- इस वित्तीय वर्ष में अब तक एक भी नाव के लाइसेंस का नहीं हुआ नवीनीकरण

- गंगा में चलने वाली सभी नावें पूरी तरह अवैध, 12 महीने के लिए वैध होता है लाइसेंस

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VARANASI

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि गंगा में जितनी नावें चल रहीं हैं वो सभी अवैध हैं। क्योंकि इस वित्तीय वर्ष में किसी नाव के लाइसेंस का रिन्यूवल नहीं हुआ है। इससे नगर निगम को राजस्व का तो नुकसान हो रहा है लेकिन नावों की सवारी करने वालों की जान भी खतरे में है। हालांकि इसके लिए काफी हद तक निगम दोषी है। उसके पास कोई स्पष्ट बायलॉज नहीं होने से नवीनीकरण में दिक्कत हो रही है। नगर आयुक्त डॉ। नितिन बंसल ने बायलॉज बनाने के निर्देश दिए हैं। इसके बाद पंजीकरण और नवीनीकरण होगा।

संख्या और मालिक का पता नहीं

इसे विडम्बना ही कहें कि नावों के पंजीकरण को लेकर नगर निगम के पास सटीक जानकारी नहीं है। निगम प्रशासन को यह नहीं पता कि फिलहाल गंगा में कितनी नावें संचालित हो रही हैं और उनका मालिक कौन-कौन है। विभागीय सूत्रों की मानें तो इस बार नावों के रिन्यूवल के लिए आवेदन जब नगर आयुक्त के पास आए तो उन्होंने बॉयलाज मांगा। मातहतों से नौका संचालन के रूल्स, निर्धारित मानक, सुरक्षा के उपाय आदि बिन्दुओं पर जानकारी मांगी, लेकिन कोई नियम-प्रावधान नहीं बता सका। इसपर नगर आयुक्त ने नवीनीकरण पर रोक लगा दी।

संचालन को लेकर आए दिन विवाद

गंगा में नाव संचालन को लेकर प्रॉपर मॉनीटरिंग की व्यवस्था नहीं है। संचालन पर कोई कंट्रोल नहीं होने से वर्चस्व की होड़ में नाविकों के बीच घाटों पर आए दिन विवाद होते रहते हैं। बावजूद इसके जिम्मेदार अफसर चुप्पी साधे रहते हैं। अभी 11 मई को इसी विवाद के चलते सपा नेता प्रभुनाथ साहनी की हत्या कर दी गई थी। यही नहीं नावों पर सवारी करने वालों की सुरक्षा से संबंधित किसी तरह के साजो-सामान नहीं होते हैं। इसके चलते हर वक्त दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।

खूब चल रहीं मोटरबोट

नगर निगम सिर्फ नावों का रजिस्ट्रेशन करता है मोटरबोट का नहीं। कछुआ सेंचुरी के चलते गंगा में मोटरबोट संचालन पर वन विभाग ने रोक लगा रखी है, लेकिन धड़ल्ले से मोटरबोट का संचालन हो रहा है। नगर निगम के अफसरों ने इसकी छानबीन की जरूरत तक नहीं समझी। यह स्थिति तब है जबकि गंगा की लहरों पर नौकायन के लिए बड़ी संख्या में देसी-विदेशी सैलानी काशी आते हैं।

शुल्क लेकर रजिस्ट्रेशन का सिस्टम

नगर निगम हर साल नावों का नवीनीकरण करता है। इसकी अवधि 12 महीने के लिए होती है। हर वित्तीय वर्ष में नावों का रजिस्ट्रेशन कराने की व्यवस्था तय की गई है। लेकिन यह सिस्टम किन नियम-कायदों के हिसाब से है। इसके बारे में निगम प्रशासन को भी पता नहीं है। सिर्फ निर्धारित शुल्क लेकर रजिस्ट्रेशन व रिन्यूवल कराने की व्यवस्था है। पिछले साल करीब छह सौ नावों का रिन्यूवल किया गया था, लेकिन सूत्र बताते हैं कि इससे कई गुना ज्यादा नावों का संचालन होता है।

एक नजर

- 600 नावों का पिछले साल रजिस्ट्रेशन

- 84 घाट हैं गंगा किनारे

- 50 रुपया शुल्क छोटी नाव के रजिस्ट्रेशन का

- 100 रुपया शुल्क है बजड़े के पंजीकरण का

- 7 किलोमीटर एरिया जुड़ा है गंगा से

12 महीने नौका संचालन का मिलता है लाइसेंस

नाव संचालन से जुड़ा बायलॉज बन रहा है। जल्द ही सभी रूल्स तय कर लिए जाएंगे। फिर उन्हें वैधानिक तरीके से लागू कराया जाएगा। इसके बाद गंगा में बिना रजिस्ट्रेशन नावें संचालित नहीं होगी।

डॉ। नितिन बंसल, नगर आयुक्त