- इस वर्ष 150 रेजीडेंट डॉक्टर्स की नहीं हुई ज्वाइनिंग

- ओवर बर्डन के कारण मानसिक तनाव से जूझ रहे डॉक्टर

- रोजाना हो रहा तीमारदारों के साथ झगड़ा

LUCKNOW: किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के ट्रॉमा सेंटर में शनिवार देर रात एक रेजीडेंट का तीमारदारों से झगड़ा हो गया। तीमारदारों ने काफी देर तक गाली गलौज की। उन्होंने कहने के बावजूद मरीज को समय पर नही देखने का आरोप रेजीडेंट डॉक्टर पर लगाया। पिछले तीन महीने से लगातार यह समस्या केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर से लेकर वार्डो तक में जारी है। कई बार गाली गलौज की समस्या मारपीट तक में पहुंच जाती है। दरअसल इस वर्ष लगभग 150 रेजीडेंट्स डॉक्टर्स की ज्वाइनिंग नहीं कराई गई। ऐसे में मरीजों के इलाज में संकट खड़ा हो गया और इसका बुरा असर रेजीडेंट डॉक्टर्स पर पड़ रहा है।

18 से 36 घंटे काम कर रहे रेजीडेंट्स

ट्रॉमा सेंटर के एक रेजीडेंट ने बताया कि केजीएमयू प्रशासन ने 12 घंटे तक सभी रेजीडेंट डॉक्टर्स की ड्यूटी बदलने के आदेश दिए थे। लेकिन इस समय किसी भी विभाग में यह आदेश लागू नहीं है। रेजीडेंट्स की अत्यधिक कमी और ओवर बर्डन के कारण 18 से 38 घंटे तक काम कराया जा रहा है। चूंकि मरीजों के सीधे कांटेक्ट में रेजीडेंट डॉक्टर ही होते हैं, इसलिए इस समस्या के सबसे ज्यादा शिकार वही हो रहे हैं।

यूपीपीजीएमईई से ज्वानिंग नहीं

केजीएमयू में हर साल 181 सीटों पर पीजी कोर्स करने के लिए रेजीडेंट पदों पर ज्वाइनिंग होती है। ये सभी एमडी और एमएस कोर्सेज पर ज्वाइन करते हैं। साथ ही 26 डिप्लोमा कोर्स के पदों पर भी भर्ती होती है। लेकिन इस वर्ष लगभग 40 रेजीडेंट डॉक्टर्स ने ही विभिन्न पदों पर ज्वाइन किया है। ये सभी आल इंडिया पीजीएमईई कोटे से आए हैं। यूपीपीजीएमईई के कोटे से सेलेक्ट हुए अभ्यर्थियों की ज्वाइनिंग ही नहीं कराई गई। जिसके कारण इलाज में संकट बढ़ गया है।

कोर्ट में है मामला

हर वर्ष केजीएमयू में पीजी कोर्सेज का नया बैच 1 अप्रैल से शुरू होता है, लेकिन नया सत्र अब तक शुरू नहीं हो सका। यूपी पीजीएमईई की पहली काउंसलिंग में जिन कंडीडेट्स का सेलेक्शन हुआ था, सुप्रीम कोर्ट ने उसे रद्द कर दिया था। जिसके बाद प्रदेश सरकार ने दोबारा काउंसलिंग कराई। जिसके विरोध में पहली काउंसलिंग के अभ्यर्थी दोबारा सुप्रीम कोर्ट चले गए। जिसकी फाइनल हियरिंग जुलाई में पूरी हो चुकी है और कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। अब तक केजीएमयू प्रशासन को उम्मीद थी कि पहले के स्टूडेंट्स के फेवर में फैसला आएगा जिसके कारण नए कैंडीडेट्स की ज्वाइनिंग रोक दी गई थी।

तनाव और ओवर बर्डन से जूझ रहे डॉक्टर

केजीएमयू रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के प्रेसीडेंट डॉ। शशांक मिश्रा का कहना है कि पहले से ही केजीएमयू में मरीजों की संख्या के अनुपात में डॉक्टर्स की भारी कमी है। इस साल 150 डॉक्टर्स की और कमी से बर्डन काफी बढ़ गया। जिसके कारण रेजीडेंट डॉक्टर्स न तो ठीक से सो पा रहे हैं और न ही आराम कर पा रहे हैं। जिसका सीधा असर इलाज पर पड़ रहा है। मानसिक तनाव के कारण हालत खराब है।

इन विभागों में सबसे ज्यादा समस्याएं

सबसे अधिक समस्या मेडिसिन, सर्जरी, बाल रोग विभाग और गाइनी विभाग में है। इन सभी में इमरजेंसी चलती है और हमेशा मरीजों की संख्या बेड्स की संख्या से काफी अधिक रहती है। गाइनी में तो हमेशा दोगुनी संख्या में मरीज भर्ती रहते हैं। ऐसा ही हाल अन्य का भी है। पहले से ही रेजीडेंट्स की कमी थी और इस साल न ज्वाइनिंग होने के कारण मुश्किलें अब और बढ़ रही हैं।

मैं बाहर हूं। ज्वाइनिंग का निर्णय लिया जा चुका है और जल्द ही उन्हें ज्वाइन कराया जाएगा।

- प्रो। मस्तान सिंह,

डीन, केजीएमयू