--रिम्स में दो दिन से पानी नहीं मिलने से परेशान रहे मरीज

--वार्डो में भी रहा बुरा हाल, बाहर से पानी खरीद बुझाई प्यास

RANCHI : अरे नल से पानी नहीं आ रहा है। वाटर कूलर भी बंद है। इस अस्पताल में व्यवस्था नाम की कोई चीज है भी या नहीं। अब बताइए मरीज पानी के लिए तरस रहा है और कहीं पानी नहीं है। मिनरल वाटर खरीदकर लेकर आने में भी क्0-क्भ् मिनट का समय लगेगा। पैसा खर्च होगा सो अलग और मरीज के साथ अनहोनी भी हो सकती है। यह नजारा है शुक्रवार की दोपहर रिम्स का है, जहां दो दिन से पानी नहीं मिलने से मरीज और उनके परिजन परेशान हैं। राज्य के सबसे बड़े हॉस्पिटल रिम्स में मरीज बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं। उन्हें हॉस्पिटल में पीने का पानी भी नहीं मिल रहा है। कोई बाहर से पानी लेकर आ रहा है तो कोई मिनरल वाटर खरीदकर अपना काम कर चला रहा है। ऐसे में रिम्स को राज्य का मॉडल हॉस्पिटल बनाने का सपना कैसे पूरा होगा।

गुरुवार को भी पानी नहीं

हॉस्पिटल में गुरुवार से ही पानी नहीं आ रहा है, जिससे मरीजों के साथ-साथ उनके परिजनों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रह है। पानी की सबको जरूरत पड़ती है। ऐसे में हॉस्पिटल में पानी के लिए कोई व्यवस्था नहीं होना, कई सवाल खड़े करता है। मरीजों को होनेवाली इस परेशानी से प्रबंधन को कोई लेना-देना नहीं है।

मिनरल वाटर का सहारा

हॉस्पिटल में आनेवाले मरीजों के लिए दुकानों में बिकनेवाला मिनरल वाटर ही सहारा बना। वैसे तो हॉस्पिटल में साफ पानी की सप्लाई नहीं होने से लोग मिनरल वाटर ही खरीदकर यूज करते हैं, लेकिन हॉस्पिटल में पानी नहीं होने से लोग गुरुवार से ही मिनरल वाटर से काम चला रहे हैं। शुक्रवार को भी दिन के एक बजे तक पानी की सप्लाई नहीं थी, जिससे लोग बाहर से पानी ख्ररीदकर ला रहे थे.पानी की किल्लत होने से कई मरीजों के परिजन पास के होटलों और चापाकल से पानी लाकर अपना काम कर रहे थे। इस कारण लोगों को हॉस्पिटल से दूर जाकर पानी लाने में परेशानियों का सामना करना पड़ा। वहीं कई लोग तो मजबूरी में चापाकल का गंदा पानी पी रहे थे।