-हाल ए डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल

-बिना इलाज लौट रहे डेली सैकड़ों मरीज

-ईएनटी की ओपीडी में लटका ताला, सुपर स्पेशलिस्ट की पोस्ट है खाली

-आर्थो, आई, पैथ में पोस्ट है ओवर डॉक्टर

GORAKHPUR: रमेश एक माह से डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के चक्कर काट रहा है। उसके बेटे के कान के पर्दे में सुराख है। डॉक्टर को दिखाना है, मगर रोजा ओपीडी में ताला लटका रहता है। बड़े अधिकारियों से पूछने पर पता चला कि दो दिन बाद डॉक्टर आएंगे। यह सिलसिला पिछले एक माह से चल रहा है। मगर न तो डॉक्टर आए और न ही उसके बेटे का इलाज हुआ। यह हाल अकेले रमेश का नहीं बल्कि डेली सैकड़ों ऐसे लोगों का है, जो ईएनटी के साथ क्रिटिकल डिजीज का इलाज कराने हॉस्पिटल आ रहे हैं। डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में नेफ्रोलॉजिस्ट, न्यूरो सर्जन, न्यूरो फिजीशियन, प्लास्टिक सर्जन और यूरोलॉजिस्ट की पोस्ट होने के बाद भी डॉक्टर नहीं हैं। वहीं कई ऐसे डिपार्टमेंट हैं, जहां डॉक्टर की संख्या पोस्ट से कहीं अधिक है। एक ओर कई ओपीडी में ताला लटका है, वहीं दूसरी ओर कुछ ओपीडी में बैठने के लिए डॉक्टर को इंतजार करना पड़ता है।

जगह नहीं है, कहां बैठे

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में सभी स्पेशलिस्ट की ओपीडी के लिए रूम बने हैं। जिसमें डॉक्टर मरीजों का इलाज करते हैं। चाइल्ड स्पेशलिस्ट के लिए दो रूम है जबकि अन्य सभी स्पेशलिस्ट के लिए एक-एक रूम एलॉट है। आर्थो में पांच डॉक्टर पोस्टेड है, इसके चलते एक डॉक्टर की तीन से चार दिन बाद ओपीडी का नंबर आता है। कुछ ऐसा ही हाल चाइल्ड स्पेशलिस्ट का भी है। वहीं फिजीशियन, साइक्रेएटिस्ट और स्किन स्पेशलिस्ट की ओपीडी में मरीजों की भीड़ रहती है।

नहीं है डॉक्टर, लौट रहे मरीज

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में ईएनटी से जुड़ी बीमारी के काफी मरीज आते हैं। जिनके इलाज के लिए हेल्थ डिपार्टमेंट ने डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में दो ईएनटी सर्जन की पोस्ट रखी थी। मगर लगभग डेढ़ साल पहले ईएनटी सर्जन डॉ। केके चौधरी का ट्रांसफर हो गया। जिससे पूरी जिम्मेदारी हॉस्पिटल में अकेले बचे डॉ। प्रभु नारायण पर आ गई। ओपीडी से लेकर इमरजेंसी और सर्जरी तक उन्हीं के भरोसे चल रही थी। मगर पिछले डेढ़ माह से डॉ। प्रभु नारायण भी छुट्टी पर चल रहे हैं। इससे हॉस्पिटल की ईएनटी ओपीडी में ताला लटका है। डेली सैकड़ों मरीज इलाज के लिए आते हैं, पर उन्हें बिना दवा वापस होना पड़ता है। सोर्स के मुताबिक डॉ। प्रभु नारायण ने रिजाइन कर दिया है, मगर हॉस्पिटल के अधिकारी उन्हें छुट्टी पर बता रहे हैं।

स्पेशलिस्ट विहीन है हॉस्पिटल

सरकारी अस्पताल को हाइटेक और हर सुविधा से लैस कराने का दावा करने वाली सरकार की असलियत सिटी के डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में इंट्री करते ही खुल जाती है। हॉस्पिटल में आने वाले अधिकांश मरीजों का सिर्फ खांसी, बुखार औ नॉर्मल डिजीज का इलाज हो रहा है। हॉस्पिटल में एक भी सुपर स्पेशलिस्ट नहीं है। जबकि हॉस्पिटल में सभी सुपर स्पेशलिस्ट के लिए सरकार ने पोस्ट बनाई है। हॉस्पिटल में नेफ्रोलॉजिस्ट, न्यूरो सर्जन, न्यूरो फिजीशियन, यूरोलॉजिस्ट और प्लास्टिक सर्जन के नाम पर अब तक पोस्टिंग तो दूर खाता भी नहीं खुला है।

वर्जन-

शासन स्तर पर डॉक्टर्स की तैनाती होती है। हॉस्पिटल में इस टाइम कई स्पेशलिस्ट की कमी है। शासन को इस बारे में जानकारी दी गई है। ईएनटी के डॉक्टर के छुट्टी जाने से प्रॉब्लम हो रही है। सुपर स्पेशलिस्ट में अब तक किसी की पोस्टिंग नहीं हुई है।

डॉ। सुधाकर मिश्रा, एसआईसी

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अधिकांश स्पेशलिस्ट का है इंतजार

स्पेशलिस्ट - पोस्ट - पोस्टिंग

एनेस्थेटिक - फ् - फ्

कॉर्डियोलॉजिस्ट - ख् - फ्

ईएनटी - ख् - क्

आई - फ् - ब्

नेफ्रोलॉजिस्ट - क् - 0

न्यूरो सर्जन - क् - 0

न्यूरो फिजीशियन - क् - 0

फिजीशियन - फ् - ख्

चाइल्ड - फ् - ब्

पैथालॉजिस्ट - ख् - ब्

प्लास्टिक सर्जन - क् - 0

चेस्ट - ख् - ख्

रेडियोलॉजिस्ट - फ् - फ्

आर्थो - फ् - भ्

स्किन - क् - क्

यूरो - क् - 0

सर्जन - फ् - फ्