पाकिस्तान को चाहिए कोहिनूर

विश्व प्रसिद्ध कोहिनूर हीरे को ब्रिटेन से वापस लाने के लिए भारत प्रयास करता रहा है। लेकिन इस पर अब पाकिस्तान में भी दावा किया गया है। पाकिस्तान की एक अदालत में याचिका दाखिल कर सरकार से इस बहुमूल्य रत्न को ब्रिटेन से लाने की मांग की गई है। लाहौर हाई कोर्ट में बैरिस्टर जावेद इकबाल जाफरी ने याचिका दाखिल कर आरोप लगाया है कि ब्रिटेन ने महाराजा रणजीत सिंह के पोते दलीप सिंह से हीरा छीन लिया था और उसे ब्रिटेन ले जाया गया था। उन्होंने कहा, ‘फिलहाल हीरा महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के मुकुट का हिस्सा है। 105 कैरेट और अरबों रुपये मूल्य के इस हीरे पर महारानी का कोई हक नहीं है।’ जाफरी ने कहा, ‘कोहिनूर हीरा पंजाब प्रांत की सांस्कृतिक विरासत थी और वास्तव में यह संपत्ति यहां के लोगों की है।’

कोहिनूर की दास्तान

उल्लेखनीय है कि मध्यकालीन युग में आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले के कोल्लूर खदान में खनन के दौरान यह कोहिनूर हीरा मिला था। एक समय में इसे विश्व का सबसे बड़ा हीरा माना जाता था। फिर इसे काकात्य वंश की देवी की आंख में लगाया गया। जहां से ये मुगल शंशाह शाहजहां के पास पहुंचा जिसे नादिर शाह लूट कर अफगानिस्तान ले गया। बाद में ये किसी तरह सिख राजाओं के पास पहुंचा और 1849 में जब सिख साम्राज्य का खजाना सील हुआ तो इसे लािहौर खजाने में भेज दिया गया। और वहां से राजा दिलीप सिंह के समय में ब्रिटेन चला गया और वहां की महारानी के मुकुट का हिस्सा बना। भारत लंबे समय से कोहिनूर को वापस करने की मांग करता रहा है जो ब्रिटेन की ओर जब्त किए जाने से पहले मुगल बादशाहों और महाराजाओं के पास था। भारत का कहना है कि कोहिनूर को अवैध तरीके से हासिल किया गया था और इसे ब्रिटिश शासन के समय लूटे गए अन्य खजाने के साथ वापस किया जाना चाहिए।

भारतीय मूल के ब्रिटिश सांसद कीथ वाज ने भरत की मांग का किया था समर्थन

नवंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्रिटेन दौरे से पहले भारतीय मूल के ब्रिटिश सांसद कीथ वाज ने कोहिनूर हीरा भारत को वापस देने की मांग की थी। ब्रिटिश भारतीय सांसद कीथ वाज ने यह बयान कांग्रेस सांसद शशि थरूर के ऑक्सफोर्ड यूनियन में दिए गए भाषण की प्रतिक्रिया में सामने आया था जिसमें उन्होंने ब्रिटेन से 200 वर्षों तक भारत पर बर्बर औपनिवेशिक शासन के लिए हरजाने की मांग की थी। वाज ने कहा कि वे डॉ थरूर के बयान और प्रधानमंत्री मोदी द्वारा उनके संदेश का समर्थन किए जाने का स्वागत करते हैं। वे दोनों के दृष्टिकोण से सहमत हैं और मानते हैं कि ये जायज आपत्ति है जिसका समाधान होना चाहिए। कोहिनूर हीरे जैसी अमूल्य वस्तुओं को नहीं लौटाने के लिए कोई बहाना नहीं हो सकता।

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