- नर्सिग एक्ट से डॉक्टर्स व नर्सिग होम्स की मनमानी पर लगेगी लगाम

- हेल्थ केयर के मानकीकरण में होगा सुधार, कड़े प्रोविजन सबको करने होंगे फॉलो

PATNA: स्टेट कैपिटल होने के बावजूद पटना में हेल्थ के नाम पर लूट चरम पर है। नर्सिग एक्ट अभी तक लागू नहीं होने के कारण हर आम और खास परेशान है। नियम के अभाव में मनमानी की तो पूछिए मत। कभी पेशेंट को बेवजह बेड पर रखकर बिल बढ़ाना, टेस्ट और मेडिसिन की लंबी बिल और पेशेंट के रिलेटिव्स के साथ मेडिकल इंफॉरमेशन शेयर नहीं करना, ऐसी कई बातें हैं जिसे लेकर हर किसी को प्रॉब्लम हो रही है। दूसरी ओर, यहां हेल्थ ऑथॉरिटी को ही पता नहीं कि कितने नर्सिग होम चल रहे हैं, ताकि उन्हें रेग्युलेट किया जा सके। इसे लेकर अब लोग आवाज बुलंद कर रहे हैं।

क्यों जरूरी है इन पर लगाम

पटना के विभिन्न इलाकों में नर्सिग होम का धंधा खूब फल-फूल रहा है। नियम नहीं, तो लगाम नहीं। इसी सोच के साथ नर्सिग होम कमाई का चोखा तरीका बन गया है। बस एक बार कोई एडमिट क्या हुआ, उसकी तो पूरी कमाई ही चली जाती है। आए दिन यह हंगामा का भी अड्डा बनता जा रहा है। अभी एक महीने पहले ही उदयन हॉस्पीटल में पेशेंट के रिलेटिव्स के साथ जमकर मारपीट की घटना हुई थी।

एक्ट में क्या है प्रोविजन

बिहार क्लीनिकल स्टैब्लिशमेंट रूल, ख्0क्फ् के मुताबिक

- स्टेट के हर डिस्ट्रिक्ट में होगा लागू।

- नर्सिग होम खोलने वाले को रजिस्ट्रेशन कराना होगा अनिवार्य।

- एक्ट के सेक्शन क्0 के अनुसार हर डिस्ट्रिक्ट में रजिस्ट्रेशन आथॉरिटी बनेगा।

- इसके पास पावर होगा नर्सिग होम को ग्रांट, रिन्यू्र, सस्पेंशन या रजिस्ट्रेशन कैंसिल करने का।

- इसे क्वाटर्ली बेसिस पर एक्शन टेकेन रिपोर्ट बनाना होगा, जो एक्ट के वायलेशन के बारे में होगा।

- एक्ट के तहत पहली वार वायलेशन के केस में दस हजार, दूसरे वायलेशन के केस में पचास हजार और तीसरे केस में अधिकतम पांच लाख रुपए तक जुर्माना किया जा सकता है।

- क्लीनिकल स्टैबलिस्मेंट का रजिस्ट्रेशन हर डिस्ट्रिक्ट में किया जाएगा।

- हर सप्ताह बनेगी एक्टिविटी रिपोर्ट।

- स्टेट काउंसिल का गठन करना होगा।

- स्टेट काउंसिल का काम होगा रजिस्टर्ड नर्सिग होम की कंपाइलिंग और अपडेशन।

- नेशनल रजिस्टर को मंथली रिपोर्ट भेजना होगा।

- इंफ्रास्ट्रक्टर, मेडिकल पर्सन और अन्य स्टाफ की डिटेल देनी होगी।

- सिविल सर्जन होंगे जांच के नोडल ऑफिसर।

एक्ट के दो अहम पहलू

हेल्थ सर्विस को मानक बनाने और उसके स्तर को सुधारने में यह बड़ा कदम है। रजिस्ट्रेशन होने पर हर एक्टिविटी की जानकारी होने से पेशेंट के लिए बेटर केयर मिलने की संभावना है। न्यूनतम मानक बन जाने से हेल्थ सर्विस बेटर होगी। उम्मीद की जा रही है कि नर्सिग होम के मशरूमिंग पर लगाम लगेगी। वहीं, दूसरी ओर डॉक्टरों के मन में यह डर सता रहा है कि कहीं सरकार इसे लागू करने के नाम पर परेशान करना न शुरू कर दें। अगर ऐसा होता है, तो लाइसेंस राज जैसी स्थिति होगी। इसलिए मैक्सिमम डॉक्टरों का मानना है कि इसे लागू करने से पहले डॉक्टरों को इस बारे में पूरी तरह से अवगत कराया जाए।