- बिना सर्जरी बंद हो सकता है तीन मिमी तक कान के पर्दे में छेद

- एसजी पीजीआई में इंडोस्कोपिक ईयर सर्जरी पर सीएमई का आयोजन

LUCKNOW: अब कान के पर्दे का छेद बिना चीरा लगाये ही बंद किया जा सकेगा। यह सभंव होगा इंडोस्कोपिक सर्जरी से। इसके साथ ही कान की हड्डी सहित अन्य सर्जरी भी हो सकेंगी। संजय गांधी पीजीआई प्रदेश का ऐसा संस्थान बन गया है जहां पर जटिल इंडोस्कोपिक ईयर सर्जरी सुविधा उपलब्ध है। पीजीआई के न्यूरो सर्जरी विभाग की न्यूरोटोलॉजी (ईएनटी) यूनिट के प्रो। अमित केसरी ने हाल ही में लगभग एक दर्जन मरीजों को इस तकनीक से सर्जरी कर सुनने क्षमता वापस लौटाई है।

बिना सर्जरी होंगे ठीक

संस्थान में शनिवार से शुरू हुई वर्कशॉप में डॉ। अमित केसरी ने बताया कि 2 से 3 मिमी तक का छेद है तो सिर्फ दवाओं की सहायता से ही केमिकल ट्रीटमेंट से छेद को बंद किया जा सकता है। इसके लिए सर्जरी की आवश्यक्ता नहीं है, लेकिन छेद बड़ा होने पर टेम्पोरल फेसिया पर्दे को लेकर छेद को बंद कर दिया जाता है। कई बार हड्डी के गल जाने पर टाइटेनियम या टेफ्लान से बनी हड्डी को लगाया जाता है। कई बार पर्दा और हड्डी दोनों के खराब होने पर दोनों को ठीक किया जाता है। वर्कशॉप में शनिवार को नाक और कान की कई सर्जरी को बिना चीरा लगाए ही किया गया। इनमें सर्जरी के बाद भी बाहर की ओर से कोई निशान दिखाई नहीं देगा।

इंफेक्शन के कारण होती है समस्या

प्रो। अमित केसरी ने बताया कि 90 परसेंट लोगों में कम सुनाई देने की समस्या कान में इंफेक्शन का होना है। इसमें समय पर इलाज न मिलने पर कान के अंदर बना मवाद पर्दे में छेद कर बाहर आने लगता है। या फिर कई बार पर्दे के पीछे की हड्डी गल जाती है। ऐसा होने पर तुरंत ईएनटी स्पेशलिस्ट को दिखाएं।

नर्व में परेशानी पर लगाएं मशीन

डॉक्टर्स ने बताया कि कम सुनाई देने की समस्या अगर नर्व के कारण है तो इसमें हियरिंग एड यानी मशीन या कॉक्लियर इंप्लांट ही कारगर उपाय है। टेक्नीशियन मशीन से जांच कर इसका पता लगाते हैं। संस्थान के टेक्नोलाजिस्ट राकेश श्रीवास्तव और केके चौधऱी ने बताया कि प्योर टोन आडियोमेट्री जांच से सुनाई न देने के पीछे पर्दे में छेद या हड्डी में खराबी का पता करते हैं।

नाक बंद है तो डॉक्टर को दिखाएं

डॉक्टर्स ने बताया कि अगर एक हफ्ते तक या अधिक समय तक नाक बंद या ब्लीडिंग हो रही हो तो तुरंत डॉक्टर से चेकअप कराएं। इसका कारण नाक के अंदर ट्यूमर बनने या अन्य समस्या हो सकती है। समय से इलाज से यह ठीक हो सकता है और लापरवाही पर यह आंख और ब्रेन को भी डैमेज कर सकता है।