RANCHI: अब शराबियों और नशेडि़यों को स्कूल बसों की कमान नहीं सौंपी जाएगी। स्कूली वाहनों से बच्चों के दुर्घटनाग्रस्त होने की घटनाओं में आई तेजी को देखते हुए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने जिला प्रशासन एवं स्कूल प्रबंधनों को मोटर वाहन कानून के संबंधित प्रावधानों को प्रभावी ढंग से लागू करने का सख्त निर्देश जारी किया है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने कहा है कि हाल के दिनों में स्कूल की बसों और कैब के दुर्घटनाग्रस्त होने की घटनाएं बढ़ी हैं। यह भी पाया गया है कि ज्यादातर हादसे चालकों की लापरवाही और मोटर वाहन कानून 1988 के संबंधित प्रावधानों का पालन नहीं किये जाने की वजह से होते हैं। इन मामलों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

5 साल का अनुभव जरूरी

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के निर्देश के बाद अब मोटर वाहन कानून 1988 के संबंधित प्रावधानों के मापदंडों के अधार पर ही स्कूल या निजी शैक्षणिक संस्थान अपने यहां वाहन रख सकेंगे। साथ ही स्कूलों में चालक के रूप में पांच साल का अनुभव रखनेवाले ही स्कूल वाहन चालक बन सकेंगे। नियम के तहत वाहन के खलासी को वाहन एवं आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षिण अनिवार्य रूप से लेना होगा। ताकि दुर्घटना के वक्त बच्चों को बचाने में खलासी सक्षम हो।

सख्ती के बाद स्कूल प्रबंधन में हड़कंप

स्कूल वाहनों को लेकर काननू के सख्ती से पालन के संबंध में राज्य के सभी स्कूलों के प्रबंधकों एवं प्राचायरें को नोटिस भेजा गया है, ताकि वे लोग अपने यहां नियमों के अधीन ही वाहनों के ड्राइवर, खलासी और दूसरे कर्मचारियों की नियुक्ति करें।

गोद में बिठाया तो जाएंगे जेल

स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर राज्य बाल सरंक्षण आयोग की अध्यक्ष आरती कुजूर ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा को लेकर झारखंड बाल संरक्षण आयोग गंभीर है। स्कूली बच्चे स्कूल वाहन में सुरक्षित रहें, इसके लिए आयोग प्रयास कर रहा है। नियम के तहत बच्चों को अब कोई स्टाफ टच भी नहीं कर सकता है और न कोई गोद में बैठा सकता है। ऐसा करने पर उन्हें जेल हो सकती है।

क्या हैं नियम

-वाहन शैक्षणिक संस्था के नाम से पंजीकृत होना आवश्यक है।

-निजी ऑपरेटर भी अपने वाहन को स्कूल मानक के अनुसार पंजीकरण कराकर स्कूल बस के रूप में प्रयोग कर सकते हैं।

-क्रमांक संख्या पर अंकित बसों को स्कूल में संचालन के लिए कांट्रैक्ट कैरेज का परमिट लेना अनिवार्य होगा।

-प्रत्येक स्कूल बस के आगे व पीछे मोटे और बड़े अक्षरों में स्कूल बस लिखना होगा।

-स्कूल में अनुबंधित बसों पर ऑन स्कूल ड्यूटी लिखना अनिवार्य होगा।

-स्कूल बसों पर स्कूल का नाम एवं संपर्क नबंर लिखना होगा।

-स्कूल बसों की अधिकतम आयु 15 वर्ष होगी।

-प्रत्येक स्कूल बस में बच्चों की सूची नाम व पता, ब्लड ग्रुप और रूट चार्ट उपलब्ध रहेगा।

-प्रत्येक स्कूल बस में चालक के अलावा यथास्थिति अनुभवी पुरुष एवं महिला सहायक तैनात रहेंगे, जो बच्चों की सुरक्षा का ध्यान रखेंगे।

-स्कूल बस के चालक और सहायक को ड्यूटी के समय निर्धारित ड्रेस पहनना अनिवार्य होगा।

-स्कूल बस का रंग गोल्डेन येलो विद ब्राउन या ब्लू लाइनिंग का होगा।

-स्कूल बस के स्टॉप का पुलिस सत्यापन अनिवार्य होगा।

-स्कूल बस के चालक एवं खलासी बच्चों को अनचाहे तरीके से छू नहीं सकते हैं और न ही सफर के दौरान उन्हें गोद में बिठा सकते हैं।

वर्जन

बच्चों की सुरक्षा को लेकर आयोग गंभीर है और इस पर लगातार मानिटरिंग करता रहेगा। हाल के दिनों में स्कूल बसों की दुर्घटनाओं में लगातार इजाफा हुआ है, जो चिंताजनक है।

आरती कुजूर, अध्यक्ष, बाल संरक्षण आयोग, झारखंड