BAREILLY: आम लोगों के मुद्दों की बात करने वाली, उनकी समस्याओं को प्रमुखता से उठाने वाली आम आदमी पार्टी को आम लोगों ने सिरे से नकार दिया। इसे आम लोगों की पार्टी के प्रति गहरी नाराजगी कहें या फिर कुछ और कि बरेलियंस ने 'आप' से ज्यादा नोटा को प्रिफरेंस दी। यही वजह रही कि नोटा को मिले वोट आप के कैंडीडेट को मिले वोटों से कहीं ज्यादा था। भले ही पहली बार नोटा का ऑप्शन दिया गया लेकिन इससे एक बात तो उजागर हो गई कि काफी संख्या में लोगों ने कैंडीडेट्स के प्रति अपनी नाराजगी जाहिर करने के लिए घर से बूथ तक जाने की जहमत उठाई।

'आप' नहीं आए पसंद

बरेली लोकसभा सीट पर जहां 'आप' के कैंडीडेट सुनील कुमार को सिर्फ फ्,70फ् वोट मिले तो इससे कहीं ज्यादा म्,7फ्7 लोगों ने नोटा का बटन दबाया। साफ है इतने सारे लोग वोट करने के लिए बूथ पर गए तो लेकिन आप के कैंडीडेट को भी पसंद नहीं किया। आंवला में तो 'आप' के कैंडीडेट नरेश सोलंकी को नोटा को मिले वोटों के आधे लोगों ने भी वोट नहीं दिया। नरेश को जहां ख्,फ्0ब् लोगों ने वोट किया वहीं क्0,ब्9म् लोगों ने नोटा का बटन दबाकर अपनी नाराजगी व्यक्त की।

क्या है हृह्रञ्जन्

पहली बार इस आम इलेक्शन में कैंडीडेट्स की लिस्ट के साथ नॉट ऑफ दी एबोव (हृह्रञ्जन्) का बटन दबाने का भी ऑप्शन दिया गया। जो लोग अपने लोकसभा क्षेत्र में खड़े सभी कैंडीडेट्स में से किसी को भी वोट देना ना चाहते हों, वे यह बटन दबा सकते थे। इलेक्शन कमीशन का नोटा को लागू करने का मकसद साफ था कि अगर लोग वोट ना देना भी चाहें तो वे घर से बाहर निकलकर अपने मत का प्रयोग करें। साथ ही कैंडीडेट्स के प्रति लोगों की नाराजगी का अंदाजा भी लगाया जा सके। इलेक्शन कमीशन के अनुसार यदि किसी पोलिंग बूथ पर भ्0 परसेंट से ज्यादा वोटर्स ने नोटा का बटन दबाया तो इलेक्शन रद्द कर दिया जाएगा।