गुमनाम चिट्ठी ने रिवर फ्रंट की जांच पर डाल दी 'मिट्टी'

-खत में घोटाले की जांच कर रहे ईडी के अफसरों पर संगीन आरोप

-असिस्टेंट डायरेक्टर और महिला इंफोर्समेंट ऑफिसर पर विजिलेंस जांच का फंदा

ashok.mishra@inext.co.in
LUCKNOW : लोकसभा चुनाव का आगाज होने से पहले गोमती रिवरफ्रंट घोटाले की जांच में आई तेजी ने एक गुमनाम चिट्ठी की वजह से दम तोड़ दिया है. सपा सरकार में हुए इस बड़े घोटाले की जांच सीबीआई के अलावा इंफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ईडी) ने भी शुरू की थी जिसके बाद कई जगहों पर ताबड़तोड़ छापे और अफसरों से पूछताछ ने चुनावी माहौल को भी गर्म कर दिया था. आपको यह जानकर हैरत होगी कि ईडी में जिन अफसरों पर इस मामले की जांच का जिम्मा था, उनके खिलाफ आए एक गुमनाम पत्र ने जांच पर ब्रेक लगा दिया है. साथ ही घोटाले की जांच कर रहे ईडी के अफसरों पर विजिलेंस जांच का फंदा भी कसने लगा है. इनमें से एक महिला अफसर भी है जिसका तबादला कोलकाता कर दिया गया है.

चिट्ठी में लगाए गंभीर आरोप
ईडी के सूत्रों की मानें तो कुछ दिन पहले भेजे गये इस गुमनाम पत्र में जांच कर रहे अफसरों पर तमाम संगीन आरोप लगाए गये हैं. ईडी के वरिष्ठ अफसरों ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए इस चिट्ठी को नई दिल्ली स्थित ईडी मुख्यालय भेजा जहां से आरोपी अफसरों के खिलाफ विजिलेंस जांच शुरू करने के आदेश जारी हो गये. सूत्रों की मानें तो इस चिट्ठी में ईडी के एक असिस्टेंट डायरेक्टर और एक महिला इंफोर्समेंट ऑफीसर पर भ्रष्टाचार के तमाम गंभीर आरोप लगाए गये है, जिसके बाद महिला ऑफीसर का तत्काल कोलकाता तबादला कर दिया जबकि असिस्टेंट डायरेक्टर को भी जल्द ही दूसरे राज्य में भेजने की तैयारी की जा रही है. दोनों के खिलाफ विजिलेंस जांच का जिम्मा ईडी लखनऊ जोन ऑफिस में तैनात डिप्टी डायरेक्टर को सौंपा गया है.

दूसरे अफसर को दी जांच
फिलहाल इस मामले की जांच एक अन्य असिस्टेंट डायरेक्टर को दी गयी है पर चुनाव की वजह से यह फिलहाल ठंडे बस्ते में है. इस मामले की जांच में ब्रेक लगने की एक अन्य वजह भी बताई जा रही है जो अफसरों की आपसी रार से जुड़ी है. बीते कुछ दिनों से सीबीआई की तरह ईडी में भी सीनियर्स अफसरों के बीच मची खींचतान का असर गोमती रिवरफ्रंट समेत तमाम अन्य जांचों पर भी पड़ रहा है. फिलहाल ईडी में मचे इस हड़कंप का सीधा फायदा गोमती रिवरफ्रंट के आरोपी नेताओं और अफसरों को मिल रहा है और वे जांच एजेंसी के शिकंजे से बचे हुए हैं.

सीबीआई भी कर रही जांच
गोमती रिवरफ्रंट घोटाले की जांच सीबीआई भी कर रही है. ईडी ने पिछले साल सिंचाई विभाग द्वारा इस मामले में गोमतीनगर के विभूतिखंड थाने में दर्ज एफआईआर के आधार पर केस दर्ज किया था और आरोपितों को नोटिस देकर पूछताछ के लिए तलब किया था और बीती 24 जनवरी को तीन राज्यों में पांच जगहों पर छापेमारी कर घोटाले से जुड़े अहम सबूत जुटाए थे. बतातें चलें कि सूबे में भाजपा सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोमती रिवरफ्रंट का दौरा किया था और वित्तीय अनियमितताओं की जांच हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस आलोक सिंह की अध्यक्षता में समिति गठित से कराई थी. समिति ने को राज्य सरकार को सौंपी अपनी रिपोर्ट में दोषी पाए गये अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की संस्तुति की थी. इसके बाद काबीना मंत्री सुरेश खन्ना के नेतृत्व में एक समिति ने भी न्यायिक जांच के घेरे में आए तत्कालीन मुख्य सचिव आलोक रंजन और प्रमुख सचिव सिंचाई दीपक सिंघल के खिलाफ विभागीय जांच और इंजीनियरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की सिफारिश की थी.

- 747.49 करोड़ की लागत से होना था गोमती रिवरफ्रंट का निर्माण कार्य

- 1990.561 करोड़ बेतहाशा फिजूलखर्ची से योजना की बढ़ी लागत

- 1437.83 करोड़ रुपये हो चुके थे खर्च, कुल 1513.51 करोड़ दिए गये थे

- 04 अप्रैल 2017 को सीएम योगी आदित्यनाथ ने दिए रिवरफ्रंट घोटाले की जांच के निर्देश

- 16 मई 2017 को रिटायर्ड जस्टिस आलोक वर्मा ने राज्य सरकार को सौंपी जांच रिपोर्ट

- 19 जून 2017 को सिंचाई विभाग की ओर से आठ इंजीनियरों पर दर्ज की गयी एफआईआर

- 24 नवंबर 2017 को सरकार ने रिवरफ्रंट घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की संस्तुति की

- 02 दिसंबर 2017 को सीबीआई ने गोमती रिवरफ्रंट घोटाले का केस किया दर्ज

- 28 मार्च 2018 को ईडी ने सिंचाई विभाग की एफआईआर के आधार पर केस दर्ज किया

- 24 जनवरी 2019 को ईडी ने लखनऊ, नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद, भिवाड़ी में मारे छापे