तस्करी रोकने के लिए आबकारी विभाग ने उठाया कदम

हालांकि विभाग की तैयारी नहीं, होगी बड़ी मुश्किल

Meerut। यूपी समेत मेरठ में नकली शराब बेचने वालों पर शिकंजा कसने की तैयारी कर ली गई है। वित्तीय वर्ष 2018-19 में जो शराब सरकारी ठेकों से बिक्री होगी उसपर बार कोड दर्ज होगा। कम्प्यूटराइज्ड बार कोड को स्कैन करने के बाद ही बोतल की बिक्री की जाएगी। इसके लिए मुख्यालय स्तर से सभी जनपदों को कड़े निर्देश जारी कर दिए गए हैं। बार कोड से शराब की तस्करी पर भी लगाम लगेगी।

जरा समझ लें

प्रमुख सचिव कल्पना अवस्थी की कवायद के बाद प्रदेश में अब शराब की बोतलों पर बारकोड व क्यूआर कोड नजर आएगा। इसका मकसद शराब की सही कीमत और वैध शराब की पहचान कराना है। इससे न केवल होलोग्राम के डुप्लीकेट होने की समस्या दूर होगी, बल्कि ग्राहकों को भी बोतल की सही कीमत की जानकारी मिल सकेगी। आने वाले दिनों में बारकोड व क्यूआर कोड की रीडिंग के लिए मोबाइल एप भी बनाया जाएगा।

शासन के निर्देश पर 1 अप्रैल से बार कोड के साथ ही शराब की बोतल की बिक्री हो सकेगी। इससे अवैध शराब की पहचान करने में कस्टमर को आसानी होगी। बार कोड को स्कैन किए बिना शराब की बिक्री करने वालों के खिलाफ कार्रवाई होगी।

धीरज सिंह, उप आयुक्त आबकारी, मेरठ मंडल

अब तक था होलोग्राम

उप आयुक्त आबकारी धीरज सिंह ने बताया कि प्रदेश में अभी शराब की वैध बोतलों की पहचान के लिए होलोग्राम लगाए जाते हैं। इन होलोग्राम के जरिए ही प्रदेश में वैध शराब की बोतलों की पहचान की जाती है। होलोग्राम बनाने के लिए बकायदा टेंडर निकाले जाते हैं। अब नए वित्तीय वर्ष के आगमन के साथ ही होलोग्राम को बंद कर शराब की बोतलों पर बारकोड दर्ज करने के निर्देश शासन स्तर पर दिए गए हैं जिसके बाद आबकारी विभाग ने शराब निर्माता कंपनियों से संपर्क कर निर्देशों की जानकारी उपलब्ध करा दी है।

रुकेगी शराब की तस्करी

दरअसल, अन्य प्रदेशों में यह व्यवस्था पहले से ही लागू है और इससे वहां के आबकारी महकमे के पास डाटा भी पूरा रहता है और ग्राहकों की भी कीमत को लेकर दुकानदारों से लड़ना नहीं पड़ता। बारकोड को स्कैन करने के बाद ही शराब की बोतल की बिक्री संभव होगी। इससे शराब की तस्करी रुकेगी तो वहीं अवैध शराब की बिक्री पर भी रोक लगेगी। इसके अलावा विभाग को यह जानने में आसानी होगी कि शराब की बोतल का मैनुफैक्चरर कौन है? किस तिथि में होलसेलर से लेकर कस्टमर शराब की बोतल पहुंची? किन दरों से पहुंची? यह सब कोड को स्कैन करने से पता चल जाएगा। हालांकि तत्काल इस व्यवस्था को लागू करना विभाग के लिए बड़ी चुनौती होगी।