- पुराने गहनों की खरीद का रखना होगा हिसाब-किताब, भरेंगे फॉर्म

- पुलिस की नजर में रहेगा मार्केट, जानकारी के अभाव में बढ़ेगी सांसत

GORAKHPUR: शहर में लूट और चोरी की घटनाओं को काबू करने के लिए पुलिस नई तरकीब से काम करेगी. आभूषण की दुकानों पर पुरानी ज्वेलरी की खरीद पर शिकंजा कसेगा. पुराने और वैलिड ज्वेलरी खरीदने पर ज्वेलर को ज्वेलरी खरीद फॉर्म की औपचारिकता पूरी करनी पड़ेगी. यूपी पुलिस ने ज्वैलर्स की सहूलियत के लिए पुरानी ज्वेलरी खरीद फॉर्म को मान्यता दे दी है. मतलब साफ है कि यदि किसी व्यक्ति से पुराने गहने खरीदे तो फॉर्म भरवाना अनिवार्य होगा. जरूरत पड़ने पर पुलिस इस फॉर्म को चेक करेगी. जबकि इसके पहले चोरी और लूट के आरोपियों के कबूलनामे के आधार पर पुलिस ज्वेलर्स के खिलाफ कार्रवाई करती थी. सीओ क्राइम ब्रांच ने बताया कि शहर में तीन ज्वेलर्स को चोरी-लूट के गहने खरीदने के आरोप में अरेस्ट किया गया जा चुका है. जल्द ही फॉर्म भरवाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.

बेचने वाला देगा जानकारी, फॉर्म में होगी डिटेल

पुलिस से जुड़े लोगों का कहना है कि पुरानी ज्वेलरी की खरीद पर जो फॉर्म भरा जाएगा. एक तरह से यह ज्वेलर के लिए फायदेमंद होगा. वह फॉर्म भरवाकर अपने पास रख लेंगे. यदि किसी बदमाश ने बताया कि अमुक दुकान पर गहना बेचा था तो पुलिस रिकॉर्ड खंगाल लेगी. कागज होने पर ज्वेलर को दोषी नहीं माना जाएगा. ज्वेलर को बेवजह पुलिस परेशान नहीं करेगी. पुलिस अधिकारियों का कहना है कि फॉर्म जल्द ही उपलब्ध हो जाएगा. इसे हर दुकान पर रखना होगा. जब कभी ज्वेलर्स किसी से पुराना या नया सोने, चांदी का कोई सामान खरीदेंगे तो यह फॉर्म उससे भराना होगा. इसमें उसका केवाईसी होगा, जिसमें सेलर के आईकार्ड की फोटो कॉपी, एड्रेस प्रूफ और फोटो लगानी होगी. यह प्रक्रिया पूरी करने के बाद ज्वेलर्स पूरी तरह से सुरक्षित हो जाएंगे.

ज्वेलर्स अपनाएंगे यह तौर-तरीका

फॉर्म तभी भरवाया जाएगा जब कोई विक्रेता अपनी पुरानी ज्वेलरी किसी को ज्वेलर को बेचेगा.

फॉर्म पर विक्रेता की पूरी डिटेल होगी. इससे जरूरत पड़ने पर पुलिस कभी भी जांच पड़ताल कर लेगी.

बिना दस्तावेज के ज्वेलरी खरीदने वाले ज्वेलर्स को माना जाएगा कि उन्होंने चोर-लुटेरों की मदद की.

चोरी या लूट का सामान जानबूझकर खरीदना अपराध है. इसलिए फॉर्म भरवाया जाएगा ताकि गड़बड़ी न हो.

फॉर्म न भरवाने की स्थिति में पुलिस ज्वैलर्स के खिलाफ भी आईपीसी धारा 411/412 के तहत कार्रवाई कर सकती है.

ज्वेलर्स के पास फॉर्म की वैलिडिटी पूरी होने पर पुलिस उनको किसी भी तरह से उन्हें दोषी नहीं ठहरा सकेगी.

फॉर्म के डर से कोई चोर-लुटेरा किसी ज्वेलर के पास गहने बेचने नहीं जाएगा. इससे पुलिस को मदद मिलेगी.

धारा 411/412 के खिलाफ क्या हो सकती है कार्रवाई

दफा 411

पुलिस से जुड़े लोगों का कहना है कि जो भी कोई, किसी चुराई संपत्ति को विश्वास पूर्वक यह जानते हुए कि वह चोरी की संपत्ति है, बेईमानी से प्राप्त करता है या उसे बरकरार रखता है. उसे किसी एक अवधि के लिए तीन वर्ष तक कारावास या आर्थिक दंड अथवा दोनों से दंडित किया जा सकता है. यह गैर जमानती, संज्ञेय अपराध की श्रेणी में है. किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है.

दफा 412

दूसरा यह है कि जो कोई चुराई गई संपत्ति को बेईमानी से प्राप्त करेगा या रखेगा. जिसके कब्जे के विषय में वह यह जानता है कि या विश्वास करने का कारण रखता है. कि वह डकैती द्वारा स्थानांतरित की गई है. अथवा ऐसे व्यक्ति से जिससे संबंध में वह यह जानता है या विश्वास करने का कारण रखता है. वह डाकुओं की टोली का रहा है. ऐसी संपत्ति जिसके विषय में वह जानता या विश्वास करने का कारण रखता है कि वह संपत्ति चुराई गई है, बेईमानी से प्राप्त करेगा तो उसे आजीवन कारावास या किसी एक अवधि के लिए कठिन कारावास जिसे 10 साल तक बढ़ाया जा सकता है से दंडित किया जाएगा. साथ ही आर्थिक दंड के लिए भी उत्तरदायी हेागा.

क्या करते हैं बदमाश, क्यों हैरान होती पुलिस

चोरी और लूट का माल बदमाश जहां-तहां बेचते हैं. लूट के बाद मिलने वाली चेन सहित अन्य गहनों को सस्ते दामों में खरीदकर ज्वेलर्स गला देते हैं. जांच में कई बार शातिर यह नहीं बताते कि उन्होंने कहां पर सामान बेचा था. यदि किसी का नाम भी बता दिया तो माल की बरामदगी न होने से केस कमजोर पड़ जाता है. इन परिस्थितियों में पुलिस को हैरान होना पड़ता है. दो साल के भीतर शहर के तीन ज्वेलर्स को पुलिस चोरी और लूट के गहने खरीदने के आरोप में गिरफ्तार कर चुकी है. पकड़े गए ज्वेलर और उनके परिजनों का कहना है कि मुकदमे में झूठा फंसाया गया है.

वर्जन

इस नई व्यवस्था से सबको लाभ मिलेगा. ज्वेलरी कारोबारी को पुलिस बेवजह परेशान नहीं करेगी. पुरानी ज्वेलरी खरीदने का रिकॉर्ड मिलने पर किसी को परेशान नहीं किया जाएगा. दूसरा यह फायदा होगा कि पुलिस ज्वेलर्स को बेवजह तंग नहीं कर पाएगी. यह प्रक्रिया शुरू होने से चोरी का माल खरीदने पर अंकुश लगेगा. इसको लेकर जल्द ही प्रक्रिया शुरू की जाएगी.

- प्रवीण कुमार सिंह, सीओ क्राइम ब्रांच