आगरा। अगर आप बिजली बचाने और सोलर एनर्जी से संबंधित कोई जानकारी चाहते हैं, तो ऑफिस जाने से पहले तैयार हो जाएं। वहां आपको कोई सक्षम अधिकारी मिलेगा ही नहीं। क्योंकि विकास भवन स्थित नेडा विभाग को केवल चपरासी ही चलाता है। कर्मचारी और अधिकारी गायब रहते हैं। इन्हें कार्रवाई का भय नहीं है। विभाग में न अधिकारी मिलते हैं और न ही कर्मचारी यह शिकायत पुरानी है। लेकिन गुरुवार को अचानक सीडीओ जे। रीभा पहुंच गई। उन्हें नेडा विभाग में न तो कोई अधिकारी ही मिला और न ही कोई बाबू। सभी गायब थे। सीडीओ ने स्पष्टीकरण मांगा है। इसके साथ ही अन्य विभागों का भी निरीक्षण किया, इस दौरान अन्य विभागों से कई अधिकारी व बाबू भी गायब मिले। शौचालय की हालत और दयनीय मिली।

सौर ऊर्जा क्षेत्र में कदम बढ़ाने का है प्रयास

केंद्र सरकार का सौर ऊर्जा क्षेत्र में विस्तार करना चाहती है। इसके लिए नेडा विभाग के जरिए सोलर पैनल लगाए जाने के लिए केंद्र सरकार की ओर से भारी भरकम छूट का प्रावधान किया गया है। प्रदेश सरकार भी छूट देती है। ताकि लोग सौर ऊर्जा के क्षेत्र में रुचि लें। आगरा में दयालबाग शिक्षण संस्थान में सोलर पैनल लगाए गए हैं। इन्हें के माध्यम से पूरे शिक्षण संस्थान में विद्युत आपूर्ति की जाती है। शिक्षण संस्थान के अधिकारियों का कहना है कि उन्हें इससे काफी लाभ मिल रहा है। यही नहीं कलेक्ट्रेट, सीडीओ कार्यालय के अलावा सरकारी भवनों में सोलर पैनल लगाए गए हैं ताकि बिजली बचाई जा सके।

विकास भवन से बेची जाती है लाइट

विकास भवन लगे सोलर पैनल इतनी बिजली पैदा करते हैं कि उन्हें टोरंट को बेचनी पड़ती है। ये तो वो विषय रहा जो सरकारी कार्यालय हैं और शिक्षण संस्थान हैं, लेकिन आम लोगों को इसके लिए प्रेरित करने के लिए विकास भवन में नेडा विभाग है।

दो जिलों का है चार्ज

परियोजना अधिकारी (पीओ नेडा) प्रदीपचंद्र पर आगरा और फिरोजाबाद का चार्ज है। जब वे यहां आते हैं तो कर्मचारी आते हैं, जब वे नहीं आते हैं तो कर्मचारी भी गायब हो जाते हैं। कर्मचारियों को किसी का भय नहीं है।

नया प्रोजेक्ट नहीं लगा सके हैं पांच माह के अंतराल में शहर और शहर से बाहर कहीं पर भी कोई भी नया प्रोजेक्ट नहीं लगा सके हैं। न ही इस बीच में इससे संबंधित कोई प्रदर्शनी का आयोजन हो सका है।

शासन को भेजी रिपोर्ट

सीडीओ जे। रीभा ने इस संबंध में डीएम और शासन को रिपोर्ट भेज दी है। उन्होंने बताया कि पीओ नेडा पर दो जिलों का चार्ज है, इसलिए वे नहीं पहुंचे, लेकिन अन्य स्टाफ को आना चाहिए। ये अनुशासनहीनता है। इनके विरुद्ध कार्रवाई के लिए शासन को रिपोर्ट भेजी गई है।

वर्जन

ये अनुशासनहीनता है। अनुपस्थित कर्मचारियों का वेतन रोके जाने के निर्देश दिए गए हैं। इसके साथ ही शासन और डीएम को रिपोर्ट भेज दी गई है।

जे। रीभा, सीडीओ