-नामित पार्षदों को कार्यकारिणी चुनाव में वोट डालने की नहीं दी गई अनुमति

-कोर्ट में पहुंचा था मामला, जिस पर हाईकोर्ट ने लगा दिया था स्टे

ALLAHABAD: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को नामित पार्षदों को वोट देने का अधिकार दिए जाने के प्रदेश सरकार के फैसले को असंवैधानिक करार दिया। हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब पूरे प्रदेश में नामित पार्षद और सभासद निगम के कार्यकारिणी चुनाव में वोट नहीं डाल सकेंगे। वहीं, अगर इलाहाबाद नगर निगम की बात करें तो यहां ख्009 से ही नामित पार्षदों द्वारा कार्यकारिणी चुनाव में वोट डालने पर पाबंदी है। नामित पार्षदों ने जब भी वोट डालने का प्रयास किया, चुने हुए पार्षदों ने जमकर विरोध किया। ख्009 में नामित पार्षदों द्वारा सरकार के अध्यादेश का हवाला देते हुए वोट डालने को लेकर हंगामा किया तो अध्यादेश को हाईकोर्ट में चैलेंज किया गया था, जिस पर हाईकोर्ट ने स्टे आदेश जारी किया था।

गवर्नमेंट ने जारी किया था अध्यादेश

संविधान के अनुच्छेद ख्ब्फ् आर के अनुसार नामित पार्षदों या फिर सभासदों को वोट डालने का अधिकार नहीं है। इसके बाद भी प्रदेश सरकार द्वारा म्युनिसिपिलिटी एक्ट में संसोधन कर नामित पार्षदों द्वारा वोटिंग किए जाने का अध्यादेश जारी किया गया था। गवर्नमेंट के अध्यादेश का हवाला देते हुए इलाहाबाद में ख्008-09 में नगर निगम के नामित पार्षदों द्वारा वोट डाले जाने की मांग को लेकर काफी हंगामा किया गया था। नामित पार्षदों व उनके समर्थकों ने वोट डालने का अधिकार दिए जाने की मांग की थी। अध्यादेश पालन कराने का दबाव बना तो गवर्नमेंट के अध्यादेश को इलाहाबाद नगर निगम की ओर से चैलेंज किया गया था। जिस पर हाईकोर्ट ने नामित पार्षदों द्वारा वोट किए जाने पर पाबंदी लगाते हुए स्टे आदेश जारी किया। बीच में नामित पार्षदों द्वारा जब वोट दिए जाने की बात कही गई, तो हाईकोर्ट के स्टे आर्डर की कॉपी पकड़ा दी गई।

निगम की कार्यकारिणी पर खतरा नहीं

नामित पार्षदों द्वारा वोट दिए जाने पर पाबंदी लगाए जाने के आदेश का असर इलाहाबाद नगर निगम में नहीं पड़ेगा। यहां की कार्यकारिणी न भंग होगी और न ही कोई नई कसरतबाजी की जाएगी। क्येांकि, यहां तो पहले से ही नामित पार्षदों द्वारा वोट डाले जाने पर पाबंदी है। इसलिए इलाहाबाद नगर निगम की कार्यकारिणी पर कोई खतरा नहीं है।

वर्जन-

संविधान का अनुच्छे ख्ब्फ् आर नामित पार्षदों को वोट देने का अधिकार नहीं देता। गवर्नमेंट ने संविधान को भी ध्यान में नहीं रखा। हाईकोर्ट का फैसला स्वागत योग्य है। अब किसी की मनमानी नहीं चलेगी।

शिवसेवक सिंह

पार्षद, अल्लापुर वार्ड

हाईकोर्ट ने संविधान अनुच्छेद के अनुसार नामित पार्षदों द्वारा वोट न दिए जाने का फैसला सुनाया है, जो स्वागत योग्य है। इलाहाबाद में तो पिछले कई सालों से पाबंदी है। क्योंकि एक रिट के आधार पर हाईकोर्ट ने पहले से स्टे लगा रखा है। जिसके आधार पर नामित पार्षदों को वोट डालने नहीं दिया गया।

अभिलाषा गुप्ता

मेयर, नगर निगम

इलाहाबाद