नई दिल्ली (रायटर्स)। बीसीसीआई और आईसीसी के बीच टैक्स में छूट का विवाद इस बार भी सामने आ रहा है। आईसीसी ने भारतीय क्रिकेट बोर्ड को टी-20 वर्ल्डकप आयोजन के लिए भारत सरकार से टैक्स में छूट दिलाने के लिए कहा है, मगर बीसीसीआई अब तक टैक्स में छूट हासिल नहीं कर सका। ऐसे में भारत में 2021 टी-20 वर्ल्डकप हो पाएगा या नहीं, इसको लेकर संकट मंडरा रहा है। बीसीसीआई के एक प्रमुख अधिकारी ने रायटर को बताया कि इस आयोजन के लिए कर छूट को सुरक्षित रखने में क्रिकेट बोर्ड की विफलता के बावजूद भारत को अगले साल के ट्वेंटी 20 विश्व कप के लिए मेजबानी के अधिकार खोने का खतरा नहीं है।

आईसीसी इवेंट के लिए मेजबान को लेनी पड़ती है छूट

अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के इवेंट्स के लिए कर छूट को मेजबान समझौतों में एक आवश्यकता के रूप में सूचीबद्ध किया गया है और बीसीसीआई को यह पुष्टि करना चाहिए था कि उन्होंने 18 मई तक इसे सुरक्षित कर लिया था। ईएसपीएनक्रिकइंफो ने दोनों निकायों के बीच पत्राचार का हवाला देते हुए बताया है कि इस मुद्दे को लेकर आईसीसी ने टूर्नामेंट को भारत से दूर स्थानांतरित करने की धमकी दी है। हालांकि, बीसीसीआई के कोषाध्यक्ष अरुण सिंह धूमल ने रायटर को बताया कि ऐसा नहीं होगा और बातचीत जारी है। उन्होंने टेलीफोन पर बातचीत के दौरान कहा, 'टूर्नामेंट के लिए कोई जोखिम नहीं है। कार्य प्रगति पर है। हम आईसीसी के साथ इस पर चर्चा कर रहे हैं और हम इसका समाधान करेंगे।"

2016 में भी बीसीसीआई को देना पड़ा था काफी पैसा

बीसीसीआई को इसी तरह की समस्या का सामना दोबारा करना पड़ रहा है। पिछली बार 2016 में जब भारत में टी-20 विश्वकप की मेजबानी की गई थी तब भी ये विवाद उछला था। 2016 में बीसीसीआई ने टूर्नामेंट की मेजबानी के लिए सरकार से टैक्स में छूट की मांग की गई थी मगर बोर्ड की अपील के बावजूद सरकार ने अपना फैसला नहीं बदला था। 2016 में उस छूट को सुरक्षित करने में विफल होने पर आईसीसी ने शासी निकाय के अनुदान से भारत के राजस्व में हिस्सेदारी के बराबर राशि वापस ले ली और यह इस बार और भी कठिन होने वाला है।

आईसीसी का रुख है साफ

आईसीसी के प्रवक्ता ने रायटर को बताया, "समझौतों के भीतर कुछ समय सीमा होती है, जिसमें हम सामूहिक रूप से काम करते हैं ताकि हम यह सुनिश्चित कर सकें कि हम विश्व स्तर के सफल आयोजन कर सकें और क्रिकेट के खेल में निवेश कर सकें। इसके अलावा आईसीसी बोर्ड ने उन कर मुद्दों के समाधान के लिए स्पष्ट समयसीमा पर सहमति व्यक्त की, जिनके द्वारा हमें निर्देशित किया जाता है।"

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