- लखनऊ के जिलाधिकारी भी घिरे अवमानना के मामले में

- खुद पेश होकर या वकील के जरिए अधिकारियों से मांगा जवाब

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LUCKNOW: राज्य की ब्यूरोक्रेसी कोर्ट के आदेशों को नजरंदाज करने को लेकर चर्चित हो रही है। बीते दिनों अपर मुख्य सचिव महेश गुप्ता को कोर्ट की अवमानना में मिली प्रतीकात्मक सजा के बाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने अलग-अलग मामलों में सुनवाई करते हुए प्रदेश के प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार, चिकित्सा एंव शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव जयंत नीलांकर, सिंचाई विभाग के प्रमुख सचिव टी वेंकटेश, लखनऊ के डीएम कौशल राज शर्मा और कई अन्य अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि वे खुद पेश होकर या अपने वकील के जरिए जवाब दें कि अदालत की अवमानना के आरोप में उन्हें क्यों न दंडित किया जाए।

बढ़ रही अवमानना के मामलों की शिकायत

दरअसल, उक्त अधिकारी अलग-अलग मामलों में प्रथमदृष्टया अवमानना के दोषी पाए गए हैं। उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट में रोजना अवमानना के कई मामले सुनवाई के लिए आ रहे हैं। अवमानना करने वालों में बेसिक शिक्षा अधिकारी , डीआईओएस, विभागों के चेयरमैन से लेकर तहसीलदार तक शामिल हैं। इस समय अवमानना के क्षेत्राधिकार में बैठ रहे जस्टिस विवेक चौधरी की कोर्ट इस बात पर काफी सख्त हो गई है कि आखिर अवमानना के मामले दाखिल होने पर जब कोर्ट उन्हें नोटिस जारी करती है तो ही अधिकारियों में आदेश का अनुपालन करने की परंपरा क्यों बन गई है। जबकि, ऐसा क्यों नहीं होता है कि अदालत का आदेश पाते ही समयबद्ध तरीके से उसका अनुपालन किया जाए। हाल ही में इलाहाबाद बेंच ने अदालती अवमानना के एक मामले में अपर मुख्य सचिव प्रशासन महेश कुमार गुप्ता को एक दिन की सजा सुनाई थी।

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