- इस साल 81 देशों की आबादी से भी अधिक है यूपी बोर्ड कैंडिडेट्स की तादाद

- गोरखपुर में घट गए 4500 कैंडिडेट्स, सख्ती बनी वजह तो लचर व्यवस्था ने स्टूडेंट्स को किया दूर

GORAKHPUR: इस साल यूपी बोर्ड एग्जाम में 56 लाख से अधिक कैंडिडेट्स शामिल हो रहे हैं। यूनाइटेड नेशन के आंकड़ों पर नजर डालें तो ये तादाद 42 प्रतिशत देशों की कुल आबादी से भी अधिक है। लेकिन सीएम सिटी गोरखपुर में इस बार हाई स्कूल और इंटर कैंडिडेट्स की तादाद में तेज गिरावट नजर आ रही है। इस साल यहां कुल 147410 लाख कैंडिडेंट्स एग्जाम देंगे। पिछले बोर्ड एग्जाम के मुकाबले इस बार 4500 कैंडिडेंट्स घट गए हैं। एक्सप‌र्ट्स की मानें तो कुछ तो ये यूपी बोर्ड के एजुकेशन सिस्टम की खामी का नतीजा है तो कई लोग इसके पीछे सरकार द्वारा की गई सख्ती को वजह मान रहे हैं।

घट गए प्राइवेट कैंडिडेट्स

सेशन 2018-2019 बोर्ड एग्जाम में यहां हाई स्कूल में 81157 रेग्युलर और 638 प्राइवेट कैंडिडेट्स का रजिस्ट्रेशन हुआ था। वहीं इस बार 2020 के बोर्ड एग्जाम में हाई स्कूल में 78522 रेग्युलर और 262 प्राइवेट स्टूडेंट्स रजिस्टर्ड हुए हैं। इसी तरह इंटरमीडिएट में पिछली बार 68529 रेग्युलर और 1663 प्राइवेट स्टूडेंट्स रजिस्टर्ड हुए थे। जबकि 2020 बोर्ड एग्जाम में 67465 रेग्युलर और 1161 प्राइवेट स्टूडेंट्स रजिस्टर्ड किए गए हैं। इस आंकड़े से ही आप स्टूडेंट्स की घटती संख्या का आंकलन कर सकते हैं। जबकि इस बार कहीं अधिक पैसा सरकार द्वारा एजुकेशन सिस्टम पर खर्च किया गया है।

सख्ती भी बनी वजह

जहां पहले यूपी बोर्ड एग्जाम के लिए स्टूडेंट्स की भीड़ लगी रहती थी। कई लोग तो पास कराने के नाम पर धनउगाही भी करते थे। वहीं कोई नंबर बढ़ाने के लिए तो कोई मार्कशीट के लिए जुगाड़ लगाकर एग्जाम में शामिल होता रहा है। लेकिन इस बार बोर्ड एग्जाम में मनमाना सेंटर बनवाने में नकल माफिया की दाल नहीं गल सकी है। साथ ही सीसीटीवी कैमरे की निगरानी ने नकल माफियाओं के कारनामे पर ब्रेक लगा दिया है। इस वजह से भी बोर्ड एग्जाम में कैंडिडेट्स की संख्या घटी है।

लचर व्यवस्था भी कर रही मोहभंग

यूपी बोर्ड की लचर व्यवस्था की वजह से भी काफी लोग धीरे-धीरे सीबीएसई और सीआईएससीई बोर्ड स्कूलों में अपने बच्चों का एडमिशन करवा रहे हैं। जबकि यूपी बोर्ड स्कूलों में भी इंग्लिश मीडियम की तरह ही व्यवस्था की जानी थी। लेकिन सरकार की मंशा के अनुरूप ये काम नहीं हो पाया है। आज भी यूपी बोर्ड स्कूलों का हाल बदहाल है जिससे आने वाले समय में संख्या और घट सकती है।

वर्जन

सख्ती की वजह से भी कई लोग एग्जाम में शामिल नहीं हो रहे हैं। सेंटर्स के लिए स्कूल्स का चयन हो रहा है।

ज्ञानेन्द्र प्रताप सिंह भदौरिया, डीआईओएस