- घर के पांच किलो वेस्ट से 4.5 किलो बायोगैस और चार किलो बायोफर्टिलाइजर का कर सकते हैं उत्पाद

- यूनिवर्सिटी के बायोटेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट में लगा वन सीयूएम प्लांट, अन्य डिपार्टमेंट्स में भी होगा इंस्टॉल

GORAKHPUR: अभी तक नगर निगम ने सड़क किनारे बिखरे रहने वाले वेस्ट को लेकर काफी प्रयास किए लेकिन इससे पूरी तरह छुटकारा नहीं मिला। लेकिन वन सीयूएम प्लांट के जरिए इस वेस्ट की प्रॉब्लम से निजात भी मिल सकेगा। साथ ही अपने घर के वेस्ट से ही हम बायो गैस और बायोफर्टिलाइजर पा सकते हैं। यही नहीं इस प्लांट से ज्वॉइंट स्टोव पर डेली निकलने वाले वेस्ट से बायोगैस निकाल खाना भी पकाया जा सकता है।

यूनिवर्सिटी में लगा प्लांट

गोरखपुर यूनिवर्सिटी के बायोटेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट में ऑर्गनाइज एक प्रोग्राम में वेस्ट को बायो गैस एवं बायोफर्टिलाइजर में बदलने का प्लांट लगाया गया। वीसी प्रो। विजय कृष्ण सिंह की मौजूदगी में विवेकानंद केंद्र, कन्याकुमारी के काशी सेवा सदन समिति के सौजन्य से प्लांट लगाया गया है।

बनेगी 500 ग्राम गैस

एक्सपर्ट के अनुसार क्यूबिक मीटर के इस प्लांट के लिए प्रतिदिन पांच किलो वेस्ट की जरूरत पड़ेगी जिससे 500 ग्राम गैस बनेगी। साथ ही बायोफर्टिलाइजर भी मिलेगा। वेस्ट अगर अधिक हो तो इससे भी अधिक पावर का प्लांट लगाया जा सकता है।

गोखनाथ मंदिर में भी लग चुका

कंपनी के एमडी डीपी शर्मा ने बताया कि सबसे पहले जून में एक प्लांट गोरखनाथ मंदिर में लगाया गया जिसका सीएम योगी आदित्यनाथ ने उद्घाटन किया था। इसके बाद पुलिस लाइंस में भी एक प्लांट लगाया गया है। इस प्लांट की कीमत करीब 26 हजार 500 रुपए आएगी।

ग्रीन इंडिया, क्लीन इंडिया में मिलेगी मदद

ग्रीन इंडिया, क्लीन इंडिया के तहत इस प्रोजेक्ट को शुरू किया गया है। इस प्रोग्राम के चीफ गेस्ट वीसी प्रो। विजय कृष्ण सिंह ने कहा कि यूनिवर्सिटी में कचरे को प्रबंधित कर उससे बायोगैस एवं बायोफर्टिलाइजर बनाने के प्लांट की स्थापना से पूरा समाज स्पेश्यली यंगस्टर्स अवेयर होंगे। हमें पर्यावरण के संरक्षण और प्रदूषण मुक्त विश्व के बारे में आज से ही प्रयास करना होगा। संयोजक प्रो। अजय कुमार शुक्ला ने कहा कि यूनिवर्सिटी पॉल्युशन को ध्यान में रखकर हमेशा अवेयरनेस प्रोग्राम करती रहती है। इस प्लांट का प्रचार-प्रसार किया जाएगा, जिससे अधिक से अधिक लोग और संस्थाएं इस प्रकार के प्लांट लगाएं।

कोट्स

वैकल्पिक ऊर्जा के प्रयोग और अपशिष्ट पदार्थो के समायोजन से पर्यावरण की समस्याओं को दूर किया जा सकता है। इस प्रोग्राम के जरिए छात्रों, शिक्षकों एवं कर्मचारियों में जागरूकता पैदा की जाएगी, जिससे कचरे के प्रबंधन को लेकर लोग गंभीर हो सकें।

प्रो। शरद कुमार मिश्रा, अध्यक्ष

बीएचयू समेत कई शहरों में इस प्लांट को लगाया गया है। कई लोगों ने इसे अपने घर पर भी लगाया है। घर पर लोग वेस्ट बायोफर्टिलाइजर से ही हर महीने करीब 1500 रुपए तक पा जा रहे हैं। साथ ही घर का खाना भी बायोगैस से पका रहे हैं।

डीपी शर्मा, एमडी, विवेकानंद केंद्र, कन्याकुमारी