लंदन (रायटर्स)। टोक्यों में होने वाले ओलंपिक को लेकर इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी (आईओसी) और आयोजनकर्ता पूरी तरह से आश्वस्त हैं। पूरी दुनिया में कोरोना वायरस के चलते सभी बड़े खेल आयोजन स्थगित कर दिए गए हैं। मगर आईओसी ओलंपिक आयोजन को लेकर अभी तक अड़ा है। हालांकि कमेटी से जुड़े कुछ सदस्यों की मानें तो इस महामारी के बीच खेल महाकुंभ का आयोजन संभव नहीं है। ऐसे में इसके रद होने की भी काफी संभावनाएं दिख रही। अगर ऐसा होता है तो इतिहास में पहली बार होगा कि जब किसी वायरस के चलते ओलंपिक रद हुआ हो, इससे पहले सिर्फ विश्व युद्घ के दौरान ही यह टूर्नामेंट स्थगित या कैंसिल हुआ था।

ज्वालामुखी भी नहीं रोक सकी ओलंपिक

1906 में, वस्तुत: यही स्थिति थी जब ज्वालामुखी वेसुवियस के विस्फोट के कारण 1908 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक को रोम से लंदन शिफ्ट किया गया था। चूंकि आयोजन स्थल को अचानक बदला गया ऐसे में स्टेडियम का निर्माण इतना आसान नहीं था। फिर भी 10 महीनों में नया स्टेडियम बनाकर ओलंपिक का आयोजन किया गया मगर इस टूर्नामेंट में किसी पेशेवर एथलीट ने हिस्सा नहीं लिया जिसके चलते इसे टीवी पर भी लाइव टेलिकॉस्ट नहीं किया गया था। यही नहीं साल 1929-30 के बीच जब पूरी दुनिया आर्थिक मंदी से जूझ रही थी, तब ठीक दो साल बाद 1932 में लॉस एंजेल्स में ओलंपिक का आयोजन होना था और फाइनेंशियल क्राइसिस के बावजूद खेलों का आयोजन हुआ।

सिर्फ युद्घ के चलते लगा है विराम

चार साल में एक बार आयोजित होने वाला ग्रीष्मकालीन ओलंपिक आज तक सिर्फ विश्व युद्घ के चलते ही रद हुआ है। इसके परिणाम स्वरूप 1916 बर्लिन ओलंपिक कभी आयोजित नहीं हो सका वहीं 1940 में टोक्यो में होने वाला ओलंपिक हेलसिंकी स्थानांतरण कर दिया गया क्योंकि 1937 में जापान पर चीन ने आक्रमण कर दिया था। वहीं दो साल बाद रूस ने फिनलैंड पर हमला किया जिससे स्थिति और बिगड़ गई। 1940 का शीतकालीन खेल (सपोरो, जापान) और 1944 (कॉर्टिना डी-पैपेज़ो, इटली) भी युद्ध की भेंट चढ़ गया।

विरोध के बावजूद हुआ है आयोजन

ओलंपिक के इतिहास में ऐसा भी देखने को मिला है जब किसी देश को ओलंपिक की मेजबानी दी गई और बाद में छीन ली गई। साल 1970 में अमेरिका के डेनवेर को 1976 विंटर ओलंपिक की मेजबानी सौंपी गई थी मगर 1972 में स्थानीय लोगों द्वारा धरना-प्रदर्शन के चलते डेनवेर से होस्ट का दर्जा छीन लिया गया। यही नहीं 1976 ओलंपिक, 1980 मॉस्को और 1984 लॉस एंजेल्स ओलंपिक का काफी विरोध हुआ था, इसके बावजूद आयोजनकर्ताओं ने इसे स्थगित करने के बजाए आयोजन को सफलतापूर्वक पूरा किया।