- सिटी में कई जगह नहीं लगे हैं डस्टबिन, जहां व्यवस्था वहां भी साइज इतना छोटा कि सड़क पर फैली रहती गंदगी

- दैनिक जागरण आई नेक्स्ट और रेडियो सिटी की ओर से जारी कैंपेन में खुली सफाई व्यवस्था की पोल

GORAKHPUR: स्वच्छता सर्वेक्षण में बेहतर रैंकिंग के दावे करने वाला गोरखपुर नगर निगम शहर का बुनियादी सफाई ढांचा तक नहीं सुधार पा रहा। भले ही जिम्मेदार कूड़ा निस्तारण के बड़े-बड़े दावे कर रहे हों, लेकिन गली-मोहल्लों की हकीकत कुछ और ही बयां करती नजर आ रही है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट व रेडियो सिटी की ओर से जारी कैंपेन 'बिन में फेंक' में लगातार इन दावों की पोल खुलती जा रही है। मंगलवार को भी टीम सिटी के विभिन्न एरियाज में सफाई व्यवस्था का हाल जानने निकली। सभी जगह कूड़ा निस्तारण तो दूर दिखावे के लिए रखे गए डस्टबिन का भी कोई मतलब समझ नहीं आया। पब्लिक की मानें तो मोहल्ले का जितना कूड़ा निकलता है उसके हिसाब से डस्टबिन भी छोटा पड़ जाता है। सड़क पर गंदगी का अंबार देख टीम ने पब्लिक से अपील की कि वह कूड़े को सड़क पर न फेंकें बल्कि डस्टबिन का ही इस्तेमाल करें।

सिविल लाइंस

मंगलवार दोपहर करीब क्ख्.फ्0 बजे टीम सिविल लाइंस एरिया के पीडब्ल्यूडी ऑफिस के पास पहुंची। सामने ही सड़क के किनारे कूड़े का ढेर लगा हुआ था। कूड़ा फेंकने के लिए डस्टबिन तो था लेकिन टूटा हुआ। कुछ कचरा डस्टबिन के अंदर था तो ज्यादातर गंदगी सड़क किनारे ही फैली पड़ी थी। आसपास के लोगों से बात की गई तो सभी का कहना था कि डस्टबिन बड़ा होता तो कूड़ा उसमें फेंका भी जाता। लेकिन दिखावे के डस्टबिन में कूड़ा कहां फेंका जाए। इसकी कंप्लेन भी की जाती है लेकिन नगर निगम के जिम्मेदार ध्यान ही नहीं देते।

असुरन चौक

जब टीम असुरन चौक स्थित विष्णु मंदिर के पास पहुंची तो सड़क किनारे कूड़ा फेंका नजर आया। दुकानदार अपनी दुकान के कूड़े को सड़क पर ही फेंकते नजर आए। लोगों का कहना है कि एरिया में डस्टबिन भी रखा गया था लेकिन पब्लिक उसमें कूड़ा भी नहीं डालती थी। जबकि कूड़ा फेंकने के लिए डस्टबिन का इस्तेमाल होना चाहिए।

डीवीएनपीजी कॉलेज रोड

कैंपेन के तहत जब टीम डीवीएनपी कॉलेज रोड से इंदिरा बाल विहार तिराहे की तरफ बढ़ी तो तमाम पटरी व्यवसायी अपनी दुकानें सजाए मिले। कॉलेज और स्कूल गोइंग स्टूडेंट्स भी अपने पसंदीदा डिशेज चाव से खाते नजर आए। लेकिन डस्टबिन न होने के कारण लोग सड़क पर ही गंदगी फैला रहे थे। जबकि पटरी व्यवसायियों ने खुद जुर्माने के डर से थर्माकोल के बने डस्टबिन रखे हुए हैं लेकिन कोई उसका यूज नहीं करता।

कोट्स

निश्चित तौर पर सफाई हो रही है लेकिन लोग गंदगी भी फैलाने से बाज नहीं आ रहे। जगह-जगह डस्टबिन भी रखे गए हैं लेकिन डस्टबिन छोटे साइज के हैं जिनका यूज समझ से परे है।

दीपक कुमार

डस्टबिन का इस्तेमाल बिलकुल होना चाहिए लेकिन डस्टबिन भी तो होना चाहिए। आखिर लोग कूड़ा फेंकें तो कहां फेंकें। डस्टबिन बड़े साइज का हो तो उसका इस्तेमाल भी हो।

राजन

ये कैंपेन बेहद प्रशंसनीय है। सफाई कर्मचारी तो दिखाई देते हैं लेकिन लोगों को भी जागरूक होने की जरूरत है। डस्टबिन जहां रखा हो उसका इस्तेमाल भी होना चाहिए।

शुभम