- केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने मुख्यमंत्री से जाने हालात

- बांदा में बुलाई गयी सेना, कई जिलों में एनडीआरएफ तैनात

LUCKNOW: गंगा, यमुना और उसकी सहायक नदियों के कहर से सूबे में बाढ़ के हालात बदतर होते जा रहे हैं। बांदा में हालात इतने खराब हैं कि सेना को बुलाना पड़ा है। कई जिलों में राहत कार्यो के लिए नेशनल डिजास्टर रिलीफ फोर्स (एनडीआरएफ) की टीमें मोर्चा संभाल चुकी हैं। बाढ़ से अब तक करीब तीस हजार हेक्टेयर से ज्यादा फसल जलमग्न हो चुकी है तो दूसरी ओर सोमवार तक 43 लोगों की मौत की आधिकारिक पुष्टि की गयी है। बीते चौबीस घंटे में हालात इतने बदतर हो गये कि पीएसी की 16 फ्लड कंपनियों और एनडीआरएफ की सात कंपनियों को अतिरिक्त रूप से बाढ़ प्रभावित इलाकों में भेजा गया है।

केंद्रीय गृह मंत्री ने जाने हालात

केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को फोन पर बाढ़ के हालात के बारे में जानकारी ली। उन्होंने मुख्यमंत्री को केंद्र द्वारा हरसंभव मदद दिए जाने का आश्वासन भी दिया। मुख्य सचिव दीपक सिंघल ने सोमवार को बाढ़ प्रभावित जनपदों में राहत कार्यो की समीक्षा करते हुए निर्देश दिए कि राहत कायरें से जुड़े सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों की छुट्टियां अपरिहार्य स्थिति में ही स्वीकृत की जायें। बंधों को टूटने से रोकने के लिए आवश्यक कार्यवाही की जाए। सभी डीएम अन्य प्रदेशों से नदियों में आने वाले संभावित पानी को तथा पूर्वानुमान संभावित वर्षा को दृष्टिगत रखते हुये आवश्यक प्लान समय से बनाकर कार्यवाही करें ताकि कोई अप्रिय घटना न हो। आवश्यकतानुसार स्थानीय एयर फोर्स के अधिकारियों से भी समन्वय स्थापित किया जाए। उन्होंने कहा कि बाढ़ राहत कायरें में किसी भी स्तर पर शिथिलता क्षम्य नहीं होगी। वहीं बांदा में हालात बिगड़ने की वजह से बाढ़ में फंसे लोगों को निकालने के लिए सेना की मदद ली जा रही है।

25 जिले हैं प्रभावित

सूबे में बाढ़ से करीब 25 जिले सीधे तौर पर प्रभावित हुए है। पश्चिम से लेकर पूर्वी उप्र तक गंगा, यमुना, घाघरा, शारदा के अलावा बुंदेलखंड में केन और बेतवा कहर बरपा रही हैं। अब तक बाढ़ से करीब 1216 लाख रुपये का नुकसान होने का अनुमान है। बुंदेलखंड के चित्रकूट, महोबा, बांदा, ललितपुर सर्वाधिक प्रभावित है तो तराई बेल्ट पूरी तरह जलमग्न हो चुकी है। वहीं गंगा बेसिन में पिछले साल के मुकाबले दस लाख क्यूसेक पानी अतिरिक्त आने से वाराणसी, इलाहाबाद, गोरखपुर जैसे बड़े शहरों में भी बाढ़ का पानी आबादी के इलाकों में घुसने लगा है।

चुनावी मुद्दा बनेगा बाढ़

सूखे से रबी की फसल तबाह होने के बाद अब मानसून से खरीद की फसल का नुकसान केंद्र और राज्य सरकार के बीच रार बढ़ा सकता है। सूखे से हुए नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र और राज्य सरकार के बीच तनातनी जगजाहिर है। अब बाढ़ से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र से मदद की आस लगाना स्वाभाविक है। मुआवजा न मिलने की सूरत में सूखा राहत की तरह आगामी विधानसभा चुनाव में यह भी बड़ा मुद्दा भी बन सकता है।

डाटा कलेक्ट हो तो करें बीमा

वहीं प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से भी बाढ़ पीडि़त किसानों को कोई राहत मिलने की उम्मीद नहीं है। सूबे में फिलहाल यह योजना केवल रबी की फसल के लिए है। इंश्योरेंस कंपनियों का निविदा के जरिए चयन होने के बाद अब जिलों से किसानों का डाटा जुटाया जा रहा है। इसमें अभी खासा समय लग सकता है। संभावना है कि अगले साल तक रबी और खरीफ दोनों की फसलों का बीमा हो सकेगा जिससे किसानों को आपदा में कुछ राहत मिल सकेगी।

बुंदेलखंड में लबालब भरे तालाब

सालों से बारिश को तरस रहे बुंदेलखंड में मानसून ने सूखी धरती को नया जीवन दिया है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा हाल ही में बुंदेलखंड के सूखा प्रभावित इलाकों में पुराने तालाबों के जीर्णोद्वार का कार्य कराया गया था जिसका असर दिखने लगा है। बुंदेलखंड के ऐसे सभी तालाब बारिश के पानी से लबालब भर चुके हैं जिसका फायदा आने वाले दिनों में स्थानीय लोगों को मिलना तय है।

राहत कार्य एक नजर में

- 43 मौतों की पुष्टि, पीलीभीत में सर्वाधिक दस मौतें। इसके अलाव सिद्धार्थनगर में आठ, इलाहाबाद व बलरामपुर में चार-चार, ललितपुर व गोरखपुर में तीन-तीन, श्रावस्ती में दो लोगों की मौत।

- 25 फ्लड कंपनी पीएसी की राहत कार्यो में लगी

- 13 कंपनी एनडीआरएफ भी राहत कार्यो में जुटी

- 3093 नाव एवं 38 मोटर बोट राहत कार्यो में लगी

- 227 मेडिकल टीमों ने 104907 लोगों का इलाज किया

- 1288697 क्लोरीन टेबलेट, 82641 ओआरएस पैकेट तथा 6352 क्लोरोक्वीन टेबलेट वितरित

- 668 बाढ़ चौकियां, 182 राहत शिविर, 186 राहत वितरण केन्द्रों की स्थापना

- 75 हजार से ज्यादा लोगों को राहत शिविरों व सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया गया

- 101 पशु शिविरों की स्थापना कर 66960 पशुओं का इलाज किया गया

- 917714 पशुओं का टीकाकरण किया गया

- गोंडा, बलरामपुर, बलिया, वाराणसी एवं इलाहाबाद में एनडीआरएफ भेजी गयी

- 221 करोड़ रूपये बाढ़ परियोजनाओं के लिए जारी

- 100 करोड़ रूपये बाढ़ राहत कार्यो के लिए जारी

- 132 करोड़ रुपये बाढ़ परियोजनाओं के लिए केंद्र से मिलना बाकी