-आवास विकास ने तड़के चस्पा किए नोटिस

-नोटिस लगने के बाद व्यापारियों ने की बैठक

मेरठ । सेंट्रल मार्केट में 55 व्यापारिक प्रतिष्ठानों में सीलिंग और ध्वस्तीकरण के नोटिस चस्पा होने से व्यापारियों में खलबली मच गई है। शनिवार को सुबह व्यापारी प्रतिष्ठान खोलने पहुंचे तो नोटिस चस्पा देख सन्न रह गए। कई व्यापारियों ने तो नोटिस फाड़ दिए।

आवास विकास परिषद ने शुक्रवार को सेंट्रल मार्केट में भू उपयोग परिवर्तन कर निर्मित 34 दुकानों के ध्वस्तीकरण और 661/1 पर बनी 21 दुकानों के सीलिंग का नोटिस जारी किया था। मार्केट में दुकानदारों के आक्रोश को देखते हुए कर्मचारियों ने शनिवार को तड़के चार बजे नोटिस चस्पा करने की कार्रवाई की। परिषद के अधिकारियों का कहना है कि चूंकि शास्त्रीनगर 661/6 में बनी दो दुकानों पर सुप्रीम कोर्ट का स्टे है इसलिए उसे सील किया जाएगा। बाकी प्रतिष्ठानों पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई होगी।

व्यापारियों को 15 दिनों का समय

व्यापारियों को 15 दिन का समय दिया गया है। इस बीच अवैध निर्माण हटा कर व्यापारिक गतिविधियां बंद करने की बात कही गई है। उसके बाद सीलिंग और ध्वस्तीकरण की कार्रवाई होगी। दुकानों को तोड़े जाने का नोटिस पढ़ते ही दुकानदारों में खलबली मच गई। जगह जगह दुकानदार एकत्र होकर सलाह मशविरा करते देखे गए। सेंट्रल मार्केट व्यापार संघ की बैठक भी हुई। जिसमें आवास विकास परिषद की कार्रवाई को लेकर रोष व्यक्त किया गया। अध्यक्ष किशोर वाधवा ने कहा कि 661/6 की पूरी इमारत पर सुप्रीम कोर्ट का स्टे है। उन्होंने कहा कि किसी भी दुकान को सील करने और तोड़े जाने की कार्रवाई का विरोध किया जाएगा। दो साल दस माह पूर्व जब हाई कोर्ट का आदेश आया था उसके बाद भी व्यापारियों ने दिन और रात अनवरत धरना देना आरंभ कर दिया था। हाईकोर्ट के 27 जुलाई 2017 के आदेश के अनुपालन में परिषद कार्रवाई कर रहा है। यह आदेश 5 दिसंबर 2014 के क्रम में आया है। जिसमें सेंट्रल मार्केट में 661/1 और उसी प्रकार भू उपयोग परिवर्तन कर हुए अन्य निर्माणों को ध्वस्त करने के आदेश दिए गए थे। हाईकोर्ट के निर्णय पर 661/1 के दो दुकानदारों ने स्टे ले लिया था। जिससे कार्रवाई टल गई थी। इसके बाद आवास विकास परिषद ने कोई कार्रवाई नहीं की थी। 5 दिसंबर 2014 के निर्णय को आधार मानकर शास्त्रीनगर निवासी राहुल राणा ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। जिस पर 27 जुलाई को फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने याचिका कर्ता को एक सप्ताह में प्रत्यावेदन देने और आवास विकास परिषद को आठ सप्ताह में मामले को निपटाने के आदेश दिए थे।