कानपुर (इंटरनेट डेस्‍क)। World Earth Day Special story on Exoplanets of Universe: अगर आपको लगता है कि पूरे यूनीवर्स में धरती पर ही जीवन है, तो शायद अभी तक आपने यूनीवर्स के एक्‍सोप्‍लेनेट्स के बारे में नहीं जाना है। नासा और तमाम इंटरनेशनल स्‍पेस रिसर्च एजेंसियों द्वारा कई सालों में की गई रिसर्च में तमाम सुपरहैबिटेबल ग्रह खोजे जा चुके हैं। इन एक्‍सोप्‍लेनेट्स के बारे में वैज्ञानिकों का मानना है कि यहां जीवन जीने लायक हालात होने की पूरी संभावना है, यही नहीं इनमे से कइ ग्रहों पर जीवन धरती से भी बेहतर हो सकता है, तभी इन ग्रहों को सुपर-हैबिटेबल प्लेनेट कहा जा रहा है। सुपर-हैबिटेबल प्लेनेट्स की लिस्‍ट कौन से ग्रह सबसे ऊपर है, विश्‍व धरती दिवस पर फटाफट यह जरूर जान लीजिए। हो सकता है कि आने वाले भविष्य में लोग इनमें से किसी ग्रह पर रहना शुरु कर दें।

धरती के बाद यह ग्रह बन सकते हैं हमारे Future Home:

YZCeti B: वैज्ञानिकों के मुतबिक यह एक्सोप्लेनेट धरती से 12 प्रकाशवर्ष दूरी पर है और यह सुपरहेबिटेबल ग्रह है। 12 लाइट ईयर सुनकर यदि आपको यह दूरी अधिक लग रही है तो बता दें कि बाकी सभी एक्सोप्लेनेट की दूरी जानेंगे तो यह दूरी आपको सबसे कम ही लगेगी। इसकी दूरी धरती से मिलता जुलता ही इस ग्रह का चुंबकीय क्षेत्र है और उस पर जीवन होने की पूरी संभावना है और यह लाल रंग के बौने तारे की परिक्रमा कर रहा है।

KOI 5554: यह सुपरहेबिटेबल ग्रह है। माना जा सकता है कि पृथ्वी की तुलना में यहां जीवन की कल्पना अधिक संभव है और यह पृथ्वी से लगभग 697 प्रकाश वर्ष दूर पीले ड्वार्फ तारे की परिक्रमा लगा रहा है इसकी त्रिज्या पृथ्वी से 0.96 गुना है, लगभग 650 लाख साल पुराने इस ग्रह की खोज 2014 में ट्रांजिट विधि (एक्सोप्लैनेट पारगमन विधि) का उपयोग करके की गई थी।

TOI-715 b: नासा के वैज्ञानिकों ने इसकी खोज कर यह बताया कि यहां पृथ्वी की तरह जीवन की संभावना हो सकती है यह धरती से 137 प्रकाश वर्ष दूर है इस ग्रह पर पृथ्वी जैसी कई समानताएं हैं और यह ग्रह बौने लाल तारे का चक्कर लगा रहा है जो सूर्य से थोड़ा छोटा है लेकिन काफी ठंडे इस ग्रह का एक साल मात्र 19 दिन में बीत जाता है। नासा ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यहां सतही जल की उपस्थिति के अलावा रहने लायक अन्य चीजें भी मौजूद हैं।

Kepler 69C: केपलर 69 C के बारे में बात करें तो यह पृथ्वी से 70% बड़ा है यह एक्सोप्लैनेट तारों के हैबिटेबल जोन में स्थित है जो पृथ्वी से लगभग 2,700 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है इसकी खोज 2013 में नासा के केप्लर अंतरिक्ष यान द्वारा की गई। इसे सुपर-अर्थ माना जाता है जिसका मतलब है कि यह पृथ्वी से बड़ा लेकिन नेपच्यून से छोटा, केप्लर 69 C सूर्य की तरह तारे की परिक्रमा करता है इसका मतलब यह है कि Kepler 69C ऐसे क्षेत्र में स्थित है जहाँ का तापमान इसकी सतह पर पानी के उपस्थिति के बारे में बताता है जो जीवन के लिए जरुरी है माना जाता है कि इसमें घना वायुमंडल जिसमें आक्सीजन और मीथेन जैसी कुछ गैसों की उपस्थिति है।

KOI 5715.01 - यह पृथ्वी से लगभग 3,000 प्रकाश वर्ष दूर एक धुंधले बौने तारे की परिक्रमा करता है जो सिग्नस तारामंडल के गोल्डीलॅाक्स जोन पर स्थित है जिससे इसका तापमान पृथ्वी की तुलना से कम होने का अनुमान है। यह ग्रह 2.4 डिग्री सेल्सियस ठंडा हो सकता है और इसका व्यास पृथ्वी की तुलना में 1.8 से 2.4 गुना ज्‍यादा है। इसकी सतह का गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी का 80 परसेंट होने का अनुमान है इससे अंदाजा लगाया जा सकता इसकी सतह पर खड़े होने पर पृथ्वी की तुलना में हल्का महसूस करगें। यह ग्रह हमारे सूर्य से भी अधिक पुराना है। इसकी बनावट के बारे में ज्‍यादा जानकारी नहीं है लेकिन यह पृथ्वी जैसा ही है। वैज्ञानिकों को लगता है कि इस पर महासागर हो सकता है जो जमीन का 60 हिस्से को कवर करता होगा।

Gliese 667 Cc - पृथ्वी से 22 प्रकाश वर्ष दूर स्थित यह एक्सोप्लेनेट धरती से 4.5 गुना अधिक बड़ा है यह ग्रह हेबिटेबल जोन में आता है। Gliese667Cc सुपर अर्थ है जिसका द्रव्यमान और त्रिज्या पृथ्वी से अधिक है यह लाल बौने तारे की परिक्रमा करता है जो सूर्य से काफी ठंडा है इस वजह से इस एक्सोप्लेनेट को रहने योग्य क्षेत्र माना जा रहा है। सूर्य की तुलना में यह दो अरब वर्ष पुराना है, इस ग्रह की सतह पर पानी होने की संभावना है यह ग्रह न बहुत गर्म और ना हीं ठंडा है।

K2 -18b: जेम्स वेब टेलीस्कोप द्वारा खोजा गया यह एक्सोप्लेनेट 120 प्रकाश वर्ष दूर है यह ग्रह पृथ्वी से 8.6 गुना बड़ा है जो ग्रह केटू-18 की परिक्रमा करता है नासा का मानना है कि इस ग्रह पर हाइड्रोजन का वातावरण होने से महसागरों के होने की संभावना है उन्हें इस ग्रह पर इंसानों के रहने के बेहतर संकेत मिले है।

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