- शहर के कई इलाकों में बांस-बल्ली पर खींचे गए हैं केबिल

- बिजली विभाग की तमाम कवायदों के बाद भी नहीं लग पाए पोल

GORAKHPUR: आप सिटी में रहते हैं लेकिन नगर निगम एरिया का हिस्सा होकर भी बिजली जलाने के लिए बांस-बल्ली का सहरा लेना पड़े तो कैसा लगेगा। यही गोरखपुर शहर के दर्जनों मोहल्लों की हकीकत है। जहां बिजली विभाग की लाख कवायदों के बावजूद आज तक बिजली पोल तक नहीं लग सके हैं। जिसका नतीजा है कि बराबर बिजली बिल जमा करने के बावजूद सैकड़ों कंज्यूमर्स को बिजली का इस्तेमाल करने के लिए बांस-बल्ली का सहारा लेना पड़ रहा है।

शहर में बनाया मकान, सुविधा रुरल वाली भी नहीं

तारामंडल एरिया के बुद्ध बिहार पार्ट सी, विकास नगर, पादरी बाजार और चरगांवा जैसे तमाम एरियाज हैं जहां बहुत से लोगों ने आसपास एरिया से आकर मकान बनवाए। लेकिन जब बिजली कनेक्शन लेने की बारी आई तो पता चला कि घर बिजली पोल से 40 मीटर दूर है। इसी कारण ऐसे लोगों को किसी तरह बांस-बल्ली के सहारे कनेक्शन मिल सका। बिजली विभाग का नियम है कि पोल से 40 मीटर के दायरे के बाहर कनेक्शन नहीं दिया जा सकता। अगर कनेक्शन लेना है तो पहले बिजली विभाग में नया पोल लगवाने के लिए आवेदन करना होगा। एक पोल लगाने में तकरीबन 20 हजार रुपए खर्च आता है। इसके बाद बिजली विभाग पोल व तार लगावाएगा फिर कनेक्शन जारी हो सकेगा। लेकिन अधिकारियों के खूब चक्कर लगान के बावजूद ऐसे सैकड़ों कंज्यूमर्स को आज तक एक अदद बिजली पोल नहीं नसीब हो सका।

कटे तार बन रहे जान के लिए खतरा

शहर के दर्जनों मोहल्लों में बांस-बल्ली के सहारे बिजली सप्लाई की जा रही है। इसके लिए कंज्यूमर्स ने केबिल खींचा है। आंधी या वाहनों में फंसने के कारण ज्यादातर केबिल कई जगहों पर टूट चुकी है। जहां केबिल टूटी है वहां लोगों ने उसे जोड़ तो दिया पर टेप नहीं लगाया है। इसके चलते ये कटे तार आए दिन हादसों की वजह भी बन जा रहे हैं। बुद्ध विहार पार्ट सी का हाल ही देख लीजिए। यहां बीच सड़क कई जगह केबिल कटी हुई है। केबिल इस तरह से झूल रही है कि कोई भी खड़ा होकर आसानी से पकड़ सकता है। दो पहिया वाहन चालकों के लिए मुसीबत ज्यादा होती है। बड़ा वाहन होने पर परिवार के लोगों को बांस से केबिल को उठाना पड़ता है।

पोल का पैसा दो नहीं तो लगवाओ जुगाड़

मकान के लिए कनेक्शन लेने के इच्छुक लोगों को पहले नया पोल लगवाने के लिए सरकारी खर्च बताया जाता है। जब वह इतने रुपए देने में असमर्थता जताते हैं तो जुगाड़ की बात शुरू होती है। वहीं, बांस-बल्ली के सहारे बिजली सप्लाई से खतरा भी बहुत ज्यादा है। कभी वाहन तो कभी आंधी के कारण केबिल टूटते रहते हैं। इनकी चपेट में आकर कई लोग झुलस चुके हैं। बिजली निगम के अफसरों से लोग बांस-बल्ली हटवाने की गुहार भी लगाते हैं लेकिन वह बजट न होने की बात कहकर कंज्यूमर्स से ही रुपए जमा करने को कहते हैं।

इन इलाकों में बांस-बल्ली के सहारे जल रही बिजली

बुद्ध विहार पार्ट सी

विकास नगर

पादरी बाजार

चरगांवा

मुगलहा

जंगल तुलसी पश्चिमी

सरस्वतीपुरम

जंगल बेनी माधव

नोट - सिटी के अन्य आउटर वार्डो में भी है दिक्कत

कोट्स

बुद्ध विहार पार्ट सी में बांस-बल्ली के सहारे केबिल घरों तक पहुंचाए गए हैं। इसके चलते आंधी आने पर लोगों को दिक्कत होती है। बरसात के दिनों में लोगों को सबसे ज्यादा परेशानी होती है।

- गदाधारी चंद

बिजली पहुंचाने के लिए पोल नहीं लगे हैं। यहां बांस-बल्ली पर झूलते केबिल हादसों को न्योता द रहे हैं। शिकायत के बाद भी निगम नहीं सुनता।

- प्रेम नारायण तिवारी

बिजली पोल लगवाने के लिए कई बार बिजली ऑफिस में शिकायत की गई लेकिन आज तक कोई कदम नहीं उठाया गया।

प्रवीण दूबे

तेज हवा चलने पर बांस टूट जाते हैं। इससे हादसे की आशंका बनी रहती है। केबिल टूटने से बिजली सप्लाई अक्सर बाधित हो जाती है।

अनूप श्रीवास्तव

वर्जन

लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए हर संभव कोशिश की जा रही है। जहां कभी भी बिजली के पोल नहीं हैं, सर्वे कराकर इसे लगवाने की कोशिश की जाएगी।

- उमेश चंद वर्मा, एसई विद्युत वितरण निगम शहर