क्रिकेट समीक्षक उनमें भविष्य का बड़ा अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर बनने की तमाम संभावनाएं देख रहे हैं। उन्हें राहुल द्रविड़ के विकल्प के तौर पर भी देखा जा रहा है।

बीबीसी संवाददाता पवन नारा ने अजिंक्य रहाणे से जयपुर में लंबी बातचीत की। पेश है इस बातचीत के प्रमुख अंश:

सवाल- अजिंक्य टूर्नामेंट में आप काफी कामयाब रहे हैं। क्या अब मैदान में जाते समय पहले से ज्यादा जिम्मेदारी महसूस करते हैं?

रहाणे- मैंने सोचा भी नहीं था कि मुझे ऑरेंज कैप मिलेगी। लेकिन बहुत खुश हूं। और पूरी कोशिश करूंगा कि अपने प्रदर्शन को इसी तरह जारी रख सकूं। ताकि आखिर तक ऑरेंज कैप मेरे पास ही रहे। आईपीएल से पहले मैंने कुछ प्रैक्टिस गेम खेले थे, जिसमे मेरा आत्मविश्वास काफी बढ़ा था।

आपने आईपीएल-5 का एकमात्र शतक बनाया। लेकिन उसके पहले आप एक मैच में 98 रन बनाकर आउट हो गए थे। क्या कोई दुख था इस बात का?

हां, थोड़ा अफसोस तो हुआ था, क्योंकि शतक पूरा करना कौन नहीं चाहता। लेकिन उस मैच में हम जीत गए तो शतक ना बना पाने का ग़म दूर हो गया।

राजस्थान रॉयल्स का प्रदर्शन आईपीएल-5 में काफी अच्छा रहा है। टीम की कामयाबी की क्या वजह रही है?

टीम में इतने सारे अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी हैं, वो हम सब युवाओं को कुछ ना कुछ सिखाते रहते हैं। राहुल भाई हैं। उनसे इतना कुछ सीखने को मिलता है। तो यही सीनियर और युवा खिलाड़ियों का जो मेल है वो अहम साबित हो रहा है।

अब आपकी लोकप्रियता काफी बढ़ गई है। लोग आपको जानने लगे हैं। अब तो लोग ऑटोग्राफ भी मांगने लगे होंगे?

हां, ये सब तो होने लगा है। लेकिन मैं ये कभी नहीं भूलूंगा कि मुझे ये सब क्रिकेट की वजह से ही मिल रहा है। तो क्रिकेट हमेशा मेरा जुनून रहेगा। और मैं उसका लुत्फ हमेशा उठाता रहूंगा।

राहुल द्रविड़ जैसे महान खिलाड़ी के साथ ड्रेसिंग रूम शेयर करना कैसा अनुभव है?

बहुत ही बेहतरीन अनुभव होता है। मुझे उनके साथ ओपनिंग करने का मौका मिल रहा है। हर दिन राहुल भाई से कुछ नया सीखने को मिलता है। जब मैंने शतक लगाया तो उन्होंने बहुत ही गर्मजोशी से मुझे गले लगाया और कहा, शाबाश। ऐसे ही खेलते रहो।

आप सचिन तेंदुलकर की कप्तानी में मुंबई इंडियंस के लिए भी आईपीएल के पिछले सत्रों में खेल चुके हैं। सचिन से क्या कुछ सीखने को मिला?

सचिन भी राहुल की ही तरह मेरे रोल मॉडल हैं। ये दोनों ही क्रिकेट के महान खिलाड़ी आपको सिखाते हैं कि मैदान के अंदर और बाहर अपने आपको कैसे रखना चाहिए। दोनों से सीखने को मिलता है कि इतनी कामयाबी के बाद भी विनम्र कैसे रहा जाता है।

आपको कब महसूस हुआ कि क्रिकेट में ही आपको आगे बढ़ना है?

मैं अपने घर के बाहर गली में वैसे ही क्रिकेट खेलता था, जैसे सब खेलते हैं। तो मेरे पापा के पास काफी शिकायतें भी आती थीं। एक दिन मेरे पड़ोसी ने पापा से कहा कि आप इसे किसी क्रिकेट कोचिंग सेंटर में क्यों नहीं डाल देते क्योंकि मुझे इसकी तकनीक अच्छी लग रही है। तब पापा ने ये सोचकर मुझे कोचिंग में डाल दिया कि चलो इसकी थोड़ी एक्सरसाइज भी हो जाया करेगी और इसकी शिकायतें आनी भी बंद हो जाएंगी। लेकिन फिर धीरे धीरे मैं अच्छा खेलने लगा। ट्रायल गेम्स में मेरा प्रदर्शन बढ़िया रहने लगा। तो फिर मेरे घर पर भी गंभीरतापूर्वक क्रिकेट को मेरा करियर बनाने के बारे में सोचा जाने लगा।

आपके रोल मॉडल कौन रहे हैं?

क्रिकेट में सचिन तेंदुलकर और राहुल द्रविड़ और व्यक्तिगत जीवन में मेरे पापा। उन्होंने मेरी खातिर काफी कुछ त्याग किया। उन्होंने मुझे हर परिस्थिति में विनम्र रहना सिखाया और कहा कि चाहे कितने बड़े खिलाड़ी क्यों ना हो जाए इंसानियत के मूलभूत गुण कभी मत छोड़ना।

क्रिकेट सीखने के दौरान किस किस तरह की दिक्कतें पेश आईं?

मैं एक निम्न मध्यमवर्गीय परिवार से आया हूं। क्रिकेट किट खरीदने में काफी परेशानी होती थी। लेकिन मेरे मां-बाप ने घर के दूसरे खर्चों में कटौती करके मुझे हमेशा प्रोत्साहित किया। मेरे एक सर थे, जिनका नाम अरविंद कदम था। बाद में उन्होंने मुझे बैट और ग्लव्स दिलवाए।

बैटिंग करते समय आपकी क्या रणनीति रहती है?

मैं पहले से कोई योजना बनाकर नहीं जाता कि मुझे फलां तरीके से खेलना है या इतने रन बनाने हैं। मैं हर गेंद को उसकी मेरिट के हिसाब से खेलता हूं।

क्रिकेट एक उतार-चढ़ाव वाला खेल है। तो ऐसे में असफलताओं से कैसे निपटते हैं?

हमेशा अपने आपको काबू में रखना बहुत ज़रूरी है। शतक बनाने पर एकदम से बहुत खुश नहीं होना चाहिए और शून्य पर आउट होने पर बिलकुल निराश नहीं होना चाहिए।

आपकी तकनीक बेहद मजबूत मानी जाती है और लोग आपको राहुल द्रविड़ से तुलना करते हैं। ये सुनकर कैसा लगता है?

राहुल द्रविड़ बहुत बड़े खिलाड़ी हैं। मैंने अभी क्रिकेट बस शुरू ही की है। मेरी तुलना उनसे नहीं करनी चाहिए।

आईपीएल के बाद टी-20 विश्व कप भी आने वाला है। आपको भारतीय टीम में चुने जाने की उम्मीद है?

मैं अभी इस बारे में नहीं सोच रहा हूं। अभी मैं आईपीएल में खेल रहा हूं। हर दिन एक नया दिन होता है। बस मूल बात ये है कि मेरे पैर जमीन पर ही रहे और रोज कुछ ना कुछ सीखूं।