- मानसून की मार से प्याज की फसल हुई चौपट

- सितंबर माह तक प्याज के दाम में बेतहाशा बढ़ोत्तरी के आसार

LUCKNOW: कुछ दिनों बाद अगर आपको कबाब में प्याज न मिलें तो हैरान न होइएगा। दाल में प्याज का छौंका न लगा हो तो भी बहस करने की जरूरत नहीं। वजह यह है कि प्याज की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। केवल प्याज ही नहीं खराब मौसम की वजह से मौसमी सब्जियों के भी दाम आसमान छूने लगे हैं। सब्जी विक्रेताओं का तो यहां तक मानना है कि अगले तीन महीने में प्याज के रेट क्00 रुपए तक पहुंच सकते हैं।

एक किलो प्याज क्00 रुपये में

प्याज के बढ़ते दामों ने आंखों में आंसू लाने शुरू कर दिए हैं। खराब मौसम और मानसून दोनों ही पब्लिक को प्याज के लिए तरसा सकते हैं। खराब मौसम की वजह से महाराष्ट्र और एमपी में फसलों को नुकसान पहुंचा है। प्याज की खेती में सबसे ज्यादा नुकसान महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में हुआ। इस वजह से अक्टूबर में प्याज के भाव क्00 रुपए प्रति किलो हो सकते हैं। प्याज की बढ़ती कीमतों से सरकार के सिर चिंता की लकीरें बढ़ती जा रही हैं। नवीन गल्ला मंडी में सब्जी विक्रेता सुजीत ने बताया कि प्याज की कीमतें क्00 रुपए तक जा सकती हैं। सरकारी विभाग भी इस बात से सहमत नजर आ रहे हैं।

सब्जियों के दाम बढ़े

मॉनसून में देरी और नासिक की प्याज कारोबारियों की हड़ताल से शहर की मंडियों और फुटकर मार्केट में सब्जियों के दाम बढ़ने लगे हैं। पिछले सात दिनों में सब्जियों के दामों में पांच से क्0 रुपए प्रति किलो की बढ़ोतरी हो गई है। सबसे ज्यादा असर इसका घर की रसोई में पड़ रहा है। फुटकर बाजारों में सबसे ज्यादा बढ़ोत्तरी टमाटर, आलू, भिंडी, तरोई, लहसुन में हुई है। चौपटिया सब्जी मंडी के दुकानदार नन्हके ने बताया कि दो दिन पहले तक दस से पन्द्रह रुपये किलो बिकने वाली तरोई अब ख्0 से ख्भ् रुपये प्रति किलो बिक रही है। इसी तरह भिंडी के दामों भी दो दिनों के भीतर सात से दस रुपये प्रति किलो तक बढ़ गए हैं। टमाटर भी पांच से आठ रुपये तक महंगा हो गया है।

पहाड़ी आलू की शॉर्टेज

सब्जी की आढ़त चलाने वाले शकील के मुताबिक इस समय पहाड़ी आलू मार्केट में बहुत कम है। वजह यह है कि हाइब्रिड आने के बाद पहाड़ी आलू उगाना कम कर दिया गया। पहाड़ी आलू एक बीघा में क्भ्- ख्0 बोरे निकलता था जबकि हाइब्रिड से एक बीघा में भ्0 बोरे तक आलू पैदा होता है। सर्दियों में लखनऊ के आस पास के इलाकों में पहले पहाड़ी आलू खूब पैदा किया जाता था। उनके मुताबिक चिपसोना की पैदावार फर्रुखाबाद, कन्नौज, इटावा, में बहुत होती है। ये सस्ता पड़ता है मीठा भी होता है। इसके बोरों पर कोल्ड स्टोरेज में एक गैस प्रवाहित की जाती है जिससे इसकी मिठास खत्म हो जाती है और इसे शुगर फ्री के नाम से भी बेचा जाता है।