बात ये कि लालू और नीतीश ने दुश्मनी भूल नरेन्द्र मोदी के राजनीतिक रथ का पहिया बिहार में रोक दिया। रथ दिल्ली में भी रूका था बीजेपी का लेकिन बिहार ने अलग ही मैसेज दिया। जिस लालू प्रसाद को चारा घोटाले में सजा हुई उस लालू प्रसाद के परिवार से दोनों बेटे चुनाव जीत गए। रामविलास पासवान के परिवारवाद को झटका लगा.

गांधी मैदान सब समझता है

पीएम की ताजपोशी के कुछ महीनों के बाद ही बिहार में विधानसभा चुनाव का आगाज हो गया। एक बार फिर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हुआ। नई शŽदावली के प्रयोग के साथ। गांधी मैदान को पता था उसके प्रांगण में फिर रणभेरी बजेगी और हुआ भी वही। 30 अगस्त 2015 को नीतीश-लालू और सोनिया गांधी ने 'स्वाभिमान रैलीÓ कर अपनी मंशा जाहिर कर दी थी। बताने की कोशिश थी युद्ध का आगाज हो चुका है और अंजाम का इंतजार रहेगा। लड़ाई लंबी चली। गांधी मैदान सब देखता, सुनता और समझता रहा। अंतत परिणाम आए तो गांधी मैदान को भी पता चल गया जय किसकी हुई और पराजय कौन हुआ. 

यादों की खुशबू

जय-पराजय का खेल खत्म हुए कुछ दिन हो गए तो गांधी मैदान इतिहास के लिए कुछ पन्ने सहजने को एक बार फिर तैयार हो गया है। शुक्रवार को यहां देश के कई बड़े राजनेता, विशेष आमंत्रित अतिथि, गणमान्य लोग पहुंचेंगे और नीतीश सरकार की नई कैबिनेट को पद और गोपनीयता की शपथ के गवाह बनेंगे। इन सबों में गांधी मैदान भी होगा। अपनी तमाम सजावट और यादों की खुशबू के साथ. 

९ मुख्यमंत्री करेंगे शिरकत 

जीत बड़ी है तो शपथ समारोह के सियासी मायने भी अहम होंगे। पटना का गांधी मैदान फिर सियासी  जमावड़े का गवाह बनेगा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश सिंह यादव, दिल्ली के अरविंद केजरीवाल और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री म मता बनर्जी समेत नौ राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने समारोह में शिरकत करने की सहमति दे दी है। अन्य मुख्यमंत्रियों में तरुण गोगोई (असोम), पीक   चामलिंग (सिक्किम), आइबोबी सिंह (मणिपुर), वीरभद्र सिंह (हिमाचल प्रदेश), नबम तुक्की (अरुणाचल प्रदेश) और सिद्धारमैया (कणर्् ााटक) शामिल हैं।

 

ये सियासी हस्तियां भी होंगी शामिल

कांग्र्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा, गुलाम नबी आजाद, शरद पवार, शरद यादव, चौधरी  अजीत सिंह, सीताराम येचुरी, मल्लिकार्जुन खडग़े, फारुख अŽदुल्ला, उमर अŽदुल्ला, शीला दीक्षित, भूपिंदर सिंह हुड्डा, शंकर सिंह बघेला, हेमंत  सोरेन, बाबूलाल मरांडी, अजीत जोगी, प्रफुल्ल पटेल, डॉ। प्रकाश अंबेडकर, अभय चौटाला, राम जेठमलानी।

शिवसेना के मंत्री भी करेंगे शिरकत 

महाराष्ट्र में भाजपा की सहयोगी शिवसेना के दो मंत्री भी समारोह में शिरकत करेंगे। रामदास कदम और  सुभाष देसाई ने आने की सहमति दे दी है। उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र में दोनों दलों में सब कुछ अच्छा नहीं चल रहा है और कई मुद्दों तनातनी  हो चुकी है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बिहार चुनाव के नतीजे के बाद नीतीश कुमार की तारीफ भी की थी।

और फिर एक हो गए लालू नीतीश

 इतिहास का पहिया घूमा और लालू-नीतीश फिर से एक हो गए। बीच में ऐसी दुश्मनी हुई कि लालू चारा घोटाले में फंसे और जेल गए। जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट से जल्दी सुनवाई करने का आग्रह किया उस ललन सिंह को लोकसभा का चुनाव हारने के बाद नीतीश कुमार ने राज्यपाल कोटे से विधान परिषद् भिजवाया (सीएम जीतन राम मांझी ने भेजा था प्रस्ताव) और फिर मंत्री भी बनवाया। लालू समर्थकों ने तब आरोप लगाया था कि नीतीश कुमार ने ही जेल भिजवाया।  एनडीए गठबंधन से लडऩे की बारी आई तो बीजपी, लोजपा, रालोसपा, हम ने गठबंधन बनाया और उधर जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस ने। सपा और एनसीपी ऐन समय पर टिकट बंटवारे से नाराज होकर महागठबंधन से अलग हो गई। असल बात ये कि लालू और नीतीश ने दुश्मनी भूल नरेन्द्र मोदी के राजनीतिक रथ का पहिया बिहार में रोक दिया। रथ दिल्ली में भी रूका था बीजेपी का लेकिन बिहार ने अलग ही मैसेज दिया। जिस लालू प्रसाद को चारा घोटाले में सजा हुई उस लालू प्रसाद के परिवार से दोनों बेटे चुनाव जीत गए। रामविलास पासवान के परिवारवाद को झटका लगा।