कानपुर (ब्यूरो)। चीन ने अपनी शुगर इंडस्ट्री की क्षमता बढ़ाने के लिए एनएसआई से टेक्निकल सपोर्ट मांगा है। चीन का एक डेलीगेशन बुधवार को नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट(एनएसआई)पहुंचा और लेटेस्ट टेक्नोलॉजी के बारे में जानकारी हासिल की। डेलीगेशन ने एनएसआई की लैब, रिसर्च वर्क व वाटर री साइकिल टेक्निक के बारे में जाना। बता दें कि चीन में जितनी शुगर की डिमांड है उतनी वहां की इंडस्ट्री में प्रोडक्शन नहीं होता है। चीन शुगर प्रोडक्शन में पूरी तरह आत्मनिर्भर होने केलिए टेक्नोलॉजी को अपेडट करना चाहता है। मार्च तक एनएसआई के एक्सप‌र्ट्स का एक डेलीगेशन चीन की विजिट पर जाएगा। यह जानकारी एनएसआई डायरेक्टर प्रो नरेन्द्र मोहन अग्रवाल ने दी।

यूपी की मिलों से भी कम

प्रो। नरेन्द्र मोहन अग्रवाल ने बताया कि चीन से आए डेलीगेशन का नेतृत्व डिप्टी डायरेक्टर जनरल गोऑक्सी शुगर डेवलपमेंट ने किया। चीन की शुगर इंडस्ट््री की एफीशिएंसी काफी कम है। यूपी की शुगर मिलों की चीनी में रिकवरी 11 से 12 परसेंट हो रही है। वहीं चीन की शुगर मिलों में 8.5 से लेकर 10 परसेंट तक ही शुगर की रिकवरी होती है। चीनी डेलीगेशन अपनी शुगर इंडस्ट्री में सिर्फ चीनी बनाता है जबकि इंडिया में पॉवर के साथ साथ अदर प्रोडक्ट्स भी बनाए जाते हैं।

डिटरजेंट वाली टेक्निक पसंद आई

चीन के डेलीगेशन ने एनएसआई की लैब्स, फैक्ट्री व रिसर्च वर्क के बारे में बारीकी से जानकारी हासिल की। वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में यूज की जा रहा वॉटर रीसाइकिल टेक्निक डेलीगेशन को काफी पसंद आई। इसके अलावा उन्हें बगास से डिटरजेंट बनाने वाली टेक्नोलॉजी में भी खासा इंटरेस्ट दिखाया। आने वाले टाइम में टेक्नोलॉजी को लेकर चीन गवर्नमेंट ऑफ इंडिया से एमओयू साइन करेगा। मार्च के लास्ट तक एनएसआई का एक डेलीगेशन चीनी शुगर इंडस्ट्री की विजिट करेगा और वहां की कंडीशन को चेक करेगा।

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