-हर साल 40 से 45 सेमी। गिर रहा है वॉटर लेवल -पानी के दोहन पर रोक के लिए अभी तक नहीं बन सकी कोई ठोस नीति
ALLAHABAD: जल ही जीवन है। यह कहने में तो अच्छा लगता है कि पानी की बर्बादी को रोकने के लिए कोई भी आगे नहीं आ रहा है। न तो आम जनता और न ही सिस्टम। रोजाना हजारों लीटर पानी वेस्ट हो जाता है। कहीं पाइप लाइन खराब है तो कहीं गैराज में कार और बाइक धोने में पानी की बर्बादी होती है। ऐसा ही रहा तो आने वाले समय में एक-एक बूंद के लिए लोग तरसेंगे।
कैसे लगेगी बर्बादी पर रोक
वाटर लेवल लगातार कम हो रहा है। भूगर्भ जल विभाग की रिपोर्ट बताती है कि हर साल 40 से 45 सेमी हर साल जलस्तर गिर रहा है। इसका कारण साफ है। शहर में प्रतिदिन पानी की खपत 260 एमएलडी है और यमुना में महज 55 से 75 एमएलडी पानी ही दिया जाता है। बाकी जल की आपूर्ति भूगर्भ जल से होती है। खुद विभाग का मानना है कि जितनी सप्लाई होती है, उसका 20 से 30 फीसदी वेस्ट हो जाता है, जिस पर लगाम लगाना मुश्किल हो रहा है।
इन पर नहीं होती है कार्रवाई
शहर के प्रत्येक मोहल्ले में गैराज मौजूद हैं। यहां सुबह से शाम तक कार-बाइक की धुलाई में हजारों लीटर पानी की बर्बादी की जाती है। यह पानी या तो पाइप लाइन से लिया जाता है या सबमर्सिबल के जरिए धरती के भीतर से खींचा जाता है। इस पानी की मात्रा कुल सप्लाई की तीस फीसदी तक होती है। इसी बर्बादी का एक बड़ा हिस्सा टूटे नलों और लीकेज पाइप लाइन से भी निकलता है।
नहीं बनी यह रणनीति
पूर्व में जल संस्थान ने सबमर्सिबल की बढ़ती संख्या पर लगाम लगाने के लिए नए नियमों का हवाला दिया था। लेकिन, ग्राउंड लेवल पर कुछ नहीं हुआ। अभी भी धड़ल्ले से शहर में जगह-जगह नए सबमर्सिबल लगाए जा रहे हैं। अगर इन पर लगाम नहीं लगाई तो जिले का वॉटर लेवल काफी नीचे चला जाएगा और लोगों को पेयजल की सप्लाई मुश्किल हो जाएगी।
इनपर भी दें ध्यान
-16 लाख है शहर की आबादी।
-40 से 45 सेमी हर साल गिर रहा जलस्तर।
- 1X5 लीटर रोजाना प्रति व्यक्ति औसतन खर्च।
-72- 75 प्रतिशत शहर में जलापूर्ति।
-260 मिलियन लीटर शहर में पानी की रोजना खपत।
ऐसे करें पानी की बचत
-बाथरूम में नहाते वक्त पानी का कम करें इस्तेमाल।
-टूथब्रश करते वक्त नल को खुला न छोड़ें।
-वाहन धोते वक्त पाइप की बजाय बाल्टी का इस्तेमाल करें।
-घर के बाहर रोड पर पानी का छिड़काव न करें।
-स्टोर किए गए पानी को मत बहाए
-वाहनों धुलने में हर रोज पानी न यूज करें।
वर्जन
शहर में जितने पेयजल की आवश्यकता है, उतनी आपूर्ति की जा रही है। पानी की बर्बादी को रोकने के लिए अमृत योजना के तहत पाइप लाइन बदलने का काम चल रहा है। वहीं जिन घरों में कनेक्शन नहीं है, उन्हें कनेक्शन दिया जा रहा है।
अजय कुमार सक्सेना
जीएम, जलकल
इलाहाबाद