- आयुष्मान कार्ड होने के बाद भी इलाज की चुकानी पड़ रही कीमत

- सरकारी अस्पताल से लेकर प्राइवेट तक हो रही जमकर मनमानी

- वेडनसडे को तीन मामले फिर आए सामने

देहरादून,

आयुष्मान योजना का कार्ड लेकर मरीज दर-दर भटक रहे हैं, लेकिन न तो सरकारी अस्पताल उनका फ्री इलाज करने को तैयार है, न प्राइवेट। सरकारी अस्पताल में जहां सर्जरी व अन्य उपकरण व दवाएं मरीज से प्राइवेट कैमिस्ट से मंगवाकर इलाज किया जा रहा है, वहीं प्राइवेट अस्पताल सीधे-सीधे फ्री इलाज से इनकार कर रहे हैं। अस्पतालों की यह मनमानी आयुष्मान योजना पर ही सवाल खड़े कर रही है। वेडनसडे को ऐसे 3 मामले सामने आए।

आयुष्मान में मनमानी

आयुष्मान योजना को लेकर अस्पतालों की मनमानी को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट लगातार उजागर कर रहा है। वेडनसडे को उत्तरकाशी का राहुल इलाज के लिए पटेलनगर के एक प्राइवेट हॉस्पिटल पहुंचा, उसका एक्सीडेंट हुआ था, पैर में रॉड डालनी पड़ी। आयुष्मान कार्ड होने के बाद भी उससे सर्जरी का सामान और दवाओं के पैसे ले लिए गए। दून हॉस्पिटल में भर्ती तहसीन अहमद के पास भी आयुष्मान कार्ड है। उसकी भी सर्जरी हुई, जिसके लिए प्राइवेट मेडिकल स्टोर से सर्जरी का सामान खरीदवाया गया। हरबर्टपुर की अमरीन भी दून हॉस्पिटल में पिछले 5 दिन से भर्ती है, उसकी बोन सर्जरी होनी है, हॉस्पिटल ने आयुष्मान कार्ड भी जमा कर लिया है और 8 हजार रुपए खर्चा भी बताया है।

केस 1-

रेफरल लेटर का बहाना फिर पेड सर्जरी

उत्तरकाशी आराकोट के रहने वाले 18 वर्षीय राहुल रोड एक्सीडेंट में घायल हो गया था, उसके पैर में गंभीर चोट आई। 17 जून को राहुल को घायल अवस्था में पटेलनगर स्थित एक प्राइवेट हॉस्पिटल में लाया गया। जहां डॉक्टर ने बताया कि पैर में रॉड डालनी पड़ेगी। राहुल के पिता ने बताया कि हॉस्पिटल मैनेजमेंट को आयुष्मान कार्ड में इलाज करने के लिए अनुरोध किया लेकिन मैनेजमेंट पहले सरकारी अस्पताल से रेफर लेटर लाने को कहा। परिजन भागदौड़ नहीं कर पाए और मजबूरन पेड सर्जरी करानी पड़ी। प्राइवेट मेडिकल स्टोर से परिजन 20 हजार रुपए में रॉड खरीदकर लाए। तब सर्जरी हुई। परिजनों ने बताया कि किसी तरह वे खेतीबाड़ी करके घर चलाते हैं, काफी पैसे खर्च हो गए, आयुष्मान कार्ड का कोई लाभ नहीं मिला। कर्जा लेकर इलाज करा रहे हैं।

केस 2-

16 हजार की दो नी प्लेट मंगाकर सर्जरी

दून हॉस्पिटल के आर्थो वार्ड में तहसीन अहमद का इलाज चल रहा है। आयुष्मान कार्ड होने के बाद भी वे पेड इलाज करा रहा है। चंदरनगर के रहने वाले तहसीन अहमद का घुटना फ्रैक्चर हुआ था, जो 18 जून से दून हॉस्पिटल में भर्ती है। डॉक्टर ने घुटने में लगाने के लिए उससे 16 हजार रुपए की 2 प्लेट्स मंगाई। जिसमें से एक घुटने में फिट की गई, दूसरी का क्या हुआ, यह डॉक्टरों ने नहीं बताया। इसके अलावा बाहर से परिजन अब तक 1700 रुपए की मेडिसिन खरीद चुके हैं।

केस 3-

हरबर्टपुर विकासनगर निवासी अमरीन दून हॉस्पिटल इलाज कराने आई। 5 दिनों से भर्ती हैं। अमरीन के कमर के निचले हिस्से में दिक्कत है, डॉक्टर ने सर्जरी करने को कहा। पहले जो जांचे हुई थी उसके आधार पर डॉक्टर ने 24 घंटे में ऑपरेशन कराने के लिए कहा, लेकिन अब डॉक्टर ने दोबारा जांच करवाई तो कुछ दिनों में ऑपरेशन करने की बात कही। अमरीन के पिता ने बताया कि वे 5 दिन से ऑपरेशन का इंतजार कर रहे हैं। पिता फेरी लगाकर गुजर बसर करते हैं, बेटी का आयुष्मान कार्ड भी बना हुआ है, लेकिन अभी तक कुछ भी फायदा नहीं हुआ, हॉस्पिटल में आयुष्मान कार्ड तो जमा हो गया लेकिन 8 हजार तक का खर्चा बताया हुआ है।