- न्यूरोलाजी अपडेट कांफ्रेंस में जुटे देश भर के डॉक्टर

- लकवा सहित कई न्यूरोलॉजी डिसऑडर पर की गई चर्चा

<- न्यूरोलाजी अपडेट कांफ्रेंस में जुटे देश भर के डॉक्टर

- लकवा सहित कई न्यूरोलॉजी डिसऑडर पर की गई चर्चा

PATNA :

PATNA : 'बच्चों के मूवमेंट में डिसऑडर कई बार नजरअंदाज कर दिए जाते हैं। हाथ, पैर का हिलना, चलने में लड़खड़ाना आदि के कारण बच्चों में न केवल ग्रोथ रूकता है बल्कि वे दैनिक कामकाज भी नहीं कर पाते। इससे बच्चों का हार्ट का वाल्व भी खराब हो जाता है.' उक्त बातें आईजीआईएमएस के न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड डॉ अशोक कुमार ने कहा। उन्होने बताया कि इंडियन एपलेप्सी एसोसिएशन बिहार शाखा एवं आईजीआईएमएस के न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट की ओर से आयोजित न्यूरोलॉजी अपडेट कांफ्रेंस में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि प्राय: यह म् -क्0 साल के बच्चों में यह बीमारी देखा जाता है। इस बीमारी को रूमैटिक कोरिया की बीमारी कहा जाता है।

एंटीबायोटिक है कारगर इलाज

रूमैटिक कोरिया के इलाज में सामान्य एंटीबायोटिक कारगर है। इसका इंजेक्शन ख्क् दिन के अंतराल पर दिया जाता है। यह सुविधा सरकारी अस्पताओं में भी उपलब्ध है। लेकिन, मूल समस्या है जागरूकता तथा सावधानी बरतने की। इसके अभाव में ही यह बीमारी बढ़ती रहती है और यदि समय पर इलाज न हो या दवा बीच में ही छूट जाए तो हार्ट का वाल्व खराब हो सकता है। इसलिए इसके उपचार के लिए तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

गंदगी से फैल रही बीमारी

प्राय: गंदगी वाले इलाकों में रहने वाले लोग इससे पीडि़त होते हैं। संपूर्ण दक्षिण पूर्व एशिया के देशों विशेषकर भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान में इसका प्रीवलेंस अधिक है। भारत में बिहार- यूपी और अन्य पिछड़े इलाके जहां गंदगी अधिक है और हाइजीन के महत्व के बारे में लोगों के बीच जागरूकता नहीं हैं, वहां यह बीमारी प्रमुख रूप फैली हुई है। इसमें चेचक का असर जब ब्रेन पर होता है तो इसका क्0-क्ख् सेकेंड के अंतराल पर झटका सा लगता है। यदि बच्चे को समय पर एमएमआर का टीका लग जाए तो इसके खतरे से बच सकते हैं।

अनुवांशिक है बीमारी

जयपुर, राजस्थान से आए सीनियर फिजिशियन डॉ धनपत कोचर ने पोर फाइरिया नामक बीमारी के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि यदि पेट में दर्द, बेहोशी, बीपी बढ़ना और पेशाब बार-बार व लाल रंग का आए तो ये सभी इस बीमारी के लक्षण हैं। खास बात यह है कि साधारण दवाईयों से इसका इलाज नहीं हो पाता। देश भर में सबसे अधिक केसेज राजस्थान में ही चिन्हित किए गए हैं। यह एक अनुवांशिक बीमारी है और जागरूकता से बचाव संभव है। यह क्म्-ब्0 वर्ष के उम्र के बीच के लोगों में तथा महिलाओं में अधिक होता है।

कई महत्वपूर्ण विषयों दी गई जानकारी

एम्स, नई दिल्ली की न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट की हेड डॉ पद्मा श्रीवास्तव ने लकवा के पेशेंट के इलाज के बारे में तथा लुधियाना के क्रिसचन मेडिकल कॉलेज के डॉ जियाराज दुराई पानडीयान ने अपने लेक्चर मे ब्रेन हेमरेज के आधुनिक इलाज के बारे में बताया। दिल्ली स्थित जीबी पंत हास्पिटल के प्रोफेसर देवाशीष चौधरी ने सरदर्द के बारे में बताया। कहा कि सबसे कॉमन समस्या इसमे माइग्रेन होती है। इसमें लक्षणों के आधार पर समुचित और कारगर इलाज संभव हैं। डॉ गोपाल प्रसाद सिन्हा आयोजन समिति के अध्यक्ष और डॉ अशोक कुमार आयोजन के सचिव सहित अन्य कई उपस्थित थे।