- नान कम्युनिकेबल डिजीज से लाइफ लांग बना रहता है खतरा

- एनपीसीडीसीएस प्रोग्राम शुरू, मरीजों की चल रही स्क्रीनिंग

ALLAHABAD: मलेरिया, फाइलेरिया, चिकन पॉक्स और डेंगू जैसी संक्रामक बीमारियों पर ही सभी का ध्यान रहता है। लोग डायबिटीज, कैंसर, ब्लड प्रेशर, हार्ट प्रॉब्लम और हार्ट अटैक जैसी नान कम्युनिकेबल डिजीज को लेकर गंभीर नहीं रहते हैं। लेकिन लाइफ स्टाइल पर आधारित इन बीमारियों की चपेट में एक बार आ जाने के बाद मरीज जीवन पर्यत इनसे त्रस्त रहता है। इसलिए इन बीमारियों से डरना और इनके प्रति अवेयर रहना जरूरी है। इसी गंभीरता को देखते हुए शासन ने नेशनल प्रोग्राम फॉर कैंसर, डायबिटीज, कार्डियोवैस्कुलर एंड स्ट्रोक्स (एनपीसीडीसीएस) कार्यक्रम की शुरुआत की है। इसका मकसद लोगों को ऐसी घातक और जानलेवा बीमारियों से होशियार करना है।

हर सातवां व्यक्ति बीपी का मरीज

स्वास्थ्य विभाग के ताजा आंकड़े बताते हैं कि देश में प्रत्येक एक हजार लोगों में 159 को ब्लड प्रेशर की समस्या है। इसी तरह एक हजार में 37 लोग दिल के रोगी, दो व्यक्ति हार्ट अटैक और 62 व्यक्ति डायबिटीज से ग्रसित हैं। आंकड़े बताते हैं कि कितनी तेजी से लोग इन नॉन कम्युनिकेबल डिजीज की चपेट में आ रहे हैं।

मरीजों की चल रही स्क्रीनिंग

एनपीसीडीसीएस कार्यक्रम के तहत इन बीमारियों के मरीजों की स्क्रीनिंग चल रही है। इसके लिए कॉल्विन हॉस्पिटल में एनसीडी सेंटर बनाया गया है। यहां पर इलाज किया जाता है और सीरियस मरीजों को एसआरएन हॉस्पिटल रेफर कर दिया जाता है। स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि स्क्रीनिंग के दौरान एकत्रित हुए आंकड़ों को प्रतिमाह शासन के पास भेजा जा रहा है, जिसके आधार पर तैयार रिपोर्ट के जरिए लोगों को बेहतर तरीके से जागरुक किया जाएगा।

कैंसर से बचकर रहना

नान कम्युनिकेबल डिजीजेज में सर्वाधिक खतरनाक कैंसर है। स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट बताती है कि हर साल देश में 28 लाख केसेज रजिस्टर्ड होते हैं और इनमें से 11 लाख नए मरीज होते हैं। इनमें से पांच लाख की प्रतिवर्ष मृत्यु हो जाती है। इंडिया में अधिकतर मुख, स्तन और बच्चेदानी के कैंसर सामने आते हैं।

कैंसर के मुख्य कारण

- तंबाकू चबाना

- शारीरिक शिथिलता

- अस्वस्थ भोजन की आदत

- शराब या मदिरा का सेवन

- तनावग्रस्त रहना

- वायु प्रदूषण

- मोटापा

- ब्लड प्रेशर

- हाई ब्लड शुगर

- खून में अधिक वसा का होना

देश में नॉन कम्युनिकेबल डिजीजेजज के आंकड़े (प्रति एक हजार)

डायबिटीज- 62

हाई ब्लड प्रेशर- 159

दिल के रोगी- 37

हार्ट अटैक- 1.54

इस पर भी ध्यान दीजिए

विश्व में प्रतिवर्ष होने वाली मौतें- 5.7 करोड़

इनमें से एनसीडी से होने वाली मौतों का प्रतिशत- 3.6 करोड़ यानि 63 फीसदी

गरीब एवं मध्यम वर्गीय देशों में होने वाली मौतें- 80 फीसदी

- लोगों की लाइफ स्टाइल बेहद रफ हो चली है, जिसके चलते घातक बीमारियों का खतरा उनके जीवन पर मंडरा रहा है। शासन की ओर से संक्रामक बीमारियों की रोकथाम की जा रही है लेकिन अब समय आ गया है कि नॉन कम्युनिकेबल डिजीजेज को फैलने से रोका जाए। इसके लिए स्क्रीनिंग प्रोग्राम चलाकर कारण और मरीजों की संख्या का डाटा एकत्रित किया जा रहा है।

डॉ। सादिक अली, डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम ऑफिसर, एनपीसीडीसीएस, स्वास्थ्य विभाग