20 के करीब बच्चे परिजनों के साथ पहुंचे थे जिला अस्पताल
11 बजे सुबह से करते रहे इंतजार, नहीं मिलीं दवाएं
15 दिन में थैलीसीमिया से ग्रसित बच्चों को चढ़ाया जाता है ब्लड
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- थैलीसीमिया से ग्रसित बच्चे परिजनों के साथ लेने पहुंचे थे दवा
- भटकाते रहे डॉक्टर, परेशान होकर परिजनों ने किया हंगामा
- सीएमओ ने डॉक्टरों को लगाई फटकार, शासन को भेजी रिपोर्ट
बरेली : थैलीसीमिया से ग्रसित बच्चों को जिला अस्पताल में दवा के लिए भटकना पड़ रहा है। ट्यूज डे को थैलीसीमिया से ग्रसित करीब 20 बच्चे अपने परिजनों के साथ सुबह करीब 11 बजे दवा लेने पहुंचे, लेकिन उन्हें दवा नहीं दी गई। काफी देर इंतजार के बाद भी जब उन्हें दवा नहीं मिली तो परिजन आक्रोशित हो उठे। वह बच्चों के साथ सीएमओ कार्यालय पहुंच गए और हंगामा शुरू कर दिया। एक फिजीशियन और पीडियाट्रिशियन पर इलाज में लापरवाही के गंभीर आरोप लगाए। परिजनों ने सीएमओ से लिखित शिकायत की। इस मामले में सीएमएस ने डॉक्टरों को कड़ी फटकार लगाते हुए स्पष्टीकरण मांगा है।
जांच तो दूर दवाई तक नहीं दी
सीएमओ से मुलाकात के दौरान बच्चों ने बताया कि सर हम सब सुबह से इधर-उधर चक्कर काट रहे हैं। कई बार डॉक्टरों से कहा कि हम थैलीसीमिया के मरीज हैं, बावजूद इसके डॉक्टरों ने दवा नहीं दी।
शासनादेश भी नहीं मान रहे
थैलीसीमिया बीमारी से ग्रसित बच्चों को हर 15 दिन में ब्लड चढ़ाया जाता है। जिसके लिए शासन से भी निर्देश है कि इन बच्चों को प्राथमिकता से देखकर ट्रीटमेंट दिया जाए बावजूद इसके डॉक्टरों ने बच्चों के इलाज में लापरवाही बरती।
मेडिसिन तक नही दे पा रहे
शहर में थैलीसीमिया के बच्चों के इलाज के लिए सोसायटी चलाने वाली डॉ। जे सरदाना ने बताया कि उनकी सोसायटी से करीब 200 बच्चे जुड़े हुए हैं, ऐसे बच्चों को हर 15 दिन में ब्लड की आवश्यकता होती है। वहीं उनके शरीर में आयरन की अधिकता रोकने के लिए सिलेशन मेडिसन दी जाती है। जो कि जिला अस्पताल मुहैया कराता है। करीब तीन माह से बच्चों को समय से न तो मेडिसन मिल रही है न ही उनकी ब्लड की जांच हो पा रही है।
यह कहना है डॉक्टर्स का
कुछ मरीज ओपीडी बंद होने के बाद आए। उन्होंने इस बारे में नहीं बताया कि उनका बच्चा थैलीसीमिया से ग्रसित है। जो भी आरोप लगाए जा रहे है वह निराधार हैं।
डॉ। अजय मोहन अग्रवाल, वरिष्ठ फिजीशियन
परिजन बेवजह मामले को तूल दे रहे हैं। बच्चों का कार्ड देखकर फौरन ही ट्रीटमेंट के लिए बुला लिया जाता है।
डॉ। एसके सागर, पीडियाट्रिशियन
वर्जन
थैलीसीमिया के पेशेंट को प्राथमिकता से देखने का शासनादेश है। अगर डॉक्टर्स ने लापरवाही की है तो इसकी रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी।
डॉ। विनीत शुक्ला, सीएमओ।