- डिजिटल होंगे 22 अर्बन हेल्थ सेंटर

- प्रिस्क्रिब्शन के साथ ही जांच और दवाएं भी डिजिटल मोड में लिखी जाएंगी

- मरीज के आईडी नंबर दिखाने पर मिल जाएगी दवा और हो जाएगा टेस्ट

GORAKHPUR: गवर्नमेंट अब हेल्थ सेक्टर की सेहत सुधारने के लिए काफी संजीदा है। यही वजह है कि रोजाना नई कवायदें की जा रही हैं, तो वहीं गवर्नमेंट हॉस्पिटल और मेडिकल को भी हर जरूरी साजो-सामान मुहैया कराए जा रहे हैं। इन सबकी दशा में सुधार करने के बाद गवर्नमेंट का फोकस बेसिक हेल्थ पर है। छोटी-मोटी प्रॉब्लम के लिए प्राइमरी हेल्थ सेंटर पर पहुंचने वालों के लिए अच्छी खबर है। अब एक बार इन पीएचसी पर रजिस्ट्रेशन कराने के बाद न तो उन्हें बार-बार रजिस्ट्रेशन की जरूरत होगी और न ही उन्हें अपने रिकॉर्ड को लेकर ही कोई टेंशन लेनी पड़ेगी। गवर्नमेंट ने इन हेल्थ सेंटर्स को डिजिटली अपडेट करने का फैसला किया है, जिससे कि वहां जाने वाले मरीजों का डाटा विभाग के पास पहले से मौजूद रहे और उनकी पास्ट हिस्ट्री देखकर डॉक्टर्स उसी के हिसाब से उनका इलाज कर सकें।

22 सेंटर्स होंगे ऑनलाइन

गोरखपुर अर्बन सेक्टर में मौजूद 22 सेंटर्स को ऑनलाइन करने की तैयारी की जा रही है। इसका सबसे ज्यादा फायदा पेशेंट्स को ही मिलेगा। ई-सेंटर्स बन जाने से पेशेंट्स जब डॉक्टर्स के पास पहुंचेगा और उसके पास अगर अपनी पास्ट हिस्ट्री नहीं भी होगी, तो डॉक्टर्स सिंगल क्लिक पर इसे देख सकेंगे और उसी के अकॉर्डिग इलाज कर सकेंगे। इसके लिए पेशेंट्स को पहले अपना रजिस्ट्रेशन कराकर यूआईडी नंबर जनरेट कराना होगा, जिसे अपने पास रखना होगा। नंबर के जरिए उसकी पहचान हो सकेगी। वहीं यूआईडी डालकर ही पेशेंट्स का डाटा देखा जा सकेगा।

डॉक्टर्स लिखेंगे ऑनलाइन प्रिस्क्रिब्शन

ई-हेल्थ सेंटर्स की सबसे खास बात यह है कि इसमें कागज के इस्तेमाल को कम करते हुए डिजिटल मोड में सर्विस प्रोवाइड करना है। पेशेंट्स रजिस्ट्रेशन के बाद जब डॉक्टर के पास पहुंचेगा, तो अपना यूआईडी नंबर डॉक्टर को देगा। डॉक्टर इसे ओपन करेंगे और वहीं पर प्रिस्क्रिब्शन लिखेंगे। वहीं अगर उन्हें टेस्ट लिखना है, तो वह भी वह इस मॉड्यूल में लिखेंगे। अब पेशेंट को अगर टेस्ट कराना है तो लैब में जाएगा और वहां अपना आईडी बताएगा। जिसके बाद डॉक्टर ने जो टेस्ट लिखे हैं, लैब असिस्टेंट उसे देख सकेंगे और उसी के अकॉर्डिग मरीज का टेस्ट कर इसी पर रिपोर्ट अपलोड कर देंगे। वहीं दवा के लिए भी कोई पर्चा पेश नहीं करना है, बल्कि यूआईडी बताकर प्रिस्क्राइब्ड दवा भी मिल जाएगी।

वर्जन-

22 पीएचसी को ऑनलाइन कर ई-पीएचसी बनाया जा रहा है। पेपरलेस वर्क को बढ़ावा देने के लिए यह पहल की जा रही है। इससे मरीजों को आसानी होगी, वहीं विभाग को भी डाटा मेंटेन करने में मदद मिलेगी।

- डॉ। एसके तिवारी, सीएमओ