- कैंसर विभाग में लगाई गई कोबाल्ट मशीन

- रेडियो एक्टिव मैटेरियल भी डाल गया

GORAKHPUR: बीआरडी मेडिकल कॉलेज में वर्षो से चला आ रहा कैंसर इलाज का इंतजार आखिर खत्म होने वाला है। यहां कीमोथेरपी के लिए बेहद जरूरी कोबाल्ट मशीन लगा दी गई है। साथ ही रेडियो एक्टिव मैटेरियल भी भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर से मंगा कर मशीन में डाल दिया गया है। इस कारण अब पूर्वांचल के कैंसर रोगियों को इलाज के दूर शहरों में नहीं जाना पड़ेगा।

तकलीफ होगी दूर

पूर्वाचल में कैंसर रोगियों की संख्या काफी अधिक है। इसके बावजूद अब तक यहां के अकेले मेडिकल कॉलेज में कैंसर इलाज संभव नहीं है। कीमोथेरपी में काम आने वाली कोबाल्ट मशीन की सुविधा ना होने के चलते ये समस्या चली आ रही है। इसी कारण मरीजों को मजबूरन दिल्ली, मुंबई, लखनऊ आदि शहरों के महंगे अस्पतालों की शरण लेनी पड़ती है। इस समस्या को देखते हुए शासन स्तर पर कोबाल्ट मशीन लगाने के लिए प्रस्ताव पास हुआ। मशीन लगाने के लिए सरकार की तरफ से साढ़े चार करोड़ रुपए भी दिए गए लेकिन बीच में कुछ मुश्किलों के कारण निर्माण कार्य में देर हई। अब मशीन लग जाने के बाद कार्यदायी संस्था ने तेजी से कार्य शुरू कर दिया है।

रेडिएशन का डर था रोड़ा

इसके पूर्व कैंसर विभाग में जब कोबाल्ट मशीन के लिए निर्माण कार्य शुरू किया गया तो कुछ लोगों ने रेडिएशन के खतरे संबंधी आपत्ति जताई। उनका कहना था कि जिस स्थान पर मशीन लगाई जा रही है, वहां की दीवार काफी पतली है। इससे रेडिएशन बाहर जाने का खतरा है। इसपर मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने तत्काल दीवार को मोटा कराने का निर्देश दिया। दीवार दुरुस्त होने के बाद दोबारा काम शुरू हुआ। पिछली बार निरीक्षण के लिए पहुंचे डीजीएमई ने भी कार्यदायी संस्था को काम में रफ्तार लाने को कहा था।

मशीन में पड़ा मैटेरियल

लगभग साढ़े चार करोड़ रुपए की लागत से लगी इस मशीन में रेडियो एक्टिव मैटेरियल भी डाल दिया गया है। कार्य में लगे इंजीनियर्स ने बताया कि पिछले दिनों भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर से मैटेरियल मंगाया गया। इंजीनियर्स का कहना है कि मशीन में अब कोई काम नहीं बचा है और मेडिकल कॉलेज प्रशासन इसे शुरू कर सकता है।

कोबाल्ट से होने वाले मुख्य इलाज

मुंह का कैंसर

ब्रेस्ट कैंसर

बच्चेदानी का कैंसर

त्वचा का कैंसर

विशेष प्रकार का हड्डियों का कैंसर