डॉक्टर्स की कमी कैंसर रोगियों पर पड़ रही भारी

- मरीजों को दी जा रही अक्टूबर केबाद ही डेट

- हर बार भर्ती होने के लिए दी जाती है अगले हफ्ते की डेट

LUCKNOW: केस1: सिर में ट्यूमर की समस्या से पीडि़त आमिना (40) पिछले तीन हफ्ते से हर शुक्रवार को ऑपरेशन के लिए बुलाया जाता है। लेकिन हर बार उन्हें अगले हफ्ते भर्ती की तारीख देकर लौटा दिया जाता है। ऑपरेशन न हो पाने के कारण उनकी हालत दिन पर दिन बिगड़ रही है।

केस2: गीता (35)गले के ट्यूमर से जूझ रही हैं। उन्हें भी पिछले कई हफ्ते से लौटाया जा रहा है। हर बार वह ऑपरेशन की आस में आती हैं लेकिन उन्हें भर्ती के लिए बेड नहीं मिल पा रहा। जबकि उनकी हालत दिन पर दिन बिगड़ती जा रही है।

लगातार लौटा रहे मरीज

डॉ। राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के न्यूरो सर्जन और नर्सेज की कमी मरीजों पर भारी पड़ रही है। सामान्य बीमारियों के साथ ही कैंसर के मरीजों को भी बेड उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। एक दो नहीं दर्जन भर मरीजों को हर हफ्ते बेड की कमी के चलते वापस कर दिया जाता है। हर बार अगले हफ्ते की मिलने वाली डेट मरीजों की समस्या दूर करने की बजाए दर्द बढ़ा रही है।

अक्टूबर के बाद आएगा नंबर

डॉ। राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के न्यूरो सर्जरी विभाग में वेटिंग का यह आलम है कि नए मरीजों को अक्टूबर के बाद की ही डेट मिल पा रही है। कोई भी नया मरीज आने पर उसे अक्टूबर केबाद ही ऑपरेशन की जानकारी दी जाती है। हालांकि सीरियस मरीज इतने लंबे समय तक इंतजार नहीं कर सकते।

संसाधनों की कमी पड़ रही भारी

न्यूरो सर्जरी विभाग में मौजूदा समय में मात्र 20 बेड हैं। लेकिन मरीजों की संख्या कही ज्यादा जिसके चलते ये बेड कभी खाली नहीं हो पाते। विभाग की ओटी में मात्र एक टेक्नीशियन है, जो संविदा पर तैनात है। विभाग में डॉ। कैफ, डॉ। डीके सिंह और डॉ। कुलदीप यादव ही फैकल्टी हैं। पूरे वार्ड में 9 नसर्ें तैनात हैं, जबकि चार आपरेशन थियेटर में हैं। जबकि जानकारों के अनुसार विभाग में करीब 30 बेड और बढ़ने चाहिए। इसके हिसाब से 17 नर्सेज की भर्ती होनी चाहिए। ओटी में दो और टेक्नीशियन की नियुक्ति हो तब जाकर ये वेटिंग लिस्ट कम होगी।

विभाग में संसाधनों की कमी है जिसके चलते गंभीर मरीजों को भी भर्ती करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

डॉ। डीके सिंह, न्यूरो सर्जरी विभाग, लोहिया संस्थान