-बाढ़ में फंसे लोगों में वीआईपी को मिल रही है ट्रीटमेंट

- सामान्य लोगों की पुकार नहीं सुन रहे बचावकर्मी

PATNA (2 Oct):

अगर आप पटना के जलजमाव वाले इलाकों में फंसे हैं और आपको राहत चाहिए तो वीआईपी बन कर बात करने पर ही आपके पास सहायता पहुंचेगी। सामान्य नागरिक बनकर बात करने से काम नहीं चलेगा। ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि जलजमाव में फंसे पटनाइट्स का कहना है। रेस्क्यू टीम और नगर निगम के हेल्पलाइन नंबर पर जहां आम लोगों की फरियाद आने पर घंटों कोई सुनवाई नहीं होती वहीं वीआईपी या प्रेस बोलने पर 10 मिनट में राहत कार्य पहुंच जाता है। नगर निगम और एनडीआरएफ के इस रवैए से जहां एक तरफ लोगों को घंटों इंतजार करना पड़ रहा है वहीं इससे विभाग की असंवेदनशीलता और कार्य में भेदभाव करने का पता चलता है। आप भी जानिए कुछ पटनाइट्स के अनुभव के माध्यम से कि कैसे चल रहा है राहत और बचाव कार्य।

केस 1

दिनकर गोलंबर के पास एक बिल्डिंग में रहने वाली छात्रा अनुपमा बताती हैं कि जलजमाव के दौरान दो दिन से फंसी एक महिला की तबियत अचानक खराब हो गई। एनडीआरएफ की टीम को जब फोन कर रेस्क्यू के लिए बोट मांगी गई तो उन लोगों ने इंकार कर दिया। काफी मिन्नतों के बाद भी जब नाव नहीं भेजा गया तो मैंने मीडिया का नाम लिया और कहा कि फोन रिकॉर्ड हो रहा है। इसके बाद तुरंत उन लोगों ने पता पूछा और 5 मिनट के अंदर टीम आकर महिला को ले गई । ये सुविधा क्या आम लोगों के लिए नहीं है।

केस 2

राजीव नगर रोड नंबर 6 निवासी संदीप बताते हैं कि हमारे इलाके में पानी जमा है। सोमवार को ही जलनिकासी के लिए निगम को शिकायत की गई। पानी सड़ने के बाद बदबू देने लगा है लेकिन शिकायत दर्ज होने के दो दिनों बाद भी न तो निगम की टीम आई है न ही कोई फोन ही आया। अभी पीने के पानी की पूरे इलाके में समस्या है लेकिन निगम के अधिकारियों का इस ओर कोई ध्यान नहीं है।

केस 3

एस के पुरी स्थित एक ग‌र्ल्स लॉज में रहने वाली सुरभि कहती हैं कि हमारे कॉलोनी में पानी लगा था। हमने सोमवार को बारिश रुकने के बाद ही हेल्पलाइन नंबर पर कॉल कर पानी निकलवाने की शिकायत की । लेकिन पूरे दिन कोई नहीं आया। वहीं शाम में मैने रुममेट के नंबर से जब ये कहा कि मैं एक जज के घर से बात कर रही हूं तो आधे घंटे बाद शाम में ही निगम की गाडि़यां पानी निकालने के लिए आ गईं। बार-बार मेरे नंबर पर वापस कॉल भी आने लगा कि पानी निकल रहा है या नहीं, टीम आई या नहीं। हमारा मकान पूर्व जज का है, लेकिन वो अभी शहर में नहीं हैं। इसलिए हमने झूठ बोला लेकिन अब लगता है कि वीआईपी होने पर ही यहां पर कार्रवाई होती है।

- फोन रिसिव नहीं कर रहे जिम्मेदार

जब इस मामले को लेकर जिम्मेदार अधिकारियों से बात करने की कोशिश की गई तो ज्यादातर ने फोन रिसिव ही नहीं किया तो कुछ का नॉट रिचेबल मिला।