-लॉकडाउन के इस दौर में ऑनलाइन पेमेंट बना जरिया

-24 या 25 मई को पड़ सकती है ईद

कोरोना वायरस की वजह से अब ईदी का भी टे्रंड चेंज हो गया है। वेस्टर्न यूनियन मनी ट्रांसफर से तो कोई फोन पे के जरिए बच्चों को ईटी भेज रहा है। विदेशों में रह रहे रिलेटिव से लेकर अन्य प्रदेशों में रहने वाले डिजिटल मोड में ही बच्चों को इस बार ईदी भेज रहे हैं। क्योंकि उनका आना संभव नहीं है। साथ ही संक्रमण का खतरा भी है। बिना घर से निकले बच्चे जो भी कहें उनकी ख्वाहिश पूरी की जाए। इसी सोच के साथ लोग डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग कर रहे हैं। कुल मिलाकर इस बार ईद पर लॉकडाउन ने पूरे समाज को नया ट्रेंड दे दिया है। बच्चों की ईदी भी इससे खाली नहीं है। गुल्लक व पर्स का ट्रेंड अब पीछे छूटता नजर आ रहा है। 24 या 25 मई को ईद पड़ सकती है। ऐसे में बच्चों को ईदी मिलनी शुरू हो चुकी है।

पूरे साल रहता है इंतजार

बच्चों को पूरे साल ईद का इंतजार रहता है। ईदगाहों, मस्जिदों व मोहल्लों में लगने वाले मेले से कुछ खरीदने व खाने-पीने की चाहत रहती है। सभी अपनी ईदी दिखा-दिखा कर दोस्तों से इतराते हैं। अबकी बार ईदगाहों, मस्जिदों व मोहल्लों में मेला नहीं लगेगा। शहर के विभिन्न एरिया में लगने वाला मेला भी नहीं सजेगा। बच्चे घर से बाहर निकलेंगे नहीं लेकिन फिर भी उन्हें इस ईद पर ईदी का इंतजार जरूर रहेगा। बच्चे अपने दादा-दादी, नाना-नानी, मामू व रिश्तेदारों से फोन करके ईदी की फरमाइश करने लगे हैं। लॉकडाउन की वजह से किसी का कहीं आना जाना मुश्किल है तो पेटीएम, फोन पे, गूगल पे ईदी पहुंचाने का बढि़या जरिया बन गए है।

लॉकडाउन खत्म होने का रहेगा इंतजार

सभी बच्चों को ईदी तो मिल जायेगी लेकिन वह ईदी खर्च करने के लिए लॉकडाउन खत्म होने का इंतजार करेंगे। खैर अबकी बच्चे घर में रहकर ईद कैसे मनाते हैं देखना दिलचस्प रहेगा। अबकी बच्चों का कपड़ा भी नहीं बना है। हां सेंवई व कुछ उनके मनपसंद व्यंजन, ईदी से मां-बाप बच्चों को बहलाने की कोशिश करेंगे।