नहीं निकलेंगे राठौर, बिंद्रा और नारंग

सिटी में यूं तो कई निशानेबाज हैं, लेकिन फैसिलिटी न मिलने की वजह से वह कुछ भी कमाल नहीं दिखा पा रहे हैं। वहीं सिटी के मुकीम सिद्दीकी और सैफ स्टेट लेवल पर मेडल लाकर सिटी का नाम रोशन कर चुके हैं। अब सिटी में टैलेंटेड निशानेबाजों के होने के बावजूद खेल विभाग उदासीन रवैया अपना रहा है। फैसिलिटी के अभाव में सिटी से विश्व पटल पर इंडिया का नाम रोशन करने वाले राजवर्धन सिंह राठौर, अभिनव बिंद्रा और गगन नारंग जैसे प्लेयर्स कैसे निकलेंगे।

आर्चरी सिर्फ एक बार

गोरखपुर सिटी को स्टेट लेवल पर दो दर्जन से ज्यादा मेडल दिलाने वाला अर्चरी भी बस एक साल का महमान रहा। लेकिन इस एक साल की प्रैक्टिस ने ही सिटी को 6 नेशनल लेवल के प्लेयर दिए। जिन्होंने सिटी के लिए दर्जनों मेडल्स भी हासिल किए। इसके अलावा इंडियन अर्चरी टीम भले ही ओलंपिक में अपनी बेस्ट परफॉर्मेंस न दे पाई हो लेकिन यह गेम गोरखपुराइट्स का फेवरेट गेम बन चुका था और प्लेयर इस गेम में अपना करियर बनाने की सोच चुके थे। इस बात का अंदाजा मिले हुए मेडल्स और नेशनल लेवल पर हुए सेलेक्शन से लगाया जा सकता है।

सिटी में यूं तो टैलेंट की कहीं से कमी नहीं है। इस बात का अंदाज इससे लगाया जा सकता है कि बिना सुविधा मिले ही सिटी के प्लेयर्स स्टेट लेवल पर मेडल्स लेकर आए हैं। अगर उन्हें थोड़ी सी फैसिलिटी अवेलबल कराई जाए तो वह इंडिया के लिए जरूर मेडल जीतकर आएंगे।

- साएफ, शूटिंग गोल्ड मेडलिस्ट

खेल विभाग जैसे और गेम्स पर पैसे खर्च कर रहा है, वैसे ही जरा सा ध्यान निशानेबाजी की ओर दे तो सिटी में मेडल्स की बरसात होने लगेगी। सिटी में कई स्टेट लेवल पर मेडल्स पाए हुए खिलाड़ी मौजूद हैं। उन्हें अगर ठीक तरह से कोचिंग और सुविधाएं दी जाएं तो वह इंडिया की झोली में भी मेडल्स जरूर आएंगें।

- मुकीम सिद्दीकी, शूटिंग गोल्ड मेडलिस्ट

report by : Syed Saim Rauf