- सीएम ने कानपुर में पॉवर क्राइसिस का ठीकरा केन्द्र सरकार पर फोड़ा

- कहा-कोयला नहीं मिलने की वजह से नहीं हो पा रहा बिजली उत्पादन

- शहर की बदहाल सड़कों का जिम्मेदार भी केन्द्र सरकार को ठहराया

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KANPUR : अगर आप शहर में अंधाधुंध हो रही बिजली कटौती और धड़ाधड़ फॉल्ट्स से परेशान हो चुके हैं तो दिल थामकर बैठिए। क्योंकि आने वाले दिनों में हालात इससे भी बदतर हो सकते हैं। बिजली संकट से निजात मिलने की कोई उम्मीद नहीं है। क्यों खुद चीफ मिनिस्टर ने भी बिजली संकट पर अपने हाथ खड़े कर लिए हैं और इसके लिए पूरी तरह से केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। सड़कों के हालात पर भी कुछ यही हाल है।

टूट गई उम्मीद

कानपुराइट्स को जबरदस्त पॉवर क्राइसिस से जूझना पड़ रहा है। टेम्परेचर 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है, लेकिन दिन में ही नहीं आधी रात को भी 2 से 2.30 घंटे तक बिजली कटौती हो रही है। इसके बाद फाल्ट, ट्रांसफॉर्मर जलने, अंडरग्राउंड केबल फाल्ट के कारण घंटों बिजली गुल रहती है। कुल मिलाकर इस भीषण गर्मी में लोगों को ना तो दिन में चैन मिल पा रहा है और ना ही रात में सुकून की नींद मिल रही है। पब्लिक अपना गुस्सा केस्को सबस्टेशनों में प्रदर्शन, तोड़फोड़, तालाबन्दी और रोड जाम करके निकाल रही है। अब तो लोगों का गुस्सा केस्को से आगे बढ़कर एडमिनिस्ट्रेशन ऑफिसर्स तक पहुंच चुका है। पिछले दिनों कमिश्नर आवास तक जुलूस निकालकर विरोध प्रदर्शन किया गया। इसके बाद भी बिजली व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हुआ। फ्राईडे को चीफ मिनिस्टर अखिलेश यादव के सिटी आने से लोगों को कुछ उम्मीद बंधी थी कि कम से कम आधी रात को हो रही घंटों बिजली कटौती से छुटकारा मिल जाएगा। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। बल्कि इस समस्या का ठीकरा उन्हें सेंट्रल गवर्नमेंट सिर फोड़ दिया।

कोयले की सप्लाई ठप है.!

पुलिस लाइन में मीडिया से इंटरएक्शन के दौरान सीएम अखिलेश यादव ने कहा कि केन्द्र सरकार से कोयले की सप्लाई नहीं हो पा रही है। यूपी सरकार ने नौ एमओयू साइन किये थे। कोयले का कोटा नहीं मिलने की वजह से अब तक 9 प्लांट बंद हो चुके हैं। यूपी बिजली बनाने, कारखाने लगाने में सक्षम है। जितनी जल्दी कोयले की सप्लाई होगी, उतनी जल्दी यूपी सरकार कारखाना लगाकर बिजली बनायेगी।

ओवरलोडिंग से हो रहे फॉल्ट

बिजली संकट से कब तक कानपुराइट्स को निजात मिलेगी? इस सवाल के जवाब में सीएम बोले, हम सिस्टम को बेहतर बनाने का प्रयास कर रहे हैं। आप किसी इंजीनियर से पूछें- फॉल्ट ओवरलोडिंग की वजह से ज्यादा हो रहे हैं। सरकार ओवरलोडिंग कम करने के लिए काम कर रही है। जरूरत पड़ने पर और बिजली लेगी। कानपुर में टोरेन्ट को पॉवर डिस्ट्रिब्यूशन का काम सौंपे जाने के सवाल पर सीएम ने कहा कि टोरेन्ट से सरकार और जनता दोनों को नुकसान हो रहा है। इसलिए इसका सवाल नहीं उठता।

रोड के नीचे छिपी करतूत खुली,

KANPUR: सीएम की अगवानी के लिए आनन-फानन बनाई गई मंगला विहार की रोड ने ऑफिसर्स की पोल खोल कर रख दी है। नई बनी रोड देखकर मुख्यमंत्री को माजरा समझते देर नहीं लगी। उन्होंने शहीद स्क्वाड्रन लीडर आशीष यादव के घर पर मौजूद ऑफिसर्स के सामने ये जाहिर कर उन्हें पानी-पानी भी कर दिया। इससे ऑफिसर्स के चेहरे लटक गए।

शहीद के घर के सामने धंसा टैंकर

सीएम का प्रोग्राम आने के बाद शहीद आशीष यादव के घर को जाने वाली मेन रोड और गली नगर निगम ने बनाई है। इस रोड को लेकर केडीए और नगर निगम में खींचतान भी मची रही है। शहीद के घर के सामने फुटपाथ की लेवलिंग की। सुबह क्0 बजे करीब सीएम अखिलेश यादव शहीद के घर पहुंचे। उनके आने से मात्र क्फ् मिनट पहले धूल उड़ने से रोकने के लिए पानी छिड़काव कर रहा टैंकर शहीद आशीष यादव के घर के ठीक सामने फुटपाथ धंसने से फस गया। इससे अफरातफरी मच गई।

लटक गए चेहरे

पुलिसकर्मी और एसओजी टीम के जवानों ने धक्का देकर टैंकर निकालने की कोशिश की। लेकिन वे कामयाब नहीं हुए। इस बीच मुख्यमंत्री का काफिला मंगला विहार के लिए चल चुका था। जिससे ऑफिसर्स को टैंकर निकालने के लिए क्रेन बुलाने का मौका भी नहीं था। कोई रास्ता ना सूझ देखकर ऑफिसर्स ने एसओजी के जवानों को गली के दोनों ओर मानव श्रंखला की तरह खड़ा कर दिया। इससे धंसा हुआ टैंकर भी छिप गया। हालांकि रोड को लेकर सीएम के नसीहत देने से ऑफिसर्स के चेहरे की रंगत उड़ गई। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम जब इटावा जाते हैं रोड बनी बनाई रहती है पहले से चकाचक रहती है। हमारे जाने पर विशेषतौर पर रोड नहीं बनाई जाती।

'सड़कों के लिए मैं नहीं केंद्र जिम्मेदार'

सीएम ने सिटी की बदहाल और जर्जर सड़कों की जिम्मदारी से भी पल्ला झाड़ लिया और समस्या केंद्र सरकार के मत्थे मढ़ दी। उन्होंने कहा कि लखनऊ और कानपुर की सड़क हो या जीटी रोड इसे बनाने की जिम्मेदारी नेशनल हाईवे अथॉरिटी की है। यह विभाग सेंट्रल के अंडर में है। कन्नौज, इटावा या अलीगढ़ जाना हो तो जीटी रोड से ही होकर जाना पड़ता है। मगर, अब यह गढ्डों वाली सड़क हो गई है। इसे बनवाने की ग्रांट भी केन्द्र सरकार देती है। मगर, समय पर ग्रांट मिल ही नहीं रही। हालांकि, स्टेट गवर्नमेंट के अंडर में आने वाली सड़कों की बदहाली के बारे में सीएम कुछ भी बोलने से बचते रहे।