- स्टूडेंट्स से फीडबैक लेकर नहीं कराया जाता है यूनिवर्सिटी में कोई काम

- नैक ग्रेडिंग में सबसे ज्यादा अहम पार्ट है स्टूडेंट्स फीडबैक

- रजिस्ट्रार ऑफिस में लगा बॉक्स बना शो-पीस

GORAKHPUR: डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी में भले ही नैक मूल्यांकन कराने की तैयारी शुरू होने को हो, लेकिन अगर हकीकत परखी जाए और इस वक्त नैक ग्रेडिंग के लिए यूनिवर्सिटी अप्लाई कर दे, तो उन्हें 'सी' से भी बदतर ग्रेड मिलना तय है। ऐसा इसलिए कि यूनिवर्सिटी में जो तैयारियां हैं, वह सिर्फ कागजी पन्नों में हैं, जबकि हकीकत में सबकुछ हवा-हवाई ही है। नैक की लिस्ट में शामिल सबसे अहम पहलू है स्टूडेंट्स का फीडबैक और उसके अकॉर्डिग हुए वर्क, लेकिन गोरखपुर यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट्स की डिमांड के मुताबिक वर्क होना तो दूर, यहां फीडबैक की भी कोई व्यवस्था नहीं है। इसकी वजह से न स्टूडेंट्स का फीडबैक लिया जाता है और न ही उनके हिसाब से कोई काम होता है। जबकि नैक मूल्यांकन के दौरान आने वाले एक्सप‌र्ट्स भी स्टूडेंट्स से ही फीडबैक लेते हैं और उसी के अकॉर्डिग यूनिवर्सिटी को मा‌र्क्स मिलता है।

रजिस्ट्रार ने की पहल लेकिन बेअसर

गोरखपुर यूनिवर्सिटी में फीडबैक की व्यवस्था की पहल हुई, लेकिन कभी भी यह कामयाब नहीं हो पाई है। पूर्व वीसी रहे प्रो। पीसी त्रिवेदी ने स्टूडेंट्स के फीडबैक लेने के लिए जगह-जगह बॉक्स लगवाए थे, जिसके जरिए उन्होंने स्टूडेंट्स के सजेशन और कंप्लेन आमंत्रित किए, लेकिन चंद महीने व्यवस्था चलने के बाद यह फेल हो गई। बॉक्स भी अनदेखी की वजह से टूट-फूट गए, जिससे फीडबैक की व्यवस्था बिल्कुल बंद हो गई। अभी कुछ माह पहले रजिस्ट्रार ने इसको लेकर पहल की और अपने ऑफिस के पास ही एक फीडबैक कम सजेशन बॉक्स लगवाया, लेकिन यहां स्टूडेंट्स की आवाजाही कम होने की वजह से काफी कम कंप्लेन आई और इसका भी यूनिवर्सिटी को खास फायदा नहीं मिल सका।

फीडबैक से स्टूडेंट्स को फायदा

यूनिवर्सिटी की व्यवस्था सुधारने के साथ ही स्टूडेंट्स को बेहतर फैसिलिटी प्रोवाइड कराने के लिए फीडबैक व्यवस्था सबसे बेहतर ऑप्शन हैं। इससे न सिर्फ यूनिवर्सिटी में आए दिन होने वाले विरोध और प्रदर्शन पर ब्रेक लगता, बल्कि यूनिवर्सिटी का माहौल भी खराब नहीं होता। लेकिन जिम्मेदारों ने कभी इसे सीरियस नहीं लिया, जिसकी वजह से फीडबैक जैसी व्यवस्था हो ही नहीं सकी। इसका ही नतीजा है कि जब व्यवस्था पूरी तरह से पटरी से उतर जाती है तो यूनिवर्सिटी के जिम्मेदारों को आए दिन स्टूडेंट्स का विरोध झेलना पड़ता है। जबकि अगर वह फीडबैक पर प्रॉपर वे में काम करते तो उन्हें इसका काफी फायदा मिलता और प्रॉब्लम प्राइमरी फेज में ही डायग्नोज हो जाती और स्टूडेंट्स को ज्यादा मुसीबत नहीं झेलनी पड़ती।

बॉक्स

सिर्फ लाइब्रेरी ने बचा रखी है लाज

गोरखपुर यूनिवर्सिटी में फीडबैक की बात करें तो यह व्यवस्था सिर्फ लाइब्रेरी में मौजूद है। इसमें स्टूडेंट्स न सिर्फ जरूरी किताबों के लिए अपनी लिस्ट दे सकता है, बल्कि अगर उन्हें किसी तरह की दिक्कत है तो इसके लिए भी वह लाइब्रेरी में अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है। उनकी बातों पर तत्काल एक्शन भी होता है। वहीं खास बात यह है कि पिछले सेशन में यूनिवर्सिटी ने जो किताबें परचेज की हैं, उसमें से करीब 20 प्रतिशत किताबें स्टूडेंट्स की डिमांड के अकॉर्डिग मंगवाई गई हैं।

वर्जन

फीडबैक व्यवस्था बहुत जरूरी है। यह लाइब्रेरी में मौजूद है। आगे सभी विभागों में भी इसकी व्यवस्था की जाएगी, जिससे ज्यादा से ज्यादा तादाद में स्टूडेंट्स का फीडबैक लेकर यूनिवर्सिटी में और बेहतर पठन-पाठन का माहौल बनाया जाएगा।

- प्रो। एसके दीक्षित, प्रो-वाइस चांसलर, डीडीयूजीयू