-बिना पिलर के ही खड़ी कर दी पांच मंजिला बिल्डिंग

-बारह ब्लॉक वाली बिल्डिंग में बना डाले 284 फ्लैट

-पौने तीन करोड़ की लागत से बन रही परियोजना की बिल्डिंग

Meerut: एक ओर जहां पड़ोसी मुल्क में हजारों जिंदगी भूकंप की भेंट चढ़ गई और उसकी आहट हमारे शहर तक सुनाई पड़ी। वहीं राजकीय निर्माण निगम ने हजारों जिंदगी के मौत का सामान तैयार कर दिया है। निर्माण निगम द्वारा तैयार किए गए मौत के इस सामान पर यदि समय रहते गौर नहीं किया गया तो भविष्य में इसके खतरनाक परिणाम भुगतने होंगे। निर्माण निगम की लापरवाही ने न केवल सरकार को करोड़ों का फटका लगा दिया है, बल्कि शहरवासियों के लिए मौत की दहलीज भी तैयार कर दी।

दायमपुर में बन रहा मौत का घर

शहर स्थित दायमपुर में राजकीय निर्माण निगम बीएसयूपी योजना के अंतर्गत फ्लैट का निर्माण कर रहा है। ख्8ब् परिवारों के लिए तैयार की जा रही पांच मंजिला इस बिल्डिंग को ख्7 ब्लॉक में बांटा गया है। प्रत्येक ब्लॉक में बारह फ्लैट बनाने की व्यवस्था की गई है, लेकिन चौंकाने वाली बात यह कि सारे नियम कायदों और मानकों की धज्जियां उड़ाते हुए निर्माण निगम ने इस बिल्डिंग को बिना पिलर के ही खड़ा कर दिया है। जबकि मानकों के अनुसार दो मंजिला बिल्डिंग से ऊंची इमारतों का निर्माण बिना पिलर के नहीं किया जा सकता।

एक झटका भी होगा भारी

राजकीय निर्माण निगम की ओर से ख्8ब् परिवारों के लिए बनाई जा रही यह बिल्डिंग वास्तव में भूकंप का एक झटका भी सहन नहीं कर पाएगी। ऐसे में ढ़ाई सौ अधिक परिवारों के लिए तैयार किया जा रहा यह मौत का घर आने वाले समय में शहर के लिए एक नई चुनौती साबित हो सकता है।

साढ़े तीन करोड़ का फटका

दायमपुर में निर्माण निगम जिस बिल्डिंग के निर्माण में लगा है। वास्तव में उसका लागत मूल्य साढ़े तीन करोड़ रुपए से ऊपर है। बिना पिलर पर खड़ी इस बिल्डिंग को देखकर यह अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है कि निर्माण में बरती जा रही लापरवाही न केवल हजारों जिंदगी से खिलवाड कर रही है, बल्कि सरकारी को भी करोड़ों का फटका लगा रही है।

जिम्मेदार कौन

मानकों को अनदेखी कर बिल्डिंग में धड़ल्ले से हो रहे निर्माण कार्य चल रहा है। इसको देखकर ऐसा लगता है कि आने वाले कुछ ही दिनों में बिल्डिंग का निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा। कुछ समय के बाद बने फ्लैटों को गरीब व बेसहारा शहरवासियों को आवंटन भी कर दिया जाएगा। मगर यहां लाख टके का सवाल यह है कि मानकों के विपरीत बनी यह बिल्डिंग यदि भविष्य में किसी हादसे का शिकार होती है तो इस तबाही का गुनाहगार कौन होगा।

क्या कहता है विभाग

इस संबंध में जब निर्माण निगम के सुपरवाइजर प्रमोद से पूछा गया तो चौंकाने वाला जवाब सामने आया। प्रमोद ने बताया कि डीपीआर के अनुसार स्ट्रक्चरल डिजायन में बिल्डिंग को पिलर्स मुक्त रखा गया है। यानी बिल्डिंग बिना पिलर्स के ही बननी तय हुई थी। ऐसे में नियमानुसार ही निर्माण किया जा रहा है।

जोन-ब् में है मेरठ

पिछले दिनों लगे भूकंप के झटकों ने मेरठ और एनसीआर को रिस्क जोन-ब् में लाकर खड़ा कर दिया है। जोन-ब् का मतलब है कि यदि आस-पास के राज्यों या पड़ोसी मुल्कों में भूकंप के झटके लगें तो उसकी दहल शहर में भी महसूस की जाएगी।

ये हैं मानक

-जमीन बीयरिंग कैपेसिटी बिल्डिंग लोड व लिविंग लोड के मुताबिक होनी चाहिए।

-बिल्डिंग में सपोर्ट के लिए बेसमेंट का होना आवश्यक है।

-बिल्डिंग कॉलम बेस्ड होनी चाहिए

-हर फ्लैट में इंडीविजुअल बीम स्ट्रक्चर होना चाहिए।

-बिल्डिंग कॉलम बेस्ड होनी चाहिए न कि लोड बेस्ड।

-स्ट्रक्चरल डिजायन फ्रेम बेस्ड होना चाहिए।

भूकंपरोधी तकनीकि को ध्यान में रखते हुए बिल्डिंग को केवल लोड बेस्ड ही नहीं बनाया जा सकता। यदि फ्रेम स्ट्रक्चरल व कॉलम बेस्ड नहीं है तो भूकंप का एक हल्का सा झटका ही बिल्डिंग को धूल के गुब्बार में तबदील कर सकता है।

-आदित्य प्रताप सिंह, आर्किटेक्ट लैंड मार्क डिजायन

तीन मंजिला और उससे ऊंची बिल्डिंग को बिना पिलर्स के खड़ा नहीं किया जा सकता है। यदि बिल्डिंग में कॉलम और पिलर्स नहीं होंगे तो उसको हलका सा झटका भी गिरा सकता है।

-महेश गौतम, सिविल इंजीनियर, एमडीए

बिना पिलर्स की बिल्डिंग तैयार करने का गंभीर मामला है। बिल्डिंग की जांच कराई जाएगी। यदि किसी भी स्तर पर कोई खामी है तो उसका दुरूस्त कराया जाएगा।

-गौरव वर्मा, एडीएम एफ

भूकंप विरोधी तकनीक को ध्यान में रखते हुए बिल्डिंग की फाउंडेशन शॉक आब्जर्वर होनी चाहिए। इसके अलावा फ्लोटिंग फंक्शन, बेस आईसोलेशन व लेट्रल फोर्सेस का ध्यान रखा जाना चाहिए। जो बिल्डिंग इन मानकों को पूरा नहीं करती वो भूकंप रोधी नहीं है।

-शबीह हैदर, सुपरिटेंडेंट इंजीनियर, एमडीए