दो को ही दिख गया ट्रेलर, मेला एरिया हुआ पैक, पैदल चलना भी मुश्किल

चार पहिया वाहन प्रतिबंधित, आज बाइकें भी नहीं चलने दी जाएंगी

शनिवार को मौनी अमावस्या पर एक करोड़ लोगों के संगम में डुबकी लगाने का दावा

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कुंभ मेला का दूसरा और मुख्य शाही स्नान पर्व मौनी अमावस्या चार फरवरी को है। इस बार सोमवती व मौनी अमावस्या पर महोदय योग बन रहा है। जिसमें श्रवण नक्षत्र, वियातिपाद योग व सर्वार्थ सिद्धि योग की भी निष्पत्ति हो रही है। यह दुर्लभ योग सात दशक के बाद बनेगा। यही वजह है कि मेला एरिया में एक फरवरी की रात से ही श्रद्धालुओं का रेला पहुंचने लगा। रेला इस कदर पहुंच रहा है कि शनिवार को मेला एरिया के गंगोत्री-शिवाला व काली मार्ग सहित एक दर्जन पाण्टुन पुलों पर दिनभर चार पहिया और सिर पर गठरी लेकर श्रद्धालुओं की आस्था पुण्य की डुबकी लगाने के लिए डेरा डालने लगी। शनिवार को ही मेला एरिया फुल पैक नजर आने लगा। मेला एरिया में दिन में ही चार पहिया वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया। पास वालों को भी बमुश्किल जाने दिया गया। शाम को त्रिवेणी मार्ग पर भीषण जाम लग जाने से पैदल चलना भी मुश्किल हो गया। प्रशासन का दावा है कि शनिवार को एक करोड़ लोगों ने संगम तट पर डुबकी लगायी है।

आज रात लग जाएगी अमावस्या तिथि

मौनी अमावस्या का शुभ मुहूर्त रविवार की रात से ही बन जाएगा। ज्योतिषाचार्य पंडित विनय कृष्ण तिवारी की मानें तो अमावस्या तिथि रविवार की रात 11.12 बजे से लग जाएगी। जिसका मान सोमवार को रात एक बजे तक रहेगा। सोमवार का दिन, श्रवण नक्षत्र व सिद्धि योग के अलावा मकर राशि में सूर्य, चंद्र व बुध ग्रह का संचरण होने से त्रिगृहीय योग बन रहा है। जबकि वृश्चिक राशि में बृहस्पति का संचरण होने से कुंभ योग बन रहा है।

मौन स्नान का विधान

मौनी अमावस्या में मौन रहकर स्नान करने का विधान शास्त्रों में वर्णित है

ज्योतिषाचार्य राजेश शर्मा ने बताया कि सूर्योदय के बाद और सुबह सात बजे तक किए गए दान का अनंत फल प्राप्त होता है

इस विशेष दिन मौन रहकर काले तिल के साथ भगवान सूर्य को अ‌र्घ्य देना नहीं भूलना चाहिए।

दुर्लभ संयोग में गंगा स्नान, दान पुण्य करने से राहु, केतु व शनि से संबंधित कष्टों से मुक्ति मिलेगी।

मौनी अमावस्या पर नक्षत्र, सोमवार व कई योग की निष्पत्ति हो रही है। सामान्य रूप से भी सर्वार्थ सिद्धि योग विशेष होता है लेकिन कुंभ होने से इसका महत्व बढ़ जाता है। ऐसा दुर्लभ संयोग कई दशक बाद बन रहा है। खासतौर से त्रिवेणी तट पर इस संयोग में स्नान-दान व पूजा-पाठ करने से साधक को कई गुना अधिक पुण्य फल की प्राप्ति होगी।

पंडित विद्याकांत पांडेय,

ज्योतिषाचार्य