कानपुर। भारतीय टीम वनडे में सिर्फ दो बार विश्व चैंपियन बनी है। पहली बार 1983 में कपिल देव ने भारत को वर्ल्डकप जितवाया था तो दूसरी बार 2011 में एमएस धोनी की अगुआई में भारत विश्व विजेता बना। हालांकि इस बीच एक मौका और आया था जब भारत वर्ल्डकप जीत सकता था। ये मौका था साल 2003 का, ये विश्वकप तीन देशों (साउथ अफ्रीका, जिंबाब्वे और केन्या) ने मिलकर होस्ट किया था। जिसमें भारतीय टीम फाइनल में पहुंची थी मगर इस खिताबी जंग में टीम इंडिया का सामना ऑस्ट्रेलिया से हुआ और फाइनल में कंगारुओं ने भारतीय टीम को इतनी बुरी पटखनी दी कि हर भारतीय का दिल टूट गया।

गांगुली कर रहे थे कप्तानी

इस विश्वकप में भारतीय टीम की कमान मौजूदा बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली के हाथों में थी। धोनी से पहले दादा का भारत का सबसे सफल कप्ताना माना जाता था। गांगुली ने भारत को कई बड़ी-बड़ी सीरीज जितवाई थी। यही नहीं 2003 विश्वकप में भारत को फाइनल में पहुंचाने का श्रेय भी दादा को ही जाता है मगर खिताबी मुकाबले में भारत की एक गलती ने उन्हें चैंपियन बनने से रोक दिया। ये गलती थी, कंगारु कप्तान रिकी पोंटिंग का विकेट न लेना। इस मुकाबले में पोंटिंग ने अपने करियर की सबसे यादगार पारी खेलकर टीम को जीत दिलाई थी।

पोंटिंग ने खेली यादगार पारी

भारत ने टॉस जीतकर ऑस्ट्रेलिया को पहले बैटिंग का न्यौता दिया था। कंगारु की तरफ से एडम गिलक्रिस्ट और मैथ्यू हेडेन ओपनिंग करने आए। दोनों ने टीम को सधी शुरुआत दिलाई। हालांकि हेडेन 37 रन पर चलते बने मगर गिलक्रिस्ट अपना अर्धशतक लगा चुके थे। तभी तीसरे नंबर पर बैटिंग करने रिकी पोंटिंग आए। पोंटिंग ने डेमिन मार्टिन के साथ मिलकर भारतीय गेंदबाजों की धज्जियां उड़ा दी। इस मैच में पोंटिंग को कोई नहीं आउट कर पाया और वह नाबाद 140 रन बनाकर पवेलियन लौटे। जिसके चलते ऑस्ट्रेलिया ने दो विकेट के नुकसान पर 359 रन का पहाड़ जैसा स्कोर खड़ा कर दिया।

125 रन से हारा भारत

वर्ल्डकप फाइनल में इतने बड़े लक्ष्य का पीछा आसान नहीं रहता। वहीं कंगारु टीम टूर्नामेंट में अजेय थी, ऐसे में उनका कांफिडेंस काफी हाई था। खैर भारत की तरफ से सचिन तेंदुलकर और वीरेंद्र सहवाग ओपनिंग करने आए। अभी पांच मिनट ही हुए थे कि भारत को पहला झटका लग गया, वो भी सचिन तेंदुलकर के रूप में। सचिन 4 रन के स्कोर पर मैकग्रॉथ का शिकार बने। हालांकि दूसरे छोर पर सहवाग जबरदस्त बैटिंग कर रहे थे। मगर उनका कोई साथ नहीं दे पाया। इसके बाद एक-एक करके विकेट गिरते गए। वीरू भी 82 रन पर रनआउट हुए और पूरी भारतीय टीम 234 रन पर ऑलआउट हो गई। इसी के साथ ऑस्ट्रेलिया ने 125 रन से मैच जीत लिया और भारत का दिल टूट गया।

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