- पुलिस साइंस कांग्रेस के समापन समारोह में बोले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह

- सैनिक स्कूल की तर्ज पर पुलिस अफसर तैयार करने को खोली जाएगी रक्षा शक्ति यूनिवर्सिटी

- सीएम योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य व डॉ। दिनेश शर्मा ने भी की शिरकत

द्यह्वष्द्मठ्ठश्र2@द्बठ्ठद्ग3ह्ल.ष्श्र.द्बठ्ठ

रुष्टयहृह्रङ्ख : 'मोदी सरकार ब्रिटिश काल के बनाए गए आईपीसी (इंडियन पीनल कोड) व सीआरपीसी (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर) में बड़ा बदलाव करने जा रही है.' यह कहना है देश के गृहमंत्री अमित शाह का। उन्होंने कहा कि यह कानून ब्रिटिश हुकूमत ने अपना शासन चलाने के लिये बनाए थे न कि नागरिकों के लिहाज से। वे 47वीं पुलिस विज्ञान कांग्रेस को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य व डॉ। दिनेश शर्मा प्रमुख रूप से मौजूद रहे।

कानूनी विशेषज्ञों व राज्यों से मांगे सुझाव

पुलिस मुख्यालय में आयोजित पुलिस साइंस कांग्रेस के समापन सत्र में शाह ने कहा कि पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ब्यूरो ने आईपीसी, सीआरपीसी में संशोधन का मसौदा तैयार कर गृह मंत्रालय को भेज दिया है लेकिन मुझे कोई जल्दी नहीं है। ऐसे कानून सौ-डेढ़ सौ वर्षों में एक बार बदले जाते हैं। इन कानूनों को आधुनिक संदर्भो में सरल, सुचारु और पब्लिक सेंट्रिक कैसे बनाया जाए, इसके लिए प्रत्येक राज्य के पुलिस महानिदेशक से लेकर बीट कांस्टेबल तक गृह मंत्रालय को अपने सुझाव दे। बदलाव के मसौदे को वेबसाइट पर सार्वजनिक भी किया जाएगा। इसके लिये कानूनी विशेषज्ञों व राज्यों से भी सुझाव आमंत्रित किये गए हैं।

तैयार होंगे रेडीमेड पुलिस अफसर

पेशेवर और प्रशिक्षित पुलिस अफसरों की कमी को दूर करने के लिए शाह ने सैनिक स्कूल की तर्ज पर रक्षा शक्ति यूनिवर्सिटी स्थापित किए जाने की भी घोषणा की जिसके लिए केंद्र सरकार विधेयक लाएगी। उन्होंने कहा कि जिन राज्यों में पुलिस यूनिवर्सिटी नहीं है, वहां इनसे संबद्ध कॉलेज स्थापित किया जाएगा। हाईस्कूल पासआउट जो बच्चे पुलिसिंग में अपना करियर बनाना चाहते हैं, वे इनमें पढ़ सकते हैं। इस यूनिवर्सिटी में फॉरेंसिक साइंस, कानून, अभियोजन, विवेचना और पुलिस थानों के संचालन की पढ़ाई होगी। जो छात्र यहां से पढ़कर निकलेंगे उन्हें पुलिस भर्ती में प्राथमिकता मिलेगी क्योंकि वे 'रेडीमेड मटीरियल' होंगे।

बॉक्स

फॉरेंसिक साक्ष्य जुटाना कंपलसरी

गृह मंत्री ने कहा कि देश में क्रिमिनल्स को सजा दिलाने का प्रतिशत बेहद कम है। कहा, इस समस्या से निपटने के लिये केंद्र सरकार नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी बनाने जा रही है। सात साल से ज्यादा सजा वाले संगीन आपराधिक मामलों में फॉरेंसिक साक्ष्य जुटाना कंपलसरी होगा। राज्यों में इस यूनिवर्सिटी से संबद्ध कॉलेज होंगे। इसके लिये राज्यों को अलग से ज्यादा खर्च नहीं करना होगा। बल्कि, वे किसी साइंस कॉलेज को भी फॉरेंसिक कॉलेज में बदल सकते हैं। इसके अलावा राज्यों में मॉडस ऑपरेंडी ब्यूरो स्थापित किया जाएगा। एफआईआर दर्ज होते ही उस अपराध में अपनाई गई मॉडस ऑपरेंडी ब्यूरो के पास पहुंच जाएगी। जिन मामलों में सजा होगी, उसका ब्योरा भी ब्यूरो के पास भेजा जाएगा। ब्यूरो उसका एनालिसिस करेगा कि इस तरह के अपराधों से कैसे निपटा जाए।

बॉक्स

समय की मांग है कम्युनिटी पुलिसिंग

समापन समारोह को संबोधित करते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पुलिस जनता के सबसे करीब होती है लेकि, कई बार ऐसा होता है कि करीब होने के बावजूद उनके साथ दिखाई नहीं देती है। पुलिस का जनता के करीब होना और साथ न होना उसकी पूरी कार्यपद्धति को सवालों के दायरे में खड़ा करती है। कहा, हमें समय के मुताबिक कम्युनिटी पुलिसिंग को बढ़ावा देना चाहिये। इससे पुलिस जनता के करीब भी रहेगी और साथ भी। हम सबने इस बात को देखा है कि आमजन के विश्वास के जरिए कम्यूनिटी पुलिसिंग इंटेलिजेंस का एक बड़ा जरिया हो सकती है। उन्होंने कहा कि श्री रामजन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया और 500 वर्षो के विवाद का पटाक्षेप हुआ। प्रदेश में शांति और सौहार्द का वातावरण बना रहा, जिसने देश और दुनिया के सामने एक नई मिसाल स्थापित की। यह सब राज्य और केंद्र की एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय और टेक्नोलॉजी के बेहतर उपयोग से संभव हो सका।