RANCHI: रिम्स में एक करोड़ की फुली ऑटोमेटिक एक्स-रे मशीन पिछले छह महीने से धूल फांक रही है। वहीं, घंटों लाइन में लगने के बाद भी मरीजों का एक्स-रे नहीं हो पा रहा है। जी हां, बुधवार को रिम्स की एक्स रे यूनिट में पहुंचे मरीज कृष्णा मुंडा ने बताया कि दो घंटे से लाइन में लगे हैं, लेकिन अब तक नंबर नहीं आया। पता नहीं आज एक्स-रे हो पाएगा या नहीं। वहीं, दो घंटे से लाइन लग कर अपनी बारी का इंतजार कर रहे मुकेश कुमार का कहना है कि अब तो शाम होने को है। सेकेंड शिफ्ट में तो एक्स-रे होता भी नहीं है। यह हाल सिर्फ कृष्णा व मुकेश का ही नहीं है, बल्कि यहां आने वाले दर्जनों मरीजों को लाइन में लगने के बावजूद निराशा ही हाथ लग रही है। वहीं, प्रबंधन गंभीर नजर नहीं आ रहा है।

5 एक्स रे मशीन इंस्टाल्ड

हास्पिटल में एमसीआई के नियमानुसार, करीब छह माह पहले पांच नई एक्स रे मशीनों को इंस्टाल किया गया। इसके बावजूद हास्पिटल में पुरानी मशीनों से ही काम चलाया जा रहा है। ऐसे में अधिकतर समय ये मशीनें खराब ही रहती हैं। इस वजह से एक्सरे कराने के लिए मरीजों की लंबी लाइन लगी रहती है। इस चक्कर में मरीजों का पूरा दिन एक्सरे कराने में ही चला जा रहा है।

5 टेक्निशियन, एप्रन दो

एक्सरे डिपार्टमेंट में रेडिएशन से बचने के लिए तरह-तरह के उपाय किए जा रहे हैं। वाल मोटा करने से लेकर अन्य सभी जरूरतों को पूरा किया जा रहा है। लेकिन टेक्निशियनों की सुरक्षा को लेकर प्रबंधन गंभीर नहीं है। उन्हें एक्सरे करने के दौरान रेडिएशन से बचने के लिए लीड एप्रन नहीं दिया जा रहा है। एक्सरे डिपार्टमेंट में पांच टेक्निशियन है और उन्हें यूज के लिए केवल दो एप्रन दिए गए है। ऐसे में बाकी टेक्निशियन की हेल्थ के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।

एसी ठप, मरीजों के फूले दम

एक्सरे मशीन वाले रूम में एसी तो लगाया गया है, लेकिन वह भी चलता नहीं है। ऐसे में मरीज अगर पांच मिनट भी एक्सरे रूम में रुक जाए, तो उसके पसीने छूट जा रहे हैं। वहीं उसकी सांस भी फूलने लगती है। जबकि मशीन के लिए भी एसी को चलाया जाना जरूरी है। इसके बावजूद एसी को चलाया नहीं जा रहा है।

मरीज रहते है परेशान

हमलोग दो घंटे से एक्सरे कराने के लिए बैठे हुए है। भीड़ काफी होने के कारण अभी तक हमारा नंबर नहीं आया है। पूछने पर बस इतना कहा गया कि नंबर आएगा तो बुलाया जाएगा।

कृष्णा मुंडा

मुझे इंतजार करते हुए दो घंटे बीत चुके है। नंबर तो लगा दिया है लेकिन एक्सरे के लिए बुलाया नहीं गया है। अब तो लगता है कि शाम हो जाएगी। सेकेंड हाफ तो एक्सरे भी नहीं होता है।

मुकेश कुमार

वर्जन

मशीनों के इंस्टालेशन का काम चल रहा है। बार्क की टीम आई थी और उनके गाइडलाइंस के अनुसार कई बदलाव भी किए गए है। रेडिएशन को लेकर भी हमें सुझाव दिया गया है। कुछ मशीनें अभी चालू नहीं हुई है। उन्हें चालू कराने के लिए प्रक्रिया चल रही है। बाकी कुछ और चीजें है जिसका काम किया जाना है।

-डॉ। एसके चौधरी, सुपरिंटेंडेंट, रिम्स