-इसी साल नीति आयोग को सौंपी गई आईआईटी बॉम्बे की रिपोर्ट रेलवे अफसरों के दावों की खोल रही है पोल

- रायबरेली में फरक्का एक्सप्रेस के डिरेलमेंट में 7 पैसेंजर्स की मौत के बाद फिर उठे रेलवे सेफ्टी को लेकर सवाल

- कानपुर के आसपास लगातार हुए कई रेल हादसों के बाद भी नहीं बदला कुछ, सिर्फ कारे दावे करे रहे हैं अफसर

- न ट्रेनों का लोड कम हुआ न रेलवे ट्रैक की क्षमता बढ़ी, क्षमता से लगभग आधी स्पीड से दौड़ पा रही हैं ट्रेनें

KANPUR: हादसों को रोकने और पैसेंजर्स सिक्योरिटी को लेकर किए जा रहे रेलवे के दावे एक बार फिर हवा-हवाई साबित हुए हैं। रायबरेली में फरक्का एक्सप्रेस के डिरेलमेंट के बाद रेलवे सेफ्टी पर सवाल खड़े हो गए हैं। कानपुर के लिए यह सवाल और भी गंभीर हैं क्योंकि बीते 8 सालों में देश के सबसे बड़े रेल हादसे इसी के आसपास हुए। जिसमें सैकड़ों लोगों की जान चली गई। इसके बाद रेलवे सेफ्टी को लेकर तमाम दावे किए गए। रेलवे ट्रैक पर ट्रेनों का लोड कम करने और बेहतर तरीके से मेंटिनेंस करने की बात कही गई, लेकिन इसी साल नीति आयोग को सौंपी गई आईआईटी बॉम्बे की रिपोर्ट इन दावों की पोल खोल देती है। इस रूट पर ट्रेनों की रफ्तार में कोई खास बढ़ोत्तरी नहीं हुई है।

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क्या कहती है आईआईटी बॉम्बे की रिपोर्ट

दिल्ली हावड़ा रूट पर ट्रैक कंजेशन को पहचानने के लिए 10 भागों में बांटा

- दिल्ली से कानपुर और फिर मुगलसराय तक 771 किमी टै्रक पर सबसे ज्यादा कंजेशन

- रूट पर चलने वाली 6 राजधानी, शताब्दी व गरीबरथ ट्रेनों की औसत रफ्तार 91 किमी प्रति घंटा, जबकि मानक रफ्तार 130 किमी प्रति घंटा

- रूट पर चलने वाली एक्सप्रेस ट्रेनों की औसत रफ्तार 69 किमी प्रतिघंटा, जबकि मानक रफ्तार 110 से 130 किमी प्रतिघंटा

- रूट पर चलने वाली पैसेंजर व मेमू ट्रेनों की औसत रफ्तार 37 किमी प्रति घंटा जबकि मानक रफ्तार 70 से 90 किमी प्रतिघंटा

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मेंटिनेंस के लिए मा˜ा 13 मिनट

नीति आयोग को सौंपी गई आईआईटी बॉम्बे की रिपोर्ट ट्रैक पर कंजेशन और मेनटेनेंस की कमी को साफ कर देती है। सिर्फ कानपुर दिल्ली के बीच ट्रैक पर रात 12 बजे से सुबह 7 बजे के बीच हर 13 मिनट पर एक ट्रेन गुजरती है। जबकि दिन के वक्त हर 19 मिनट पर एक ट्रेन गुजरती है। ऐसे में ट्रैक मेंटिनेंस को मिलने वाला समय बेहद कम है। एनसीआर जोन के इन मेन ट्रैकों पर लोड 120 से 150 फीसदी तक है।

पंक्चुएलिटी रिपोर्ट में फिसड्डी

एनसीआर जोन के इलाहाबाद मंडल में आने वाले कानपुर और यहां से गुजरने वाले प्रमुख रेलवे ट्रैकों पर हालात नहीं बदले यह रेल मंत्रालय की पंक्चुएलिटी रिपोर्ट से भी साफ होता है। इस रिपोर्ट में इलाहाबाद डिवीजन में ट्रेनों की पंक्चुएलिटी 50 फीसदी से भी कम बताई गई है। देश के 68 रेलवे डिवीजनों में इलाहाबाद मंडल सबसे पीछे पाया गया।

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कानपुर के आसपास हुए ट्रेन हादसे-

जुलाई 2011- फतेहपुर मलवां के पास कालका मेल ट्रैक से उतरी 70 पैसेंजसर्1 की मौत

मई 2015- कौशांबी के पास मुरी एक्सप्रेस ट्रैक से उतरी 25 पैसेंजसर्1 की मौत

नवंबर 2016-पुखरायां के पास पटना-इंदौर एक्सप्रेस पटरी से उतरी 150 पैसेंजसर्1 की मौत

दिसंबर 2016- रूरा स्टेशन के पास अजमेर सियालदाह एक्सप्रेस ट्रैक से उतरी 37 पैसेंजर्स घायल

अगस्त 2017- औरेया में कैफियत एक्सप्रेस डम्फर से टकरा ट्रैक से उतरी एक दर्जन पैसेंजर्स घायल

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कानपुर रीजन में ट्रेनों लोड-

- दिल्ली- हावड़ा रुट का एकमात्र सेंट्रल स्टेशन

- झांसी कानपुर, फर्रूखाबाद, लखनऊ रूट पर भी हैवी टै्रफिक

- 310 एक्सप्रेस व पैसेंजर ट्रेनों का लोड

-240 प्रतिदिन मालगाडि़यों की संख्या

- नार्थ इंडिया में कोल स्टील सप्लाई का मेन रूट

- 150 प्रतिशत कानपुर दिल्ली रेलवे ट्रैक पर लोड

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वर्जन-

पैसेंजर सेफ्टी को लेकर कई कदम उठाए गए हैं। दिल्ली हावड़ा रूट पर ट्रैक लोड को कम करने के लिए कई प्रोजेक्ट चल रहे हैं। जिसका असर जल्द दिखाई पड़ेगा.ट्रैक मेनटेनेंस को लेकर आधुनिकतम तकनीक अपनाई जा रही है।

- गौरव कृष्ण बंसल, सीपीआरओ नार्थ सेंट्रल रेलवे