एनपीपीए ने कम कर दिए हैं 65 जरूरी दवाओं के दाम

एमआरपी पर अभी नहीं हुआ है चेंज, पब्लिक कर रही पूरा भुगतान

ALLAHABAD: डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, दर्द और इंफेक्शन के मरीजों के लिए राहत भरी खबर है। एनपीपीए (नेशनल फार्मास्युटिकल्स प्राइसिंग अथारिटी) ने इन बीमारियों की 65 दवाओं के दाम कर दिए हैं। यह फैसला दिसंबर माह में ही लिया गया है लेकिन फिलहाल मरीजों को कोई राहत नहीं है। उन्हें फायदे के लिए जनवरी का इंतजार करना होगा। फिलहाल पुरानी एमआरपी पर ही दवाएं बिक रही हैं।

दस से पंद्रह फीसदी का फायदा

दवाओं के आसमान छू रहे हैं। स्पेशली उन दवाओं के जो डायबिटीज, बीपी, दर्द और इंफेक्शन में राहत देती हैं। सरकार ने ऐसी 65 दवाओं की लिस्ट तैयार करायी। इसके बाद एनपीपीए ने इन दवाओं के दाम में 15 फीसदी तक कटौती करने का फैसला लिया है। इस संबंध में आदेश जारी कर दिए गए हैं। मार्केट में इन दवाओं की खपत बहुत अधिक है। लाइफ स्टाइल डिजीज होने के चलते अधिकांश मरीजों को रोजाना इन दवाओं का सेवन करना होता है। यह भी बता दें कि नवंबर तक एनपीपीए ने कुल 874 दवाओं के दाम कम किए थे।

रोजाना है तीन करोड़ का कारोबार

शहर में दवाओं का कारोबार रोजाना लगभग तीन करोड़ का है। इनमें से इन बीमारियों की दवाओं की बिक्री अधिक है। यही हाल देशभर का है। सरकार ने इस बात को ध्यान में रखते हुए 65 दवाओं के दाम कम कर दिए। लोकल दवा व्यापारियो का कहना है कि जनवरी तक नए एमआरपी की दवाएं आ जाएंगी। इसके बाद पुरानी एमआरपी की दवाएं कंपनी को वापस कर दी जाएंगी। एनपीपीए ने कहा है कि इन दवाओं के दाम कंपनियां साल में दस फीसदी से अधिक नही बढ़ा सकेंगी।

874

दवाओं के दाम नवंबर में घटाने का फैसला लिया था एनपीपीए ने

65

दवाओं का रेट घटाने के लिए लिस्ट जारी हुई है दिसंबर में

15

फीसदी तक कम होना है लाइफ सेविंग ड्रग्स का दाम

15

फीसदी से ज्यादा लिस्ट से बाहर की दवाओं के दाम नहीं बढ़ा सकती कंपनियां

03

करोड़ का है इलाहाबाद में प्रतिदिन दवा का कारोबार

इन बीमारियों की दवाओं पर नजर

डायबिटीज

ब्लड प्रेशर

पेन किलर

इंफेक्शन

दवा की कीमतों में क्यों होता है बदलाव?

एनपीपीए ड्रग्स ऑर्डर-2013 के तहत शेड्यूल-1 में आने वाली जरूरी दवाओं की कीमत तय करता है

सरकार जरूरत के हिसाब से जरूरी दवाओं की लिस्ट तैयार करती है

इसमें समय-समय पर नई दवाओं को शामिल किया जाता है

लिस्ट को नेशनल लिस्ट ऑफ एसेन्शियल मेडिसिन (एनएलईएम) कहा जाता है।

लिस्ट में शामिल दवाइयों को किफायती कीमत पर दिलाने की जरूरत होती है

इसलिए समय-समय पर कीमतें कम की जाती हैं।

इसका मकसद सभी ब्रांड की एक ही दवा की कीमत बराबर रखना है

जिससे कस्टमर्स अपनी सुविधा के अनुसार चुनाव कर सकें

दाम तो कम हो गए हैं लेकिन जनवरी में ही इसका फायदा मरीजों को मिलेगा। अभी कंपनी ने नई एमआरपी की दवाएं उपलब्ध नही कराई हैं।

परमजीत सिंह,

महासचिव, एसीडीए

बाक्स

जिले में पचास जनऔषधि केंद्र आवंटित

मरीजों को सस्ती दवाएं उपलब्ध कराने के लिए जिले में तेजी से प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र खोलने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। अभी तक कुल पचास केंद्र आवंटित हुए हैं। इनमें से दस शहर में और बाकी ग्रामीण इलाके में खोले जाने हैं। सरकारी हॉस्पिटल्स में जेनेरिक दवाओं के केंद्र खोलने की प्रक्रिया में सरकार से कोई नया आदेश नही है। सहायक आयुक्त औषधि केजी गुप्ता कहते हैं कि इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को आवंटन के संबंध में नए सिरे से गाइड लाइन बनाने को कहा है।