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- JEE मेंस के लिए फॉर्म अप्लाई करने के बाद रिमूव इमेज डिस्क्रिपेंसी से जांच सकते हैं फॉर्म

- पहले प्रक्रिया खत्म होने के बाद मिलता था सुधार का मौका, होती थी प्रॉब्लम

GORAKHPUR:

इस बार जेईई मेंस के लिए अप्लाई करने वालों के लिए अच्छी बात है कि वे फॉर्म भरने के साथ खुद ही उसकी जांच भी कर सकेंगे कि फॉर्म ठीक ढंग से भरा गया है या नहीं। यदि फॉर्म में कोई गलती हुई तो वे उसी समय उसका सुधार कर सकेंगे। इससे उनका फॉर्म रिजेक्ट नहीं होगा और बाद में परेशानी नहीं झेलनी पड़ेगी। यह संभव होगा 'रिमूव इमेज डिस्क्रिपेंसी' की मदद से जिसका लिंक जेईई की वेबसाइट पर डाल दी गई है।

237 फॉर्म में मिली थी त्रुटियां

पहले जेईई मेंस का फॉर्म भरते समय काफी त्रुटियां होती थी लेकिन फॉर्म सबमिट हो जाता था। बाद में इसकी जानकारी होने पर सुधार का मौका मिलता था। इसमें काफी देर लगती थी और साथ ही स्टूडेंट्स को भी प्रॉब्लम होती थी। गोरखपुर जोन में पिछले साल जेईई के लिए आवेदन करने वालों में 237 से अधिक कैंडिडेट्स के फॉर्म में गलतियां मिली थीं। इसी को देखते हुए इस बार वेबसाइट पर ही 'रिमूव इमेज डिस्क्रिपेंसी' का लिंक दिया गया है, जिसकी मदद से फॉर्म की गलतियां उसी समय ठीक की जा सकती है। इस बार जोन से अब तक करीब 8 हजार से अधिक कैंडिडेट्स ने अप्लाई किया है। अभी फॉर्म भरे जा रहे हैं।

ऐसे करें जांच

वेबसाइट पर ऑनलाइन फॉर्म भरने के बाद आप 'रिमूव इमेज डिस्क्रिपेंसी' लिंक पर क्लिक करें। यदि स्कैन इमेज अपलोडिंग में कोई गलती हुई है तो यह तत्काल एरर बताएगा। इसकी साथ ही अन्य गलतियों की भी जानकारी देगा। यदि कोई गलती नहीं है तो फॉर्म को ओके बताएगा। फॉर्म भरने के बाद सभी कैडिडेट्स को एक बार अपने फॉर्म की स्थिति जरूर जांचनी चाहिए।

कोट्स

मैंने ऑनलाइन अप्लाई किया है। 'रिमूव इमेज डिस्क्रिपेंसी' के बारे में पहले ही जानकारी थी। इस लिंक का इस्तेमाल किया।

- केसरी नाथ तिवारी, 12वीं स्टूडेंट

जेईई मेंस की वेबसाइट पर इस लिंक के होने से काफी सहूलियत मिली है। हमें इसकी जानकारी मिल गई थी। इसे बाकायदा फॉलो भी किया है।

शिवांश त्रिपाठी, 12वीं स्टूडेंट

वर्जन

'रिमूव इमेज डिस्क्रिपेंसी' लिंक से इस बार काफी आसानी हुई है। जो कैंडिडेट्स अभी जेईई मेंस के लिए अप्लाई करने जा रहे हैं, वे इसका इस्तेमाल जरूर करें। लिंक पर जाते ही फॉर्म की सारी गलतियां बता देता है। वही फॉर्म सही होने की स्थिति में इसे ओके बताता है।

सुबोध कुमार, हेड, आईआईटी फीटजी सेंटर, गोरखपुर