स्लग: दूसरे दिन भी लावारिस मरीजा का रिम्स में नहीं हुआ इलाज

-रविवार को भी इलाज के लिए 6 घंटे लगाया था हॉस्पिटलों के चक्कर

RANCHI (19 March): रिम्स में लावारिस मरीज का दूसरे दिन इमरजेंसी में इलाज करने की बजाय उसे सर्जरी वार्ड में जमीन पर फेंक दिया गया। न तो उसे किसी डॉक्टर ने देखा और न ही उसे किसी तरह का ट्रीटमेंट दिया जा रहा है। ऐसे में अरुण कुमार ठाकुर नामक युवक अब जिंदगी और मौत के बीच झूल रहा है। इसके दोनों हाथ नहीं है और यह काफी बीमार है। इसके बावजूद डॉक्टरों ने इसका इमरजेंसी में इलाज करना मुनासिब नहीं समझा। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या लावारिस मरीज को इलाज का हक नहीं है?

रातभर इमरजेंसी में रहा ट्राली पर

रविवार को दोपहर में कुछ समाजसेवियों ने उसे उठाकर रिम्स में भर्ती कराया था, जहां डॉक्टर ने उसे देखा और दवाएं लिख दीं। इसके बाद उसे दोबारा कोई देखने भी नहीं आया। ऐसे में रातभर वह ट्राली पर ही पड़ा रहा। सुबह भी उसकी सुध किसी ने नहीं ली। आसपास के स्टाफ्स ने भी कई बार उसकी ओर दूसरे स्टाफ्स का ध्यान आकर्षित कराया पर किसी ने उसे गंभीरता से नहीं लिया।

बॉक्स.

6 घंटे भटकने के बाद कराया गया था एडमिट

रविवार को उर्दू लाइब्रेरी के पास से उसे लावारिस हालत में पाया गया था। जहां से एक समाजसेवी ने एंबुलेंस बुलाकर उसे रिम्स भिजवाया। लेकिन अटेंडेंट नहीं होने का बहाना बनाते हुए रिम्स से उसे लौटा दिया गया। साथ ही उसे रिनपास ले जाने को कहा गया। लेकिन रिनपास से भी उसे बहाना बनाकर लौटा दिया गया। इस दौरान छह घंटे तक उसे हास्पिटलों का चक्कर लगवाते रहे।

वर्जन

हमारे यहां मरीज काफी हैं, तो उन्हें बेड नहीं मिल पाता है। इसलिए हो सकता है कि उसे बेड न मिला हो। लेकिन इलाज नहीं करने की बात गंभीर है। इस मामले की तत्काल जानकारी डॉक्टर से लेता हूं। आखिर मरीज का इलाज क्यों नहीं किया गया और उसे कहां रखा गया है।

-डॉ। एसके चौधरी, सुपरिटेंडेंट, रिम्स